Ram aayenge to angana sajaungi lyrics  / (राम आएँगे तो अंगना  सजाऊँगी)


Ram aayenge to angana sajaungi lyrics In English


बात उस वक्त की हैं जब भगवान् श्री राम का जन्म भी नहीं हुआ था. भील जाति के एक कबीले जिसके राजा(मुखिया) अज थे. अज के घर में एक कन्या का जन्म हुआ जिसका नाम श्रमणा था. श्रमणा, शबरी का ही दूसरा नाम हैं. शबरी की माता का नाम – इन्दुमति था. शबरी की जाति – शबर थी, जो कि भील से सम्बंधित थी|शबरी बचपन में पक्षियों से अलौकिक बातें किया करती थी, जो सभी के लिए आश्चर्य का विषय था|धीरे शबरी बड़ी हुई, लेकिन उसकी कुछ हरकते अज और इंदुमति की समझ से परे थे|

समय रहते शबरी के बारे में उसके माता पिता ने किसी ब्राह्मण से पुछा की वह वैराग्य की बातें करती हैं. ब्राह्मण ने सलाह दी की इसका विवाह करवा दो|राजा अज और भीलरानी इन्दुमति ने शबरी के विवाह के लिए एक बाड़े में पशु पक्षियों को जमा कर दिए, फिर जब इन्दुमति शबरी के बाल बना रही थी तो शबरी ने पुछा कि – माँ हमारे बाड़े में इतने पशु पक्षी क्यों हैं? तब इंदुमती बताती हैं, ये तुम्हारे विवाह की दावत के लिए हैं, तुम्हारे विवाह के दिन इन पशु पक्षियों का विशाल भोज तैयार किया जायेगा|

शबरी (श्रमणा) को यह बात कुछ ठीक नहीं लगी, मेरे विवाह के लिए इतने जीवो का बलिदान नहीं देने दूंगी. अगर विवाह के लिए इतने जीवों की बलि दी जाएगी तो मैं विवाह ही नहीं करुँगी. श्रमणा ने रात्रि में सभी पशु पक्षियों को आज़ाद कर दिया, जब श्रमणा(शबरी) बाड़े के किवाड़ को खोल रही थी तो, उसको किसी ने देख लिया. इस बात से शबरी डर गयी. शबरी वहां से भाग निकली. शबरी भागते भागते ऋषिमुख पर्वत पर पहुँच गयी, जहाँ पर 10,000 ऋषि रहते थे.

इसके बावजूद शबरी छुपते हुए कुछ दिनों तक, जब तक वह पकड़ी नहीं गयी, रोज सवेरे ऋषियों के आश्रम में आने वाले पत्तों को साफ कर देती थी, और हवन के लिए सुखी लकड़ियों का बंदोबस्त भी कर देती, बड़े ही भाव से शबरी सविंधाओ से लकड़ियों को ऋषियों के हवन कुण्ड के पास रख देती थी. कुछ दिनों तक ऋषि समझ नही पाए, कि कौन हैं जो, उनके सारे नित्य के काम निपटा रहे हैं? कही कोई माया तो नहीं हैं. फिर जब ऋषियों ने अगले दिन सवेरे जल्दी शबरी को देखा तो उन्होंने शबरी को पकड लिया.

ऋषियों ने शबरी से उसका परिचय पुछा तो शबरी ने बताया की वह एक भीलनी हैं, एक ऋषि, ऋषि मतंग ने शबरी को अपनी बेटी कहकर उसको एक कुटिया में शरण दी, और सेवा करने को कहा. समय बीतता गया, मतंग ऋषि बूढ़े हो गए. मतंग ऋषि ने घोषणा की – अब मैं अपनी देह छोड़ना चाहता हूँ. तब शबरी ने कहा कि एक पिता को मैं वहां पर छोड़कर आयी, और आज आप भी मुझे छोड़कर जा रहे हैं, अब मेरा कौन ख्याल रखेगा?

मतंग ऋषि ने कहा – बेटी तुम्हारा ख्याल अब राम रखेंगे. शबरी सरलता से कहती हैं – राम कौन हैं? और मैं उन्हें कहाँ ढूढून्गी. बेटी तुम्हे उनको खोजने की जरुरत नहीं हैं. वो स्वयं तुम्हारी कुटिया पर चलकर आयेंगे. शबरी ने मतंग ऋषि के इस वचन को पकड़ लिया कि राम आयेंगे. शबरी रोज भगवान् के लिए फूल बिछा कर रखती, उनके लिए फल तोड़कर लाती, और पूरे दिन भगवान् श्री राम का इंतजार करती. इंतजार करते करते शबरी बूढी हो गई, लेकिन अब तक राम नहीं आये. फिर एक दिन आ ही गया – जब शबरी के वर्षों का इंतज़ार खत्म होने वाला था. शबरी ने फूल बिछा कर रखे थे.

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