Category: Bhajan (Page 1 of 3)

tum prem ho tum preet ho lyrics

tum prem ho tum preet ho lyrics in hindi

तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो।

मेरी बांसुरी का गीत हो.

तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो।

मनमीत हो, राधे, मेरी मनमीत हो.

तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो।

मनमीत हो, राधे, मेरी मनमीत हो.

तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो।

मेरी बांसुरी का गीत हो.

तुम ही हृदय में, प्राण में, कान्हा।

तुम ही हृदय में, प्राण में।

निस-दिन तुम्हीं हो ध्यान में।

तुम ही हृदय में, प्राण में।

निस-दिन तुम्हीं हो ध्यान में।

हर रोम में तुम हो आधारित।

हर रोम में तुम हो आधारित।

तुम श्वास के आह्वान में।

हर रोम में तुम हो आधारित।

हर रोम में तुम हो आधारित।

हर रोम में तुम हो आधारित।

तुम श्वास के आह्वान में।

तुम प्रीत हो, तुम गीत हो।

मनमीत हो, कान्हा, मेरे मनमीत हो।

तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो।

मनमीत हो, राधे, मेरी मनमीत हो.

तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो।

मेरी बांसुरी का गीत हो.

हूं मैं जहां, तुम हो वहां, राधा।

हूं मैं जहां, तुम हो वहां.

तुम बिन नहीं है कुछ यहाँ।

हूं मैं जहां, तुम हो वहां.

तुम बिन नहीं है कुछ यहाँ।

मुझ में धड़कती हो तुम।

मुझ में धड़कती हो तुम।

तुम दूर मुझ से हो कहाँ।

तुम श्वास के आह्वान में।

तुम प्रीत हो, तुम गीत हो।

मनमीत हो, कान्हा, मेरे मनमीत।

तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो।

मनमीत हो, राधे, मेरी मनमीत.

तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो।

मेरी बांसुरी का गीत हो.

हूं मैं जहां, तुम हो वहां, राधा।

हूं मैं जहां, तुम हो वहां.

तुम बिन नहीं है कुछ यहाँ।

हूं मैं जहां, तुम हो वहां.

तुम बिन नहीं है कुछ यहाँ।

मुझ में धड़कती हो तुम।

मुझ में धड़कती हो तुम।

तुम दूर मुझ से हो कहाँ।

तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो।

मनमीत हो, राधे, मेरी मनमीत हो.

तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो।

मनमीत हो, राधे, मेरी मनमीत हो.

तुम प्रेम हो, तुम प्रीत हो।

पावन प्रणय की रीत हो।

राधा-कृष्ण, कृष्ण-राधा.

