Category: सुभाषित-SuBhaShita (Page 7 of 8)

 चाणक्यनीतिदर्पण

चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथद्वितीयोऽध्यायः ॥ 2 ॥

athadvitīyō’dhyāyaḥ ॥ 2 ॥

मातारिपुः पिताशत्रुबीलोयाभ्यांनपाठ्यते ॥ 
सभामध्येनशो अंतर्हसमध्येबकोयथा ॥ ११॥

अर्थ - वह माता शत्रु और पिता बैरी है जिसने अपने बालक को शिक्षा न दी हो, क्योंकि वे सभा के बीच  ऐसे शोभते हैं, जैसे हंसों के बीच बगुला ॥ ११ ॥

mātāripuḥ pitāśatrubīlōyābhyāṁnapāṭhyatē ॥ 
sabhāmadhyēnaśō aṁtarhasamadhyēbakōyathā ॥ 11॥
Meaning - He is the enemy of the mother and the enemy of the father who has not taught his child, because he is as graceful among the gathering as a heron among the swans. ॥ 11 ॥

लालनाद्बहवोदोषास्ताडनाद्वद्दवेोगुणाः ॥ 
तस्मात्पुत्रंचशिष्यं चताडयेन्नतुलालयेत्॥१२॥

अर्थ - दुलारने से (आवश्यकता से अधिक) बहुत दोष होते हैं और दंड देने से बहुत गुण इस हेतु पुत्र और शिष्य को दण्ड देना उचित है,केवल लालना नहीं ॥ १२ ॥

lālanādbahavōdōṣāstāḍanādvaddavēōguṇāḥ ॥ 
tasmātputraṁcaśiṣyaṁ catāḍayēnnatulālayēt॥12॥

Meaning - There are many vices in loving and many virtues in punishment, therefore it is appropriate to punish a son and a disciple, not only  to love them. 12 ॥

श्लोकेन वा तदर्धेन तदर्धार्धाक्षरेण वा ।
अबन्ध्यं दिवसं कुर्याद्दानाध्ययनकर्मभिः ॥ ०२-१३

अर्थ - श्लोक या श्लोक के आधे भाग को अथवा आधे में से आधे को प्रतिदिन पढना उचित है। क्योंकि दान, अध्ययन आदि कर्मों से दिन को सार्थक करना चाहिये ॥ १३ ॥

ślōkēna vā tadardhēna tadardhārdhākṣarēṇa vā |
abandhyaṁ divasaṁ kuryāddānādhyayanakarmabhiḥ ॥ 02-13 ॥
Meaning - It is appropriate to read a verse or half of a verse or half of the verses every day. Because the day should be made meaningful by activities like charity, study etc. 13 ॥

कान्तावियोगः स्वजनापमानं
ऋणस्य शेषं कुनृपस्य सेवा ।
दारिद्र्यभावाद्विमुखं च मित्रं
विनाग्निना पञ्च दहन्ति कायम् ॥कायम् ०२-१४

अर्थ - स्त्री का बिरह, अपने जनो सें अनादर, युद्ध करके बचा शत्रु, कुत्सित राजा की सेवा, दरिद्रता और अविवेकियों की सभा ये बिना आग ही शरीर को जलाते हैं १४ ॥

kāntāviyōgaḥ svajanāpamānaṁ
r̥ṇasya śēṣaṁ kunr̥pasya sēvā |
dāridryabhāvādvimukhaṁ ca mitraṁ
vināgninā pañca dahanti kāyam ॥kāyam 02-14
Meaning - Separation from wife, disrespect from one's own people, enemy saved from war, service to an evil king, poverty and gathering of unreasonable people, these burn the body without fire. 14 ॥


नदीतीरेचयेवृक्षाःपरगेहेषुकामिनि ॥ 
मंत्रिहीनाश्चराजानःशीघ्रनश्यंत्यसंशयम्॥१५॥

अर्थ - नदी के तीर के वृक्ष, दूसरे के घर में (अनुचित रीति से) जाने वाली स्त्री, मंत्री रहित राजा, निश्चय ही ये शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं ॥ १५ ॥

nadītīrēcayēvr̥kṣāḥparagēhēṣukāmini ॥ 
maṁtrihīnāścarājānaḥśīghranaśyaṁtyasaṁśayam॥15॥
Meaning - Trees on the banks of the river, a woman going to someone else's house (improperly), a king without a minister, surely these are soon destroyed. ॥ १५ ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   द्वितीय अध्याय – श्लोक- 11-15

