चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ दशमोऽध्यायः ॥ 10 ॥
atha daśamō’dhyāyaḥ ॥ 10 ॥
आप्तद्वेषाद्भवेनमृत्युःपरद्वेषा जनक्षयः ॥ राजद्वेषाद्भवेन्नाशोब्रह्मद्वेषात्कुलक्षयः ॥११॥ अर्थ - बड़ों के द्वेष से मृत्यु होती है शत्रु से विरोध करने से धन का क्षय है, राजा के द्वेष से नाश और ब्राह्मण के द्वेष से कुल का क्षय होता है ॥ ११ ॥ āptadvēṣādbhavēnamr̥tyuḥparadvēṣā janakṣayaḥ ॥ rājadvēṣādbhavēnnāśōbrahmadvēṣātkulakṣayaḥ ॥11॥ Meaning - Hatred of elders leads to death, opposition to the enemy leads to loss of wealth, hatred of the king leads to destruction and hatred of a Brahmin leads to loss of the family. 11 ॥ वरंवनेव्याघ्रगजेंद्रसेवितेदुमालयेपत्रफलाबुसे- वनम् ॥ तृणेषुशय्याशतजीर्णवल्कलंनबंधु मध्येधनहीनजीवनम् ॥ १२ ॥ अर्थ - वन में बाघ और बड़े-२ हाथियों से सेवित वृक्ष के नीचे उनके पत्ते फल खाना, व जल का पीना, घास पर सोना, सौ टुकड़े किए बकलों को पहिनना ये श्रेष्ठ है; पर बंधुओं के मध्य में धनहीन का जीना श्रेष्ठ नहीं है ॥ १२ ॥ varaṁvanēvyāghragajēṁdrasēvitēdumālayēpatraphalābusē- vanam ॥ tr̥ṇēṣuśayyāśatajīrṇavalkalaṁnabaṁdhu madhyēdhanahīnajīvanam ॥ 12 ॥ Meaning - It is best to be under the trees in the forest, served by tigers and big elephants, eat their leaves, fruits, drink water, sleep on the grass, wear buckles cut into a hundred pieces; But it is not best for a moneyless person to live among his brothers. 12 ॥ विप्रोवृक्षस्तस्यमूलंचसंध्यावेदाः शाखाधर्मक र्माणिपत्रम् ॥ तस्मान्मूलंयत्नतोरक्षणीयंछिन्ने मूलेनैवशाखानपत्रम् ॥ १३ ॥ अर्थ - ब्राह्मण वृक्ष है, उसकी जड़ संध्या है, वेद शाखा है, और धर्म के कर्म पत्ते हैं, इस कारण प्रयत्न कर के जड़ की रक्षा करनी चाहिये, जड़ कट जाने पर न शाखा रहेगी और न पत्ते ॥ १३ ॥ viprōvr̥kṣastasyamūlaṁcasaṁdhyāvēdāḥ śākhādharmaka rmāṇipatram ॥ tasmānmūlaṁyatnatōrakṣaṇīyaṁchinnē mūlēnaivaśākhānapatram ॥ 13 ॥ Meaning - Brahmin is a tree, its root is Sandhya, Veda is the branch, and the deeds of religion are the leaves, hence one should try and protect the root, if the root is cut, neither the branch nor the leaves will remain. 13 ॥ माताचकमलादेवीपितादेवोजनार्दनः ॥ बांधवा विष्णुभक्ताश्वस्वदेशोभुवनत्रयम् ।१४। अर्थ - जिसकी लक्ष्मी माता है और विष्णु भगवान् पिता हैं और विष्णु के भक्त बांधव हैं उसको तीनों लोक स्वदेश ही हैं ॥ १४ ॥ mātācakamalādēvīpitādēvōjanārdanaḥ ॥ bāṁdhavā viṣṇubhaktāśvasvadēśōbhuvanatrayam |14| Meaning - One who has Lakshmi as his mother and Lord Vishnu as his father and has devotees of Vishnu as his relatives, all the three worlds are his homeland. 14 ॥ एकवृक्षसमारूढानानावर्णाविहंगमाः ॥ प्रभातेदिक्षुदशसुयांतिका परिवेदना ॥ १५ ॥ अर्थ - नाना प्रकार के पखेरू एक वृक्ष पर बैठते हैं प्रभात समय दशों दिशाओं में चले जाते हैं उसमें क्या वेदना या दुख है ॥ १५ ॥ ēkavr̥kṣasamārūḍhānānāvarṇāvihaṁgamāḥ ॥ prabhātēdikṣudaśasuyāṁtikā parivēdanā ॥ 15 ॥ Meaning - Different types of birds sit on a tree in the morning and go in ten directions. What pain or sorrow is there in that? 15.
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 9 श्लोक- 11-15
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।
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