राधा-कृष्ण (कृष्ण), कृष्ण-राधा (कृष्ण)।

tum prem ho tum preet ho lyrics in english

tum prema ho, tum preet ho

meri baansuri ka geet ho

tum prema ho, tum preet ho

manameet ho, raadhe, meri manameet ho

tum prema ho, tum preet ho

manameet ho, raadhe, meri manameet ho

tum prema ho, tum preet ho

meri baansuri ka geet ho

tum hee hriday mein, praan mein, kanha

tum hee hriday mein, praan mein

nis-din tumheen ho dhyaan mein

tum hee hriday mein, praan mein

nis-din tumheen ho dhyaan mein

har rome mein tum ho based

har rome mein tum ho based

tum shwaas ke aahvaan mein

har rome mein tum ho based

har rome mein tum ho based

har rome mein tum ho based

tum shwaas ke aahvaan mein

tum preet ho, tum geet ho

manameet ho, kanha, mere manameet ho

tum prema ho, tum preet ho

manameet ho, raadhe, meri manameet ho

tum prema ho, tum preet ho

meri baansuri ka geet ho

hoon main jahaan, tum ho vahaan, raadha

hoon main jahaan, tum ho vahaan

tum bin nahin hai kuch yahaan

hoon main jahaan, tum ho vahaan

tum bin nahin hai kuch yahaan

mujh mein dhadkati ho tumheen

mujh mein dhadkati ho tumheen

tum door mujh se ho kahaan

tum shwaas ke aahvaan mein

tum preet ho, tum geet ho

manameet ho, kanha, mere manameet

tum prema ho, tum preet ho

manameet ho, raadhe, meri manameet

tum prema ho, tum preet ho

meri baansuri ka geet ho

hoon main jahaan, tum ho vahaan, raad

hoon main jahaan, tum ho vahaan

tum bin nahin hai kuch yahaan

hoon main jahaan, tum ho vahaan

tum bin nahin hai kuch yahaan

mujh mein dhadkati ho tumheen

mujh mein dhadkati ho tumheen

tum door mujh se ho kahaan

tum prema ho, tum preet ho

manameet ho, raadhe, meri manameet ho

tum prema ho, tum preet ho

manameet ho, raadhe, meri manameet ho

tum prema ho, tum preet ho

paavan pranay kee reet ho

raadha-krshn, krshn-raadha

raadha-krshn (krshn), krshn-raadha (krshn)

Raghupati Raghav Raja Ram Lyrics

रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम(Raghupati Raghav Raja Ram)

रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम(Raghupati Raghav Raja Ram)
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥
सुंदर विग्रह मेघश्याम
गंगा तुलसी शालग्राम ॥
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥
भद्रगिरीश्वर सीताराम
भगत-जनप्रिय सीताराम ॥
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥
जानकीरमणा सीताराम
जयजय राघव सीताराम ॥
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥

  • हिंदी दिवस पर कविता(hindi Diwas Par Kavita)
    हिंदी दिवस पर कविता(hindi Diwas Par Kavita) 14 सितंबर को ‘हिन्दी दिवस’ मनाया जाता है। संवैधानिक रूप से हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है किंतु सरकारों ने उसे उसका प्रथम स्थान न देकर अन्यत्र धकेल दिया यह दुखदाई है। हिंदी को राजभाषा के रूप में देखना और हिंदी दिवस के रूप में उसका सम्मान… Read more: हिंदी दिवस पर कविता(hindi Diwas Par Kavita)
  • कैदी और कोकिला/
    पं.माखनलाल चतुर्वेदी  कैदी और कोकिला 1क्या गाती हो?क्यों रह-रह जाती हो? कोकिल बोलो तो ! क्या लाती हो? सन्देशा किसका है? कोकिल बोलो तो ! 2ऊँची काली दीवारों के घेरे में, डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में, जीने को देते नहीं पेट भर खाना, मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना ! जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है, शासन है, या तम का… Read more: कैदी और कोकिला/
  • Pushp Ki Abhilasha
    पुष्प की अभिलाषा पुष्प की अभिलाषा /पं.माखनलाल चतुर्वेदी  चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ।चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ॥चाह नहीं, सम्राटों के शव पर, हे हरि, डाला जाऊँ।चाह नहीं, देवों के सिर पर चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ॥मुझे तोड़ लेना वनमाली!उस पथ में देना तुम फेंक॥मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने।जिस पथ जावें… Read more: Pushp Ki Abhilasha
  • Joke in hindi
    joke in hindi -जोक (Joke) का मतलब है हंसी-मजाक, चुटकुला या विनोदपूर्ण बात। यह एक ऐसी कहानी या वाक्य होता है जिसे सुनकर लोग हंसते हैं। जोक्स का इस्तेमाल मनोरंजन के लिए किया जाता है और हंसी-खुशी का माहौल बनाने में मदद करते हैं।
  • भज गोविन्दं  (BHAJ GOVINDAM)
    आदि गुरु श्री शंकराचार्य विरचित  Adi Shankara’s Bhaja Govindam Bhaj Govindam In Sanskrit Verse Only भज गोविन्दं भज गोविन्दं भजमूढमते । संप्राप्ते सन्निहिते काले नहि नहि रक्षति डुकृञ्करणे ॥ १ ॥ मूढ जहीहि धनागमतृष्णां कुरु सद्बुद्धिं मनसि वितृष्णाम् । यल्लभसे निजकर्मोपात्तं वित्तं तेन विनोदय चित्तम् ॥ २ ॥ नारीस्तनभर नाभीदेशं दृष्ट्वा मागामोहावेशम् । एतन्मांसावसादि विकारं… Read more: भज गोविन्दं  (BHAJ GOVINDAM)