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

 चाणक्यनीतिदर्पण

चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथद्वितीयोऽध्यायः ॥ 2 ॥

athadvitīyō’dhyāyaḥ ॥ 2 ॥


नविश्वसेत्कु मित्रेच मित्रेचापिनविश्वसेत् ॥ 
कदाचित्कुपितोमित्रोसर्वंगुह्यंप्रकाशयेत् ॥६॥

अर्थ - कुमित्र पर विश्वास तो किसी प्रकार से नहीं करना चाहिये। और सुमित्र पर भी विश्वास न रखें। इसका कारण यह है कि, कदाचित् मित्र रुष्ट हो जाय तो सब गुप्त बातों को प्रसिद्ध या प्रकट कर दे और हम संकट में आ जायें यह संभव है॥ ६ ॥

naviśvasētku mitrēca mitrēcāpinaviśvasēt ॥ 
kadācitkupitōmitrōsarvaṁguhyaṁprakāśayēt ॥6॥

Meaning - Kumitra (bad friends) should not be trusted in any way. And don't trust Sumitra (Good Friends) either. The reason for this is that if a friend gets angry then he may make all the secret things public or reveal them and it is possible that we may get into trouble. ।।6॥

मनसाचिंतितं कार्यंवा चानैवप्रकाशयेत् ॥ 
मंत्रेणरक्षयेद्रूढं कार्यंचा पिनियोजयेत् ॥ ७ ॥

अर्थ - मन से सोचे हुये कार्य का प्रकाश वचन से न करें, किंतु मंत्र (गोपनीयता) से उसकी रक्षा करें। और गुप्त ही उस कार्य को संपन्न करें॥ ७ ॥

manasāciṁtitaṁ kāryaṁvā cānaivaprakāśayēt ॥ 
maṁtrēṇarakṣayēdrūḍhaṁ kāryaṁcā piniyōjayēt ॥ 7 ॥
Meaning - Do not reveal the work thought in your mind through words, but protect it with mantra (secrecy). And complete that work secretly. ॥ 7 ॥


कष्टंचखलुमूर्खत्वंकष्टंचखलुयौवनम् ॥ 
कष्टात्कष्टतरं चैवपरगेहनिवासनम् ॥ ८ ॥

अर्थ - मूर्खता दुःख देती है, और युवापन भी दुःख देता है, परंतु दूसरे के गृह का वास तो बहुत ही दुःख दायक होता है ॥ ८ ॥

kaṣṭaṁcakhalumūrkhatvaṁkaṣṭaṁcakhaluyauvanam ॥ 
kaṣṭātkaṣṭataraṁ caivaparagēhanivāsanam ॥ 8 ॥

Meaning - Stupidity gives sorrow, and youth also gives sorrow, but living in someone else's house is very painful. ॥8॥


शैलेशैलेनमाणिक्य मौक्तिकंनगजेगजे ॥ 
साधवोन हिसर्वत्र चंदनंनवनेवने ॥ ९ ॥

अर्थ - सब पर्वतों पर माणिक्य नहीं होता और मोती सब हाथियों में नहीं मिलता, साधु लोग सभी स्थानों पर नहीं मिलते और सभी वनों में चंदन नहीं होता ॥ 9 ॥

śailēśailēnamāṇikya mauktikaṁnagajēgajē ॥ 
sādhavōna hisarvatra caṁdanaṁnavanēvanē ॥ 9 ॥ 

Meaning - Ruby is not found on all mountains, pearls are not found in all elephants, sages are not found in all places and sandalwood is not found in all forests. ॥ 9॥


पुत्राश्वविविधैःशीलैर्नियोज्याः सततंबुधैः ॥ 
नीतिज्ञाःशीलसंपन्नाभवंतिकुलपूजिताः॥१०॥

