मंगल भवन अमंगल हारी लिरिक्स

हो, मंगल भवन, अमंगल हारी

द्रबहु सु दसरथ, अजिर बिहारी

आ, राम भगत हित नर्तन धारी

सहे संकट किये साधो सुखारी

सिया राम जय-जय

(राम सिया राम, सिया राम जय-जय राम)

हो, होइहैं सोई जो, राम रचि राखा

को करि तरक, बढ़ावई साखा

आ, जेहि के जेहि पर सत्य सनेहु

सो तेहि मिलही न कछु सन्देहु

ओ, सिया-राम मय सब जग जानी

करहूँ त नाम जोरि जुग पानी

सिया राम जय-जय

(राम सिया राम, सिया राम जय-जय राम)

आ, दीन-दयाल विरद सँभारी

हरहूँ नाथ मम संटक भारी

सिया राम जय-जय

(राम सिया राम, सिया राम जय-जय राम)

तुलसी अपने राम को, रीझ भजो के खीज

उलटो-सुधो भूगिहे, खेत परे को बीज

ओ, राम नाम करि अवित प्रभावा

वेद, पुरान, उपनिषद् गावा

सिया राम जय-जय

(राम सिया राम, सिया राम जय-जय राम)

आ, जनम-जनम मुनि जतन कराहि

अंत राम कहि आवत नाहि

सीता श्रद्धा देश दी, राम अटल विश्वास

रामायण तुलसी रचित, हम तुलसी के दास

ओ, हरि अनन…

हरि अनन…

हरि अनंत, हरि-हरि अनंत, हरि कथा अनंता

कहहिं-सुनहिं बहुविधि सब संता

राम सिया राम, सिया राम, जय-जय राम

(राम सिया राम, सिया राम, जय-जय राम)

राम सिया राम, सिया राम, जय-जय राम

(राम सिया राम, सिया राम, जय-जय राम)

राम सिया राम, सिया राम, जय-जय राम

(राम सिया राम, सिया राम, जय-जय राम)

राम सिया राम, सिया राम, जय-जय राम

(राम सिया राम, सिया राम, जय-जय राम)

सीता रामचरित अति पावन

मधुर सरस और अति मनभावन

ओ, पुनि-पुनि कितनेहुँ सुनाए

हिय की प्यास बुझत ना बुझाए

रामायण

(राम सिया राम, सिया राम, जय-जय राम) सुर तरु की छाया

(राम सिया राम, सिया राम, जय-जय राम) भये दुख दूर

(राम सिया राम, सिया राम, जय-जय राम) निकट जो आया

(राम सिया राम, सिया राम, जय-जय राम) नाना

(राम सिया राम, सिया राम, जय-जय राम) भाँति आवो अवतरा

(राम सिया राम, सिया राम, जय-जय राम) रामायण सतकोटी अपरा

Songwriter : Ravindra Jain

Mangal Bhavan Amangal Hari lyrics 

Mangal bhavan amangal hari lyrics in English

Mangal Bhavan Amangal Haari

Drabahu Su Dasharath Achar Bihari

Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram

Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram

Ho.. Hoi Hai Wohi Jo Ram Rachi Raakha

Ko Kari Tarak Badhave Saakha

Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram

Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram

Ho.. Dheeraj Dharam Mirta Aru Naari

Aapad Kaal Parakhiye Chaari

(Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram, Ram

Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram)

Ho.. Jehike Jehi Par Satya Sanehu

So Tehi Milaye Na Kachhu Sandehu

(Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram, Ram

Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram)

Ho.. Jaaki Rahi Bhavana Jaisi

Prabhu Murti Dekhi Teen Taisi

(Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram, Ram

Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram)

Ho.. Raghukul Reet Sada Chali Aayi

Pran Jaaye Par Vachan Na Jaayi

(Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram, Ram

Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram)

Ho.. Hari Ananta Hari Katha Ananta

Kahahi Sunhi Bahuvidhi Sab Santa

(Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram, Ram

Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram)

Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram

     चौपाई का हिंदी भावार्थ 

मंगल भवन अमंगल हारी।

द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी।।

अर्थ : जो सभी मंगलों के आधार हैं, जो मंगल करने वाले और अमंगल  को हरण करनेवाले हो,  दूर करने वाले हो ऐसे आप  दशरथजी के आंँगन में विहार करनेवाले हैं,हे श्री राम! आप मुझ पर द्रवित हों, मुझपर अपनी कृपा वृष्टि करें।

होइहि सोइ जो राम रचि राखा।

को करि तर्क बढ़ावै साखा॥

अर्थ : वही होना निश्चित है  जो भगवान राम ने पहले से ही नियत कर रखा है। और इसलिए व्यर्थ के तर्क करके इस बात पर बहुत सारा विवाद करना व्यर्थ है।

हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी।

आपद काल परखिये चारी।।

अर्थ : जब अपने जीवन में आपत्ति का या मुसीबत का समय होता है तब ही हमारे धीरज की हमारे धर्म की और हमारे मित्र की मित्रता की और पत्नी की परीक्षा होती है। अन्य समय में तो सब कुछ सामान्य रहता है। और इन बातों का पता नहीं लगाया जा सकता कि वे हमारे कितने सच्चे मित्र आदि हैं। वे अपना कर्तव्य या धर्म हमारे प्रति निर्वाह करते हैं या नहीं यह आपत्ति के समय ही पता चलता है।

जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू।

सो तेहि मिलहिं न कछु सन्देहू।।

अर्थ : जिसकी जिसके प्रति सच्चा प्रीति  अथवा गहरा स्नेहा होता है उसे वह अवश्य ही मिलता है इसमें किसी भी प्रकार का कोई संदेह नहीं है।

हो, जाकी रही भावना जैसी।

प्रभु मूरति देखी तिन तैसी।।

अर्थ : ईश्वर में जिसकी जैसी भावना होती है ईश्वर के विग्रह से उसे वैसा ही अनुभव होता है।

रघुकुल रीत सदा चली आई।

प्राण जाए पर वचन न जाई।।

अर्थ : रघुवंश में जन्म लेने वाले, जिनके नाम से इस वंश का नाम रघुवंश पड़ा है। ऐसे राजा रघु के कुल में यह परंपरा चली आई है कि भले ही प्राण चले जाएंँ किंतु रघुकुल के लोग सदैव अपना वचन अवश्य निभाते हैं।

हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता।

कहहि सुनहि बहुविधि सब संता।।

अर्थ : ईश्वर का एक नाम अनंत है अर्थात वे सर्व व्याप्त है कहीं भी उनका अंत नहीं है अनंत हैं वे। उसी प्रकार ईश्वर की कथा भी अनंत है उसकी भी कोई सीमा नहीं है। ऐसी कथा को संत लोग भिन्न-भिन्न प्रकार से कहते और सुनते रहते हैं।

FAQs

Q. अजिर बिहारी का मतलब क्या होता है?

Ans – अजिर यानि आँगन व बिहारी मतलब विहरने वाला या घूमने वाला। तो द्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी का अर्थ है – बाल रूप में दशरथ के आँगन मे विचरण करने वाले हे श्री राम, हम पर प्रसन्न हों। मंगल करने वाले व अमंगल को हरने वाले, बाल रूप में दशरथ के आँगन मे विचरण करने वाले, हे श्री राम, हम पर प्रसन्न हों।

Q. मंगल भवन अमंगल हारी द्रवहु सो दशरथ अजिर बिहारी इन पंक्तियों में कौन सा छंद है?

Ans – इन पंक्तियों में चौपाई छन्द का प्रयोग हुआ है, अन्य विकल्प असंगत है, अत: विकल्प 2 ‘चौपाई’ सही उत्तर होगा। चौपाई मात्रिक सम छंद है।

Q. मंगल भवन अमंगल हारी द्रवहु सुदसरथ अचर बिहारी।

(अर्थ : जो मंगल करने वाले है और अमंगल को दूर करने वाले है , वो दशरथ नंदन श्री राम है, वो मुझपर अपनी कृपा करे.)

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