Saja Do Ghar Ko Gulshan Sa Avadh Me Ram Aaye Hain Lyrics

सजा दो घर का गुलशन सा, अवध में राम आए हैं (Saja Do Ghar Ko Gulshan Sa Avadh Me Ram Aaye Hain Lyrics)



  • हिंदी दिवस पर कविता(hindi Diwas Par Kavita)
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  • Joke in hindi
    joke in hindi -जोक (Joke) का मतलब है हंसी-मजाक, चुटकुला या विनोदपूर्ण बात। यह एक ऐसी कहानी या वाक्य होता है जिसे सुनकर लोग हंसते हैं। जोक्स का इस्तेमाल मनोरंजन के लिए किया जाता है और हंसी-खुशी का माहौल बनाने में मदद करते हैं।
  • भज गोविन्दं  (BHAJ GOVINDAM)
    आदि गुरु श्री शंकराचार्य विरचित  Adi Shankara’s Bhaja Govindam Bhaj Govindam In Sanskrit Verse Only भज गोविन्दं भज गोविन्दं भजमूढमते । संप्राप्ते सन्निहिते काले नहि नहि रक्षति डुकृञ्करणे ॥ १ ॥ मूढ जहीहि धनागमतृष्णां कुरु सद्बुद्धिं मनसि वितृष्णाम् । यल्लभसे निजकर्मोपात्तं वित्तं तेन विनोदय चित्तम् ॥ २ ॥ नारीस्तनभर नाभीदेशं दृष्ट्वा मागामोहावेशम् । एतन्मांसावसादि विकारं… Read more: भज गोविन्दं  (BHAJ GOVINDAM)

भए प्रगट कृपाला दीन दयाला-bhaye pragat kripala deendayala

भए प्रगट  कृपाला दीन दयाला

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी ।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी ॥
लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,
निज आयुध भुजचारी ।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला,
सोभासिंधु खरारी ॥
कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी,
केहि बिधि करूं अनंता ।
माया गुन ग्यानातीत अमाना,
वेद पुरान भनंता ॥
करुना सुख सागर, सब गुन आगर,
जेहि गावहिं श्रुति संता ।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी,
भयउ प्रगट श्रीकंता ॥
ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया,
रोम रोम प्रति बेद कहै ।
मम उर सो बासी, यह उपहासी,
सुनत धीर मति थिर न रहै ॥
उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना,
चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै ।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई,
जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ॥
माता पुनि बोली, सो मति डोली,
तजहु तात यह रूपा ।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला,
यह सुख परम अनूपा ॥
सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना,
होइ बालक सुरभूपा ।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं,
ते न परहिं भवकूपा ॥
भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी ।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी ॥

राम नवमी

ramnavami

रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है जो अप्रैल-मई में आता है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था। 

चैत्रे नवम्यां प्राक् पक्षे दिवा पुण्ये पुनर्वसौ ।

उदये गुरुगौरांश्चोः स्वोच्चस्थे ग्रहपञ्चके ॥

मेषं पूषणि सम्प्राप्ते लग्ने कर्कटकाह्वये ।

आविरसीत्सकलया कौसल्यायां परः पुमान् ॥ (निर्णयसिन्धु)

गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस बालकाण्ड में स्वयं लिखा है कि उन्होंने रामचरित मानस की रचना का आरम्भ अयोध्यापुरी में विक्रम सम्वत् १६३१ (१५७४ ईस्वी) के रामनवमी (मंगलवार) को किया था। गोस्वामी जी ने रामचरितमानस में श्रीराम के जन्म का वर्णन कुछ इस प्रकार किया है-

भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।

हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी॥

लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी।

भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी॥

कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता।

माया गुन ग्यानातीत अमाना वेद पुरान भनंता॥

करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता।

सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रकट श्रीकंता॥

श्रीराम जन्म कथा

हिन्दु धर्म शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने तथा धर्म की पुनः स्थापना के लिये भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रूप में अवतार लिया था। श्रीराम चन्द्र जी का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी  के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में रानी कौशल्या की कोख से, राजा दशरथ के घर में हुआ था।

सम्पूर्ण भारत में रामनवमी मनायी जाती है। तेलंगण का भद्राचलम मन्दिर उन स्थानों में हैं जहाँ रामनवमी बड़े धूमधाम से मनायी जाती है।

