संस्कृत श्लोक :
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ: ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येषु सर्वदा ॥
हिंदी भावार्थ :
हे घुमावदार सूंड और विशाल शरीर वाले भगवान गणेश! जिनकी प्रभा करोड़ों सूर्यों प्रकाश के तुल्य है, कृपया मुझे आशीर्वाद दें कि मुझे अपने प्रयासों में किसी भी बाधा का सामना न करना पड़े।
शब्दार्थ (देवनागरी) :
• वक्रतुंड – घुमावदार सूंड,
• महाकाय – विशाल रूप, जिनका वपु अथवा श्रीविग्रह विशाल है।
• सूर्य – सूर्य,भास्कर, भुवन भास्कर, सूरज, सूर्य नारायण, भानु, दिनकर आदि सभी सूर्य भगवान के ही नाम हैं।
• कोटि – करोड़ों
• सम – समान
• प्रभा – वैभव
• निर्विघ्नम् – कोई बाधा नहीं
• कुरुमे – मुझे दो, मुझे प्रदान करो, मुझे ऐसा वर दो।
• देव – भगवान
• सर्व – सभी
कार्येषु – प्रयास, हम जीवन में प्राप्त करने के लिये जो भी प्रयत्न करते हैं वह।
• सर्वदा – सदैव, हर समय।
Mantra (Shloka) in Sanskrit (Roman):
Shree Vakratunda Mahakaya
Suryakoti Samaprabhah.
Nirvighnam Kuru Me Deva
Sarva-Kaaryeshu Sarvada.
Translation of the Mantra
O Lord Ganesha of the curved trunk and massive body, the one whose splendor is equal to millions of Suns, please bless me to that I do not face any obstacles in my endeavors.
Meaning of the Sanskrit Words :
• Vakratunda – curved trunk,
• Mahakaya – huge form, whose Vapu or Srivigraha is huge.
• Surya – Surya, Bhaskar, Bhuvan Bhaskar, Suraj, Surya Narayan, Bhanu, Dinkar etc. are all names of Sun God.
- Koti – crores
- Sam – similar
- Prabha – Splendor
- Nirvighnam – no obstacles,
- Kurume – Give me, grant me, grant me such a boon.
- Dev – God
- Sarva – all
- Karyeshu – Effort, whatever we try to achieve in life.
- Sarvada – always, all the time.
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