अर्थ - बुद्धिमानों को अपने पुत्रों को नाना भांति भांति की सुशीलता में लगाना चाहिए; इस कारण कि, नीति के जानने वाले यदि शीलवान् हों, तो कुल में पूजित होते हैं।॥१०॥

putrāśvavividhaiḥśīlairniyōjyāḥ satataṁbudhaiḥ ॥ 
nītijñāḥśīlasaṁpannābhavaṁtikulapūjitāḥ॥10॥
Meaning - The wise should engage their sons in various kinds of good deeds; Because, if those who know the policy are polite, then they are worshiped in the family.॥10॥

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   द्वितीय अध्याय – श्लोक- 6-10

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

About Chanakya(चाणक्य के बारे में)

चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन भारतीय दार्शनिक, गुरु और आचार्य, अर्थशास्त्री, न्यायविद् और राजकीय सलाहकार थे।  वह चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में रहते थे और राजनीतिक विचार और शासन में उनके महत्वपूर्ण योगदान के कारण उन्हें भारतीय इतिहास की सबसे महान हस्तियों में से एक माना जाता है।

 चाणक्य को उनके मौलिक कार्य, अर्थशास्त्र, जो कि शासन कला, अर्थशास्त्र और सैन्य रणनीति पर एक ग्रंथ है, के लिए जाना जाता है।  अर्थशास्त्र शासन, कराधान, कूटनीति, जासूसी और युद्ध पर विस्तृत निर्देश प्रदान करता है, जिससे यह शासकों के लिए एक सफल राज्य की स्थापना और रखरखाव के लिए एक व्यापक मार्गदर्शिका बन जाता है।

 चाणक्य के सबसे प्रसिद्ध शिष्य मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य थे।  उन्होंने नंद वंश के पतन की योजना बनाकर और चंद्रगुप्त को मौर्य साम्राज्य के शासक के रूप में स्थापित करके चंद्रगुप्त के सत्ता में आने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

 अपनी राजनीतिक कौशल के अलावा, चाणक्य नैतिक और नैतिक मूल्यों के भी समर्थक थे।  उन्होंने व्यक्तिगत और राजनीतिक जीवन दोनों में  सत्यनिष्ठा और धार्मिकता के महत्व पर जोर दिया।  शासन पर उनकी शिक्षाएँ केवल सत्ता प्राप्त करने और बनाए रखने के बारे में नहीं थीं, बल्कि लोगों के कल्याण और समृद्धि के लिए इसका उपयोग करने के बारे में भी थीं।

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

 चाणक्यनीतिदर्पण

अथद्वितीयोऽध्यायः ॥ 2 ॥

athadvitīyō’dhyāyaḥ ॥ 2 ॥

अनृतं साहसं माया मूर्खत्वमतिलोभिता ।
अशौचत्वं निर्दयत्वं स्त्रीणां दोषाः स्वभावजाः ॥ ०२-०१

अर्थ - असत्य, बिना बिचार किसी काम में झटपट लग जाना, छल, मूर्खता, लोभ, अपवित्रता और निर्दयता ये स्त्रियों के स्वाभाविक दोष हैं ॥ १ ॥

anṛtaṃ sāhasaṃ māyā mūrkhatvamatilobhitā |
aśaucatvaṃ nirdayatvaṃ strīṇāṃ doṣāḥ svabhāvajāḥ ॥ 02-01
Meaning - Falsehood, getting involved in any work quickly without thinking, deceit, stupidity, greed, impurity and cruelty are the natural faults of women. ॥1॥


भोज्यंभोजनशक्तिश्वरतिशक्तिर्वरङ्गना ।। 
विभत्रोदानशक्तिश्वनाल्पस्थतपसः फलम् ।२।

अर्थ - भोजन के योग्य पदार्थ और भोजन की शक्ति, सुन्दर स्त्री, और रति की शक्ति, ऐश्वर्य और दानशक्ति इनका होना थोड़े तप का फल नहीं है ॥ २ ॥

bhōjyaṁbhōjanaśaktiśvaratiśaktirvaraṅganā ॥ 
vibhatrōdānaśaktiśvanālpasthatapasaḥ phalam |2|

Meaning - Having food items and the power of food, beautiful women and the power of love, opulence and the power of charity is not the result of a little penance. ॥ 2॥

यस्यपुत्रोर्वशीभूतो भार्याच अनुगामिनी ॥ 
विभवेयश्व संतुष्टस्तस्यस्वर्गइहैवहि ॥ ३ ॥