श्रीरामनवमी का त्यौहार पिछले कई हजार सालों से मनाया जा रहा है।

रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियाँ थीं लेकिन बहुत समय तक कोई भी राजा दशरथ को सन्तान का सुख नहीं दे पायी थीं जिससे राजा दशरथ बहुत परेशान रहते थे। पुत्र प्राप्ति के लिए राजा दशरथ को ऋषि वशिष्ठ ने पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराने को विचार दिया। इसके पश्चात् राजा दशरथ ने अपने जमाई, महर्षि ऋष्यश्रृंग से यज्ञ कराया। तत्पश्चात यज्ञकुण्ड से अग्निदेव अपने हाथों में खीर की कटोरी लेकर बाहर निकले। 

यज्ञ समाप्ति के बाद महर्षि ऋष्यश्रृंग ने दशरथ की तीनों पत्नियों को एक-एक कटोरी खीर खाने को दी। खीर खाने के कुछ महीनों बाद ही तीनों रानियाँ गर्भवती हो गयीं। ठीक 9 महीनों बाद राजा दशरथ की सबसे बड़ी रानी कौशल्या ने श्रीराम को जो भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे, कैकयी ने श्रीभरत को और सुमित्रा ने जुड़वा बच्चों श्रीलक्ष्मण और श्रीशत्रुघ्न को जन्म दिया। भगवान श्रीराम का जन्म धरती पर दुष्ट प्राणियों को संघार करने के लिए हुआ था।

आदि श्रीराम

कबीर साहेब जी आदि श्रीराम की परिभाषा बताते है की आदि श्रीराम वह अविनाशी परमात्मा है जो सब का सृजनहार व पालनहार है। जिसके एक इशारे पर‌ धरती और आकाश काम करते हैं जिसकी स्तुति में तैंतीस कोटि देवी-देवता नतमस्तक रहते हैं। जो पूर्ण मोक्षदायक व स्वयंभू है।[6]

“एक श्रीराम दशरथ का बेटा, एक श्रीराम घट घट में बैठा, एक श्रीराम का सकल उजियारा, एक श्रीराम जगत से न्यारा”।।

रामनवमी पूजन

राम, सीता, लक्ष्मण एवं हनुमान राम नवमी पूजन में एक घर में रामनवमी के त्यौहार का महत्व हिंदु धर्म सभ्यता में महत्वपूर्ण रहा है। इस पर्व के साथ ही माँ दुर्गा के नवरात्रों का समापन भी होता है। हिन्दू धर्म में रामनवमी के दिन पूजा अर्चना की जाती है। रामनवमी की पूजा में पहले देवताओं पर जल, रोली और लेपन चढ़ाया जाता है, इसके बाद मूर्तियों पर मुट्ठी भरके चावल चढ़ाये जाते हैं। पूजा के बाद आ‍रती की जाती है। कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते है।

रामनवमी का महत्व

यह पर्व भारत में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाती है। हिंदु धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था अत: इस शुभ तिथि को भक्त लोग रामनवमी के रूप में मनाते हैं एवं पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य के भागीदार होते है।

Credit for this Article – (विकिपीडिया)


  • हिंदी दिवस पर कविता(hindi Diwas Par Kavita)
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  • कैदी और कोकिला/
    पं.माखनलाल चतुर्वेदी  कैदी और कोकिला 1क्या गाती हो?क्यों रह-रह जाती हो? कोकिल बोलो तो ! क्या लाती हो? सन्देशा किसका है? कोकिल बोलो तो ! 2ऊँची काली दीवारों के घेरे में, डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में, जीने को देते नहीं पेट भर खाना, मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना ! जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है, शासन है, या तम का… Read more: कैदी और कोकिला/
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  • Joke in hindi
    joke in hindi -जोक (Joke) का मतलब है हंसी-मजाक, चुटकुला या विनोदपूर्ण बात। यह एक ऐसी कहानी या वाक्य होता है जिसे सुनकर लोग हंसते हैं। जोक्स का इस्तेमाल मनोरंजन के लिए किया जाता है और हंसी-खुशी का माहौल बनाने में मदद करते हैं।
  • भज गोविन्दं  (BHAJ GOVINDAM)
    आदि गुरु श्री शंकराचार्य विरचित  Adi Shankara’s Bhaja Govindam Bhaj Govindam In Sanskrit Verse Only भज गोविन्दं भज गोविन्दं भजमूढमते । संप्राप्ते सन्निहिते काले नहि नहि रक्षति डुकृञ्करणे ॥ १ ॥ मूढ जहीहि धनागमतृष्णां कुरु सद्बुद्धिं मनसि वितृष्णाम् । यल्लभसे निजकर्मोपात्तं वित्तं तेन विनोदय चित्तम् ॥ २ ॥ नारीस्तनभर नाभीदेशं दृष्ट्वा मागामोहावेशम् । एतन्मांसावसादि विकारं… Read more: भज गोविन्दं  (BHAJ GOVINDAM)

