चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ सप्तमोऽध्यायः ॥ 7 ॥
atha saptamō’dhyāyaḥ ॥ 7 ॥
बाहुवीर्यवलंराज्ञोब्राह्मणोब्रह्मविद्वली ॥ रूपयोवनमाधुर्वंस्त्रीणावलमनुत्तमम् ॥ ११॥ अर्थ - राजा को बाहुवीर्य बल है और ब्राह्मण ब्रह्मज्ञानी व वेदपाठी वली होता है और स्त्रियों को सुन्दरता, तरुणता और मधुरता अति उत्तम बल है ।। ११ ।। bāhuvīryavalaṁrājñōbrāhmaṇōbrahmavidvalī ॥ rūpayōvanamādhurvaṁstrīṇāvalamanuttamam ॥ 11॥ Meaning - A king has great strength, a Brahmin is a Brahmagyani or a scholar of Vedas and a woman has the best strength like beauty, youth and sweetness. 11. नात्यन्तंसरलैर्भाव्यंगत्वापश्यवनस्थलीम् ॥ छियंतेसरलास्तत्रकुब्जास्तिष्ठंतिपादपाः।१२। अर्थ - अत्यन्त सीधे स्वभाव से नहीं रहना चाहिये। इस कारण कि वन में जाकर देखो, सीधे वृक्ष काटे जाते हैं और टेढे खड़े रहते हैं ॥ १२ ॥ nātyantaṁsaralairbhāvyaṁgatvāpaśyavanasthalīm ॥ chiyaṁtēsaralāstatrakubjāstiṣṭhaṁtipādapāḥ|12| Meaning - One should not live with a very straight nature because if you go to the forest and see, straight trees are cut and crooked ones remain standing. 12 ॥ यत्रोदकं तत्रवसंतिहंसास्तथैवशुष्कं परिवर्जयंति नहंसतुल्येननरेणभाव्यंपुनस्त्यजंतः पुनराश्च- यन्तेः ॥१३ ॥ अर्थ - जहाँ जल रहता है वहाँ ही हंस बसते हैं, वैसे ही सूखे सरोवर को छोड देते हैं। नर को हंस के समान नहीं रहना चाहिये कि, वे बार-बार छोड़ देते हैं और बार-बार आश्रय लेते हैं ॥ १३ ॥ yatrōdakaṁ tatravasaṁtihaṁsāstathaivaśuṣkaṁ parivarjayaṁti nahaṁsatulyēnanarēṇabhāvyaṁpunastyajaṁtaḥ punarāśca- yantēḥ ॥13 ॥ Meaning - Swans settle only where there is water, they leave the dry trees in the same way. Hell should not remain like swans, that they leave again and again and take shelter again and again. 13 ॥ उपार्जितानांवित्तानांत्यागएवहिरक्षणम् ॥ तडागोदर संस्थानांपरिस्रवइवांभसाम् ॥१४॥ अर्थ - अर्जित धन का व्यय करना ही रक्षा है। जैसे तड़ाग के भीतर के जल का निकालना ॥ १४ ॥ upārjitānāṁvittānāṁtyāgēvahirakṣaṇam ॥ taḍāgōdara saṁsthānāṁparisravivāṁbhasām ॥14॥ Meaning : Spending the money earned is protection. Like taking out the water inside the pond. 14 ॥ यस्यार्थस्तस्य मित्राणियस्यार्थस्तस्यबांधवः ॥ यस्यार्थः सपुमांल्लोकेयस्यार्थसचजीवति ।१५। अर्थ - जिसको धन रहता है उसीके मित्र होते हैं, जिसके पास अर्थ रहता है उसी के बन्धु होते है, जिसके धन रहता है वही पुरुष गिना जाता है और जिसके अर्थ है वही जीता है ॥ १५ ॥ yasyārthastasya mitrāṇiyasyārthastasyabāṁdhavaḥ ॥ yasyārthaḥ sapumāṁllōkēyasyārthasacajīvati |15| Meaning - The one who has money has friends, the one who has money has friends, the one who has money is counted as a man and the one who has money is the one who lives. 15.
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 7 श्लोक- 11-15
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।
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