अर्थ - जिसका पुत्र वश में रहता है और स्त्री इच्छा के अनुसार चलती है और जो विभव में संतोष रखता है उसको स्वर्ग यहांही है ॥ ३ ॥

yasyaputrōrvaśībhūtō bhāryāca anugāminī ॥ 
vibhavēyaśva saṁtuṣṭastasyasvargihaivahi ॥ 3 ॥
Meaning - One whose son remains under control and his wife follows his wishes and who is content with wealth, heaven is here only. ॥ 3 ॥

तेपुत्रायेपितुर्भक्ताः स पितायस्तुपोषकः ॥ 
तन्मित्रंयत्रविश्वासःसाभार्यायत्रनिर्वृतिः॥४॥

अर्थ - वही पुत्र है, जो पिता का भक्त है वही पिता है, जो पालन करता है, वही मित्र है, जिस पर विश्वास है, वही स्त्री है, जिससे सुख प्राप्त होता है ॥४।

tēputrāyēpiturbhaktāḥ sa pitāyastupōṣakaḥ ॥ 
tanmitraṁyatraviśvāsaḥsābhāryāyatranirvr̥tiḥ॥4॥

Meaning - He is the son, the one who is a devotee of his father, he is the father, the one who nurtures, he is the friend, on whom one trusts, he is the woman, from whom one gets happiness. ॥4॥

परोक्ष कार्यहंतारं प्रत्यक्षेप्रियवादिनम् ॥ 
वर्जयेत्तादृशंमित्रविषकुंभंपयोमुखम् ॥ ५ ॥

अर्थ - हमारे समक्ष न रहने पर हमारे कार्य को बिगाड़ने वाले और हमारी आंँखों के सामने मीठा-मीठा बोलने वाले इस प्रकार के मित्रों को विष से भरे हुए कुंभ में ऊपर ऊपर दूध भरा हो, ऐसा जानकर त्याग देना चाहिए ॥ ५ ॥

parōkṣa kāryahaṁtāraṁ pratyakṣēpriyavādinam ॥ 
varjayēttādr̥śaṁmitraviṣakuṁbhaṁpayōmukham ॥ 5 ॥
Meaning - Such friends, who spoil our work when they are not present in front of us, and who speak sweetly in front of our eyes, should be discarded considering them to be like an Aquarius full of milk filled to the brim with poison. 5॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   द्वितीय अध्याय – श्लोक- 1-5

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

 चाणक्यनीतिदर्पण

अथ प्रथमोऽध्याय: 

atha prathamō’dhyāya:    

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   प्रथम अध्याय – श्लोक-15-17

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

 चाणक्यनीतिदर्पण

अथ प्रथमोऽध्याय: 

atha prathamō’dhyāya:    

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   प्रथम अध्याय – श्लोक-10-15

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

 चाणक्यनीतिदर्पण

अथ प्रथमोऽध्याय: 

atha prathamō’dhyāya:    

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   प्रथम अध्याय – श्लोक-07-09

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

 चाणक्यनीतिदर्पण

अथ प्रथमोऽध्याय: 

atha prathamō’dhyāya:    

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   प्रथम अध्याय – श्लोक-03

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

 चाणक्यनीतिदर्पण

अथ प्रथमोऽध्याय: 

atha prathamō’dhyāya:    

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   प्रथम अध्याय – श्लोक-04

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

 चाणक्यनीतिदर्पण: 

अथ प्रथमोऽध्याय:

atha prathamō’dhyāya:

तदहं संप्रवक्ष्यामिलोकानांहितकाम्यया ॥ 
यस्यविज्ञानमात्रेणसर्वज्ञत्वंप्रपद्यते ॥ ३ ॥

अर्थ - मैं लोगों के हित की बांछा से उसको कहूँगा, जिसके ज्ञानमात्र से सर्वज्ञता प्राप्त हो जाती है ॥३॥

tadahaṃ saṃpravakṣyāmilokānāṃhitakāmyayā ॥ 
yasyavijñānamātreṇasarvajñatvaṃprapadyate ॥ 3 ॥

Meaning - For the welfare of the people, I will tell him about the one whose knowledge alone gives omniscience. ॥3॥

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   प्रथम अध्याय – श्लोक-03

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

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