Ram aayenge to angana sajaungi lyrics  / (राम आएँगे तो अंगना  सजाऊँगी)

Ram aayenge to angana sajaungi lyrics  / (राम आएँगे तो अंगना  सजाऊँगी)


Ram aayenge to angana sajaungi lyrics In English


बात उस वक्त की हैं जब भगवान् श्री राम का जन्म भी नहीं हुआ था. भील जाति के एक कबीले जिसके राजा(मुखिया) अज थे. अज के घर में एक कन्या का जन्म हुआ जिसका नाम श्रमणा था. श्रमणा, शबरी का ही दूसरा नाम हैं. शबरी की माता का नाम – इन्दुमति था. शबरी की जाति – शबर थी, जो कि भील से सम्बंधित थी|शबरी बचपन में पक्षियों से अलौकिक बातें किया करती थी, जो सभी के लिए आश्चर्य का विषय था|धीरे शबरी बड़ी हुई, लेकिन उसकी कुछ हरकते अज और इंदुमति की समझ से परे थे|

समय रहते शबरी के बारे में उसके माता पिता ने किसी ब्राह्मण से पुछा की वह वैराग्य की बातें करती हैं. ब्राह्मण ने सलाह दी की इसका विवाह करवा दो|राजा अज और भीलरानी इन्दुमति ने शबरी के विवाह के लिए एक बाड़े में पशु पक्षियों को जमा कर दिए, फिर जब इन्दुमति शबरी के बाल बना रही थी तो शबरी ने पुछा कि – माँ हमारे बाड़े में इतने पशु पक्षी क्यों हैं? तब इंदुमती बताती हैं, ये तुम्हारे विवाह की दावत के लिए हैं, तुम्हारे विवाह के दिन इन पशु पक्षियों का विशाल भोज तैयार किया जायेगा|

शबरी (श्रमणा) को यह बात कुछ ठीक नहीं लगी, मेरे विवाह के लिए इतने जीवो का बलिदान नहीं देने दूंगी. अगर विवाह के लिए इतने जीवों की बलि दी जाएगी तो मैं विवाह ही नहीं करुँगी. श्रमणा ने रात्रि में सभी पशु पक्षियों को आज़ाद कर दिया, जब श्रमणा(शबरी) बाड़े के किवाड़ को खोल रही थी तो, उसको किसी ने देख लिया. इस बात से शबरी डर गयी. शबरी वहां से भाग निकली. शबरी भागते भागते ऋषिमुख पर्वत पर पहुँच गयी, जहाँ पर 10,000 ऋषि रहते थे.

इसके बावजूद शबरी छुपते हुए कुछ दिनों तक, जब तक वह पकड़ी नहीं गयी, रोज सवेरे ऋषियों के आश्रम में आने वाले पत्तों को साफ कर देती थी, और हवन के लिए सुखी लकड़ियों का बंदोबस्त भी कर देती, बड़े ही भाव से शबरी सविंधाओ से लकड़ियों को ऋषियों के हवन कुण्ड के पास रख देती थी. कुछ दिनों तक ऋषि समझ नही पाए, कि कौन हैं जो, उनके सारे नित्य के काम निपटा रहे हैं? कही कोई माया तो नहीं हैं. फिर जब ऋषियों ने अगले दिन सवेरे जल्दी शबरी को देखा तो उन्होंने शबरी को पकड लिया.

