चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ पंचदशोऽध्यायः ॥ 15 ॥
atha paṁcadaśō’dhyāyaḥ ॥ 15 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 15 श्लोक- 11-15
दुरागतंपथिश्रांतंवृयाच गृहमागतम् ॥ अनर्चयित्वा यो घुँक्ते सवैचांडालउच्यते ॥११॥ दूर से आये को, पथ से थके को और निरर्थक (अयआचक वृत्ति से) गृह पर आये को बिना पूछे जो खाता है वह चांडाल ही गिना जाता है ॥ ११ ॥ durāgataṁpathiśrāṁtaṁvr̥yāca gr̥hamāgatam ॥ anarcayitvā yō ghum̐ktē savaicāṁḍālucyatē ॥11॥ The one who comes from a distance, tired from the journey and the one who comes to his home with no intention of eating, eats without asking, is considered a Chandal. ।। 11 ॥ पठंतिचतुरो वेदानधर्मशास्त्राण्यनेकशः ॥ आत्मानंनैवजानंतिदर्वीपाकरसंयथा ॥ १२॥ अर्थ - चतुर लोग चारों वेद और अनेक धर्मशात्र पढ़ते हैं परन्तु आत्मा को नहीं जानते, जैसे करछी पाक के रस को नहीं जानती ॥ ५२ ॥ paṭhaṁticaturō vēdānadharmaśāstrāṇyanēkaśaḥ ॥ ātmānaṁnaivajānaṁtidarvīpākarasaṁyathā ॥ 12॥ Meaning - Clever people read the four Vedas and many dharmaśātra but do not know the soul, just as a ladle does not know the essence of cooking. 52 ॥ धन्याद्विजमयीनांकाविपरीताभवार्णवे ॥ तरंत्वधोगताः सर्वेउपरिस्थाःपतंत्यधः ॥१३॥ अर्थ - यह ब्राह्मणरूप नाव धन्य है संसार रूप संमुद्र में इसकी उल्टी ही रीति है; उसके नीचे रहने वाले सब तरते हैं और ऊपर रहने वाले नीचे गिरते हैं. अर्थात् ब्राह्मण से जो नम्र रहता है. वह तर जाता है और जो नम्र नहीं रहता है वह नरक में गिरता है।१३। dhanyādvijamayīnāṁkāviparītābhavārṇavē ॥ taraṁtvadhōgatāḥ sarvēuparisthāḥpataṁtyadhaḥ ॥13॥ Meaning - This boat in the form of Brahmin is blessed; in the ocean of the world it is the opposite; All those living below it float and those living above them fall. That is, one who remains humble compared to a Brahmin. He gets wet and the one who does not remain humble falls into hell. ।।13.।। अयममृतनिधानं नायकोऽप्यौषधीनाम् अमृतमयशरीरः कांतियुक्तोऽपिचन्द्रः ॥ भवति विगतरश्मिर्मंडलंप्राप्यभानोः परसदननिविष्टः कोलघुत्वंनयाति ॥ १४ ॥ अर्थ - अमृतका घर औषधियों का अधिपति जिसका शरीर अमृतमय और शोभा से युक्त भी चंद्रमा सूर्य के मंडल में जाकर निस्तेज हो जाता है, दूसरे के घर में बैठकर कौन लघुता नहीं पाता ॥ १४ ॥ ayamamr̥tanidhānaṁ nāyakō ’pyauṣadhīnām amr̥ta mayaśarīraḥ kāṁtiyuktō’picandraḥ ॥ bhavati vigataraśmirmaṁḍalaṁprāpyabhānōḥ parasadananiviṣṭaḥ kōlaghutvaṁnayāti ॥ 14 ॥ Meaning - The house of nectar, the lord of medicines, whose body is full of nectar and beauty, even when the moon goes into the circle of the sun, it becomes dull, who does not feel inferior by sitting in someone else's house? 14 ॥ अलिरयंनलिनीदलमध्यगः कमलिनी मकरंदम दालसः॥ विधिवशात्परदेशमुपागता कुटजपुष्प रसंबहुमन्यते ॥ १५ ॥ अर्थ - यह भौंरा जब कमलिनी के पत्तों के मध्य था तब कमलिनी के फूल के रस से आलसी बना रहता था। अब दैववश से पर देश में आकर तोरैया के फूल को बहुत समझता है ॥ १५ ॥ alirayaṁnalinīdalamadhyagaḥ kamalinī makaraṁdama dālasaḥ॥ vidhivaśātparadēśamupāgatā kuṭajapuṣpa rasaṁbahumanyatē ॥ 15 ॥ Meaning - When this bumblebee was among the leaves of Kamalini, he remained lazy with the juice of Kamalini flower. Now, by God's will, after coming to the country, he understands the ridge gourd flower very well. ।। 15.।।
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।
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