चाणक्यनीतिदर्पण -चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ पंचमोऽध्यायः ॥ 5 ॥
atha paṁcamō’dhyāyaḥ ॥ 5 ॥
पतिरेवगुरुः स्त्रीणांसर्वस्याभ्यागतोगुरुः ॥ गुरुर निर्द्विजातीनां वर्णानां ब्राह्मणे गुरुः ॥ १ ॥ अर्थ - स्त्री का गुरु पति ही है, अभ्यागत सबका गुरु है, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, इनका गुरु अग्नि है और चारों वर्णों में गुरु ब्राह्मण है ॥ १०॥ patirēvaguruḥ strīṇāṁsarvasyābhyāgatōguruḥ ॥ gurura nirdvijātīnāṁ varṇānāṁ brāhmaṇē guruḥ ॥ 1 ॥ Meaning - Husband is the guru of a woman, guest is the guru of all, Brahmin, Kshatriya, Vaishya, their guru is Agni and in all four varnas the guru is Brahmin. ।।10॥ यथाचतुर्भिःकन कंपरीक्ष्यतेनिघर्षणच्छेदनता पताडनैः । तथाचतुर्भिःपुरुषःपरीक्ष्यतेत्यागेन शीलेनगुणेनकर्मणा ॥ २ ॥ अर्थ - घिसना, काटना, तपाना, पीटना इन चार प्रकारों से जैसे सोने की परीक्षा की जाती है, वैसे ही दान, शील, गुण और आचार इन चारों प्रकार से पुरुष की भी परीक्षा की जाती है ॥ २ ॥ yathācaturbhiḥkana kaṁparīkṣyatēnigharṣaṇacchēdanatā patāḍanaiḥ | tathācaturbhiḥpuruṣaḥparīkṣyatētyāgēna śīlēnaguṇēnakarmaṇā ॥ 2 ॥ Meaning - Just as gold is tested in these four ways - rubbing, cutting, heating and beating, similarly a man is also tested in these four ways - charity, modesty, qualities and conduct. ।।2॥ तावद्भयेषुभेतव्यंथावद्भयमनागतम् ॥ आगतंतुभयं दृष्ट्वा प्रहर्तव्यमशंकया ॥ ३ ॥ अर्थ - तब तक ही भयों से डरना चाहिये, जब तक भय नहीं आया अर्थात् भयानक परिस्थिति उत्पन्न नहीं हुई, और आये हुये भय को देखकर प्रहार करना उचित है अर्थात् विकट परिस्थितियों के उत्पन्न हो जाने पर पूरी आक्रामकता और निर्भयता से उनका सामना करना चाहिए॥ ३ ॥ tāvadbhayēṣubhētavyaṁthāvadbhayamanāgatam ॥ āgataṁtubhayaṁ dr̥ṣṭvā prahartavyamaśaṁkayā ॥ 3 ॥ Meaning - One should be afraid of fears only until the fear has come, that is, a terrible situation has not arisen, and it is appropriate to attack after seeing the fear that has come, that is, when dire situations arise, one should face them with complete aggression and fearlessness. ।। 3॥ एकोदर समुद्भूताए कनक्षत्रजातकाः ॥ नभवंतिसमाःशीलैर्यथावदरिकंटकाः ॥ ४ ॥ अर्थ - एक ही गर्भ से उत्पन्न और एक ही नक्षत्र में जन्म लेने वाले भी शील से समान नहीं होते। जैसे बेर और उसके कांँटे ॥ ४ ॥ ēkōdara samudbhūtāē kanakṣatrajātakāḥ ॥ nabhavaṁtisamāḥśīlairyathāvadarikaṁṭakāḥ ॥ 4 ॥ Meaning: Even those born from the same womb and in the same constellation are not equal in morality. Like the plum and its thorns. ।। 4॥ निःस्पृहोनाधिकारीस्यान्नाकामामंडनप्रियः॥ नाविदग्धःप्रियंब्रूयात्स्पष्टवक्तानवंचकः ॥५॥ अर्थ - जिसको किसी विषय की इच्छा न होगी, वह किसी विषय का अधिकार नहीं होगा अर्थात् उस पर कोई भी विषय अपना अधिकार स्थापित नहीं कर सकेगा, जो कामी नहीं होगा, वह शरीर की शोभा करनेवाली वस्तुओं में (अत्यधिक और बनावटी फैशन में) प्रीति नहीं रखेगा; जो चतुर नहीं होगा, वह प्रिय नहीं बोल सकेगा और स्पष्ट कहने वाला छली (कपटी) नहीं होगा ॥ ५ ॥ niḥspr̥hōnādhikārīsyānnākāmāmaṁḍanapriyaḥ॥ nāvidagdhaḥpriyaṁbrūyātspaṣṭavaktānavaṁcakaḥ ॥5॥ Meaning - One who does not desire any subject, will not have the right to any subject, that is, no subject will be able to establish his authority over him, one who is not lustful, will be fond of things that adorn the body (in an excessive and artificial fashion). Will not keep; One who is not clever will not be able to speak dearly and the one who speaks clearly will not be deceitful. ।।5॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 5 श्लोक- 1-5
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।