ऋषियों ने शबरी से उसका परिचय पुछा तो शबरी ने बताया की वह एक भीलनी हैं, एक ऋषि, ऋषि मतंग ने शबरी को अपनी बेटी कहकर उसको एक कुटिया में शरण दी, और सेवा करने को कहा. समय बीतता गया, मतंग ऋषि बूढ़े हो गए. मतंग ऋषि ने घोषणा की – अब मैं अपनी देह छोड़ना चाहता हूँ. तब शबरी ने कहा कि एक पिता को मैं वहां पर छोड़कर आयी, और आज आप भी मुझे छोड़कर जा रहे हैं, अब मेरा कौन ख्याल रखेगा?

मतंग ऋषि ने कहा – बेटी तुम्हारा ख्याल अब राम रखेंगे. शबरी सरलता से कहती हैं – राम कौन हैं? और मैं उन्हें कहाँ ढूढून्गी. बेटी तुम्हे उनको खोजने की जरुरत नहीं हैं. वो स्वयं तुम्हारी कुटिया पर चलकर आयेंगे. शबरी ने मतंग ऋषि के इस वचन को पकड़ लिया कि राम आयेंगे. शबरी रोज भगवान् के लिए फूल बिछा कर रखती, उनके लिए फल तोड़कर लाती, और पूरे दिन भगवान् श्री राम का इंतजार करती. इंतजार करते करते शबरी बूढी हो गई, लेकिन अब तक राम नहीं आये. फिर एक दिन आ ही गया – जब शबरी के वर्षों का इंतज़ार खत्म होने वाला था. शबरी ने फूल बिछा कर रखे थे.

Source Link Wikipedia :

Ram Aayenge Lyrics

राम आएँगे /Ram Aayenge Lyrics  

आज गली-गली अवध सजाएँगे 

आज पग-पग पलक बिछाएँगे

ओ, आज गली-गली अवध सजाएँगे 

आज पग-पग पलक बिछाएँगे 

आज सूखे हुए पेड़ फल जाएँगे

नैना भीगे-भीगे जाएँ, कैसे ख़ुशी ये छुपाएँ, 

राम आएँगे कुछ समझ ना पाएँ, 

कहाँ फूल बिछाएँ, 

राम आएँगे नैना भीगे-भीगे जाएँ, 

कैसे ख़ुशी ये छुपाएँ, 

राम आएँगे कुछ समझ ना पाएँ, 

कहाँ फूल बिछाएँ, राम आएँगे

सरजू जल-थल, जल-थल रोई, 

जिस दिन राघव हुए पराए ओ, 

बिरहा के सौ पर्बत पिघले, 

हे रघुराई, तब तुम आए ये वही क्षण है निरंजन, 

जिसको दशरथ देख ना पाए

सरजू जल-थल, जल-थल रोई, 

जिस दिन राघव हुए पराए ओ, 

बिरहा के सौ पर्बत पिघले, हे रघुराई, 

तब तुम आए ये वही क्षण है निरंजन, 

जिसको दशरथ देख ना पाए

सात जन्मों के दुख कट जाएँगे 

आज सरजू के तट मुस्काएँगे 

मोर नाचेंगे, पपीहे आज गाएँगे

आज दसों ये दिशाएँ जैसे शगुन मनाएँ, राम आएँगे 

नैना भीगे-भीगे जाएँ, कैसे ख़ुशी ये छुपाएँ, राम आएँगे 

कभी ढोल बजाएँ, कभी द्वार सजाएँ, राम आएँगे 

कुछ समझ ना पाएँ, कहाँ फूल बिछाएँ, राम आएँगे

जाके आसमानों से तारे माँग लाएँगे 

कौशल्या के लल्ला जी, तुम्हीं पे सब लुटाएँगे 

१४ साल जो रोके, वो आँसू अब बहाएँगे 

अवध में राम आएँगे, हमारे राम आएँगे

नील-गगन से साँवले, कोटि सूर्य सा तेज 

नारायण तज आए हैं शेषनाग की सेज 

“राघव, राघव” करते थे युग-युग से दिन-रैन 

नतमस्तक हैं तीन लोक और सुर-नर करें प्रणाम 

एक चंद्रमा, एक सूर्य, एक जगत में राम एक जगत में राम

आज दसों ये दिशाएँ जैसे शगुन मनाएँ, राम आएँगे 

नैना भीगे-भीगे जाएँ, कैसे ख़ुशी ये छुपाएँ, राम आएँगे 

कभी ढोल बजाएँ, कभी द्वार सजाएँ, राम आएँगे 

कुछ समझ न पाएँ, कहाँ दीप जलाएँ, राम आएँगे

Writer(s): Payal Dev, Manoj Muntashir, Vishal Mishra<br>Lyrics powered by www.musixmatch.com

