ghar se nikalte hi lyrics in hindi
(घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही
रस्ते में है उसका घर
कल सुबह देखा तो बल बनती वो
खिड़की में आयी नज़र) -२
मासूम चहरा, नीची निगाहें
भोली सी लड़की, भोली अदायें
न अप्सरा है, न वो परी है
लेकिन यह उसकी जादूगरी है
दीवाना कर के वो, एक रँग भर के वो
शर्मा के देखे जिधर
घर से निकलते ही कुछ दूर चलते ही
रस्ते में है उसका घर …
करता हूँ उसके घर के मैं फेरे
हँसने लगे हैं अब दोस्त मेरे
सच कह रहा हूँ, उसकी कसम है
मैं फिर भी खुश हूँ, बस एक ग़म है
जिसे प्यार करता हूँ, मैं जिसपे मरता हूँ
उसको नहीं है खबर
घर से निकलते ही कुछ दूर चलते ही
रस्ते में है उसका घर …
लड़की है जैसे, कोई पहेली
कल जो मिली मुझको उसकी सहेली
मैंने कहा उसको, जाके यह कहना
अच्छा नहीं है, यूँ दूर रहना
कल शाम निकले वो, घर से तहलने को
मिलना जो चाहे अगर
घर से निकलते ही कुछ दूर चलते ही
रस्ते में है उसका घर …
ghar se nikalte hi lyrics in english
Ghar se nikalate hi
Kuchh dur chalate hi
Raste men hai usaka ghar
Kal subah dekha to
Baal banaati wo
Khidaki men ai nazar
Maasum chehara, nichi nigaahen
Bholi si ladaki, bholi adaaen
Na apsara hai, na wo pari hai
Lekin ye usaki jaadugari hai
Diwaana kar de wo, ek rng bhar de wo
Sharma ke dekhe jidhar
Karata hun usake ghar ke main fere
Hnsane lage hain ab dost mere
Sach kah raha hun usaki kasam hai
Main fir bhi khush hun bas ek gam hai
Jise pyaar karata hun main jisape marata hun
Usako nahin hai khabar
Ladaki hai jaise koi paheli
Kal jo mili mujhako usaki saheli
Mainne kaha usako ja ke ye kahana
Achchha nahin hai yun dur rahana
Kal shaam nikale wo ghar se tahalane ko
Milana jo chaahe agar
About Film :
गीतकार : जावेद अख्तर,
गायक : उदित नारायण,
संगीतकार : राजेश रोशन,
फ़िल्म: पापा कहते हैं
कलाकार: उदित नारायण
रिलीज़: 1996
पुरस्कार: सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार
शैली: भारतीय फ़िल्म पॉप
नामांकन: सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिए फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार
पापा कहते हैं, महेश भट्ट द्वारा निर्देशित 1996 की भारतीय हिंदी रोमांस फिल्म है। फिल्म में जुगल हंसराज और मयूरी कांगो ने अभिनय किया, जबकि टीकू तल्सानिया, अनुपम खेर और आलोक नाथ सहायक भूमिकाओं में थे।
कथानक
स्वीटी अपनी मां, नानी और दादा के साथ रहती है। वह बहुत विद्रोही, भावुक और अड़ियल है और स्कूल में अपने सहपाठियों के साथ उसका व्यवहार ठीक नहीं रहता। वह बस इतना जानती है कि उसे घर पर अपने पिता के बारे में बात करने की अनुमति नहीं है। उसे पता चलता है कि वह सेशेल्स में है और वहां से भाग जाती है।
जब वह सेशेल्स पहुंचती है, तो उसे अपने पिता नहीं मिलते, जिनसे मिलने के लिए वह बहुत उत्सुक थी। एक कड़ी समुद्री पुरातत्वविद् श्री गांधीभाई की मृत्यु है, जो यह जानते हैं कि उनके पिता कहाँ हैं। संयोग से, उसके पिता उसी होटल में हैं जिसमें वह है। वह एक अन्य महिला स्वाति सिन्हा के साथ रह रहे हैं, जिसने एक अन्य पुरुष को तलाक दे दिया था। उसके पिता इस बात से बिल्कुल भी रोमांचित नहीं हैं कि एक किशोर बेटी आकर उनके जीवन और मामलों में बाधा डालेगी। सेशेल्स में स्वीटी की मुलाकात रोहित दीक्षित से होती है और उन्हें एक-दूसरे से प्यार हो जाता है। श्री आनंद और स्वीटी ने एक पिता-बेटी का रिश्ता विकसित किया है, इस तथ्य से अनजान हैं कि वे संबंधित हैं। बाद में, कहानी में कई मोड़ आते हैं, जो अंततः सुखद अंत पर समाप्त होती है।