Ram Aayenge (Lyrical) Vishal Mishra,Payal Dev | Manoj Muntashir | Dipika,Sameer | Kashan | Bhushan K

रामा रामा रटते रटते

रामा रामा रटते रटते

रामा रामा रटते रटते,

बीती रे उमरिया ।

रघुकुल नंदन कब आओगे,

भिलनी की डगरिया ॥

मैं शबरी भिलनी की जाई,

भजन भाव ना जानु रे ।

राम तेरे दर्शन के हित,

वन में जीवन पालूं रे ।

चरणकमल से निर्मल करदो,

दासी की झोपड़िया ॥

॥ रामा रामा रटते रटते..॥

रोज सवेरे वन में जाकर,

फल चुन चुन कर लाऊंगी ।

अपने प्रभु के सन्मुख रख के,

प्रेम से भोग लगाऊँगी ।

मीठे मीठे बेरों की मैं,

भर लाई छबरिया ॥

॥ रामा रामा रटते रटते..॥

रामा रामा रटते रटते,

बीती रे उमरिया ।

रघुकुल नंदन कब आओगे,

भिलनी की डगरिया ॥



govind bolo hari gopal bolo lyrics

YouTube Video Link :

https://youtu.be/obppCkYGqI8?si=JJwIlB7dGDdLp4M6

गोविन्द बोलो हरी गोपाल बोलो लिरिक्स

गोविन्द बोलो हरी गोपाल बोलो,
राधा रमण हरी गोविन्द बोलो,
राधा रमण हरी गोविन्द बोलो,
गोविन्द बोलों हरी गोपाल बोलो ||

ब्रह्मा की जय जय विष्णु की जय जय,
ब्रह्म की जय जय विष्णु की जय जय,
ओ ग्यान की देवी सरस्वती की जय जय,
ओ ग्यान की देवी सरस्वती की जय जय,
गोविन्द बोलों हरी गोपाल बोलो ||

रामजी की जय जय लक्ष्मण जी की जय जय,
रामजी की जय जय लक्ष्मण जी की जय जय,
भरतजी की जय जय शत्रुघ्न जी जय जय,
भरतजी की जय जय शत्रुघ्न जी की जय जय,
जनक दुलारी सीता माता की जय जय,
जनक दुलारी सीता माता की जय जय,
गोविन्द बोलों हरी गोपाल बोलो ||

गंगा की जय जय यमुना की जय जय,
गंगा की जय जय यमुना की जय जय,
त्रिवेणी मात सरस्वती की जय जय,
त्रिवेणी मात सरस्वती की जय जय,
गोविन्द बोलों हरी गोपाल बोलो ||

माता की जय जय पिता की जय जय,
माता की जय जय पिता की जय जय,
अपने अपने गुरूदेव की जय जय,
अपने अपने गुरूदेव की जय जय,
गोविन्द बोलों हरी गोपाल बोलो ||

गोविन्द बोलो हरी गोपाल बोलो,
राधा रमण हरी गोविन्द बोलो,
राधा रमण हरी गोविन्द बोलो,
गोविन्द बोलों हरी गोपाल बोलो ||

Govind Bolo Hari Gopal Bolo Lyrics in English

govind bolo haree gopaal bolo,
raadha raman haree govind bolo,
raadha raman haree govind bolo,
govind bolon haree gopaal bolo..

brahma kee jay jay vishnu kee jay jay,
brahm kee jay jay vishnu kee jay jay,
o gyaan kee devee sarasvatee kee jay jay,
o gyaan kee devee sarasvatee kee jay jay,
govind bolon haree gopaal bolo..

raamajee kee jay jay lakshman jee kee jay jay,
raamajee kee jay jay lakshman jee kee jay jay,
bharatajee kee jay jay shatrughn jee jay jay,
bharatajee kee jay jay shatrughn jee kee jay jay,
janak dulaaree seeta maata kee jay jay,
janak dulaaree seeta maata kee jay jay,
govind bolon haree gopaal bolo..

ganga kee jay jay yamuna kee jay jay,
ganga kee jay jay yamuna kee jay jay,
trivenee maat sarasvatee kee jay jay,
trivenee maat sarasvatee kee jay jay,
govind bolon haree gopaal bolo..

maata kee jay jay pita kee jay jay,
maata kee jay jay pita kee jay jay,
apane apane guroodev kee jay jay,
apane apane guroodev kee jay jay,
govind bolon haree gopaal bolo..

govind bolo haree gopaal bolo,
raadha raman haree govind bolo,
raadha raman haree govind bolo,
govind bolon haree gopaal bolo..

sukh ke sab sathi dukh me na koi lyrics

सुख के सब साथी दुःख में ना कोई

आ आ आ आ आ आ अ आ आ आ आ आ आ

सुख के सब साथी दुःख में ना कोई

सुख के सब साथी दुःख में ना कोई

मेरे राम मेरे राम

तेरा नाम एक साचा दूजा न कोई

सुख के सब साथी दुःख में ना कोई

जीवन आनी-जानी छाया

जीवन आनी-जानी छाया

झूठी माया झूठी काया

फिर काहे को सारी उमरिया

फिर काहे को सारी उमरिया

पाप की गठरी धोई

सुख के सब साथी दुःख में ना कोई

मेरे राम मेरे राम

तेरा नाम एक साचा दूजा न कोई

ना कुछ तेरा ना कुछ मेरा

ना कुछ तेरा ना कुछ मेरा

ये जग जोगी वाला फेरा

राजा हो या रंक सभी का

राजा हो या रंक सभी का

अंत एक सा होई

सुख के सब साथी दुःख में ना कोई

मेरे राम मेरे राम

तेरा नाम एक साचा दूजा न कोई

सुख के सब साथी दुःख में ना कोई

ramji ki nikli sawari lyrics

Time 7.07 ramji ki nikli sawari …

ramji ki nikli sawari lyrics in hindi || राम जी की निकली सवारी भजन लिरिक्स

राम जी की निकली सवारी,

राम जी की लीला है न्यारी।।

श्लोक – हो सर पे मुकुट सजे,

मुख पे उजाला,

हाथ में धनुष गले,

में पुष्प माला,

हम दास इनके,

ये सबके स्वामी,

अन्जान हम ये अन्तरयामी,

शीश झुकाओ राम-गुन गाओ,

बोलो जय विष्णु के अवतारी।

राम जी की निकली सवारी,

राम जी की लीला है न्यारी,

एक तरफ़ लक्ष्मण एक तरफ़ सीता,

बीच में जगत के पालनहारी,

राम जी की निकली सवारीं,

राम जी की लीला है न्यारी।।

धीरे चला रथ ओ रथ वाले,

तोहे ख़बर क्या ओ भोले-भाले,

तोहे ख़बर क्या ओ भोले-भाले,

इक बार देखो जी ना भरेगा,

सौ बार देखो फिर जी करेगा,

व्याकुल पड़े हैं कबसे खड़े हैं,

व्याकुल पड़े हैं कबसे खड़े हैं,

दर्शन के प्यासे सब नर-नारी,

राम जी की निकली सवारीं,

राम जी की लीला है न्यारी।।

चौदह बरस का वनवास पाया,

माता-पिता का वचन निभाया,

माता-पिता का वचन निभाया,

धोखे से हर ली रावण ने सीता,

रावण को मारा लंका को जीता,

रावण को मारा लंका को जीता,

तब-तब ये आए – २,

तब-तब ये आए – २,

जब-जब दुनिया इनको पुकारी,

राम जी की निकली सवारीं,

राम जी की लीला है न्यारी।।

राम जी की निकलीं सवारी,

राम जी की लीला है न्यारी,

एक तरफ़ लक्ष्मण एक तरफ़ सीता,

बीच में जगत के पालनहारी,

राम जी की निकलीं सवारीं,

राम जी की लीला है न्यारी।।

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