Category: सुभाषित-SuBhaShita (Page 5 of 8)

 चाणक्यनीतिदर्पण –  7.3

चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ सप्तमोऽध्यायः ॥ 7 ॥

atha saptamō’dhyāyaḥ ॥ 7 ॥

बाहुवीर्यवलंराज्ञोब्राह्मणोब्रह्मविद्वली ॥ 
रूपयोवनमाधुर्वंस्त्रीणावलमनुत्तमम् ॥ ११॥

अर्थ - राजा को बाहुवीर्य बल है और ब्राह्मण ब्रह्मज्ञानी व वेदपाठी वली होता है और स्त्रियों को सुन्दरता, तरुणता और मधुरता अति उत्तम बल है ।। ११ ।।

bāhuvīryavalaṁrājñōbrāhmaṇōbrahmavidvalī ॥ 
rūpayōvanamādhurvaṁstrīṇāvalamanuttamam ॥ 11॥

Meaning - A king has great strength, a Brahmin is a Brahmagyani or a scholar of Vedas and a woman has the best strength like beauty, youth and sweetness. 11. 

नात्यन्तंसरलैर्भाव्यंगत्वापश्यवनस्थलीम् ॥ 
छियंतेसरलास्तत्रकुब्जास्तिष्ठंतिपादपाः।१२।

अर्थ - अत्यन्त सीधे स्वभाव से नहीं रहना चाहिये। इस कारण कि वन में जाकर देखो, सीधे वृक्ष काटे जाते हैं और टेढे खड़े रहते हैं ॥ १२ ॥

nātyantaṁsaralairbhāvyaṁgatvāpaśyavanasthalīm ॥ 
chiyaṁtēsaralāstatrakubjāstiṣṭhaṁtipādapāḥ|12|
Meaning - One should not live with a very straight nature because if you go to the forest and see, straight trees are cut and crooked ones remain standing. 12 ॥

यत्रोदकं तत्रवसंतिहंसास्तथैवशुष्कं परिवर्जयंति 
नहंसतुल्येननरेणभाव्यंपुनस्त्यजंतः पुनराश्च- यन्तेः ॥१३ ॥

अर्थ - जहाँ जल रहता है वहाँ ही हंस बसते हैं, वैसे ही सूखे सरोवर को छोड देते हैं। नर को हंस के समान नहीं रहना चाहिये कि, वे बार-बार छोड़ देते हैं और बार-बार आश्रय लेते हैं ॥ १३ ॥

yatrōdakaṁ tatravasaṁtihaṁsāstathaivaśuṣkaṁ parivarjayaṁti 
nahaṁsatulyēnanarēṇabhāvyaṁpunastyajaṁtaḥ punarāśca- yantēḥ ॥13 ॥

Meaning - Swans settle only where there is water, they leave the dry trees in the same way. Hell should not remain like swans, that they leave again and again and take shelter again and again. 13 ॥

उपार्जितानांवित्तानांत्यागएवहिरक्षणम् ॥ 
तडागोदर संस्थानांपरिस्रवइवांभसाम् ॥१४॥

अर्थ - अर्जित धन का व्यय करना ही रक्षा है। जैसे तड़ाग के भीतर के जल का निकालना ॥ १४ ॥ 

upārjitānāṁvittānāṁtyāgēvahirakṣaṇam ॥ 
taḍāgōdara saṁsthānāṁparisravivāṁbhasām ॥14॥

Meaning : Spending the money earned is protection. Like taking out the water inside the pond. 14 ॥

यस्यार्थस्तस्य मित्राणियस्यार्थस्तस्यबांधवः ॥ 
यस्यार्थः सपुमांल्लोकेयस्यार्थसचजीवति ।१५।

अर्थ - जिसको धन रहता है उसीके मित्र होते हैं, जिसके पास अर्थ रहता है उसी के बन्धु होते है, जिसके धन रहता है वही पुरुष गिना जाता है और जिसके अर्थ है वही जीता है ॥ १५ ॥

yasyārthastasya mitrāṇiyasyārthastasyabāṁdhavaḥ ॥ 
yasyārthaḥ sapumāṁllōkēyasyārthasacajīvati |15|

Meaning - The one who has money has friends, the one who has money has friends, the one who has money is counted as a man and the one who has money is the one who lives. 15.
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 7   श्लोक-  11-15

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

 चाणक्यनीतिदर्पण – 7.2

चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ सप्तमोऽध्यायः ॥ 7 ॥

atha saptamō’dhyāyaḥ ॥ 7 ॥

पादाभ्यांनस्पृशेदभिंगुरुंब्राह्मणमेवच ॥ 
नैवगांनकुमारींचन वृद्धंन शिशुंतथा ॥ ६ ॥

अर्थ - अग्नि, गुरु और ब्राह्मण, इनको पैर से कभी नहीं छूना चाहिये। वैसे ही गौ को कुमारिकाओं को, वृद्ध को और बालकों को, पैर से नहीं छूना चाहिये ॥ ६॥

pādābhyāṁnaspr̥śēdabhiṁguruṁbrāhmaṇamēvaca ॥ 
naivagāṁnakumārīṁcana vr̥ddhaṁna śiśuṁtathā ॥ 6 ॥
Meaning - Fire, Guru and Brahmin should never be touched with feet, similarly cows, virgins, old people and children should not be touched with feet.  ।।6॥

शकटंपचहस्तेनदशहस्तेनवाजिनम् ॥ 
इस्तिहस्तसहस्त्रेणदेशत्यागेनदुर्जनम्ः ॥ ७॥

अर्थ -  गाडी को पांच हाथ पर, घोड़े को दस हाथ पर, हाथी को हजार हाथ पर, दुर्जन को देश त्याग करके छोडना चाहिये ॥ ७ ॥

śakaṭaṁpacahastēnadaśahastēnavājinam ॥ 
istihastasahastrēṇadēśatyāgēnadurjanamḥ ॥ 7॥

Meaning - A cart should be kept at five cubits, a horse should be kept at ten cubits, an elephant should be kept at a thousand cubits, the wicked should leave the country. ।। 7 ॥

हस्तीयंकुशमात्रेणवाजी हस्तेनताड्यते ॥ 
श्रृंगालगुडहस्तेन खड्गहस्तेनदुर्जनः ॥ ८ ॥

अर्थ - हाथी केवल अंकुश से, घोड़ा हाथ से, सींग वाले जन्तु लाठी से और दुर्जन  खड्ग संयुक्त हाथ से दंड पाते हैं ॥ ८ ॥

hastīyaṁkuśamātrēṇavājī hastēnatāḍyatē ॥ 
śrr̥ṁgālaguḍahastēna khaḍgahastēnadurjanaḥ ॥ 8 ॥

Meaning - Elephants are punished only with the goad, horses with the hand, horned animals with the stick and the wicked with the combined hand of the sword. ।। 8॥

तुष्यन्तिभोजनेविप्रामयुराघनगर्जिते ॥
साधवःपरसम्पत्तौखलाः परविपत्तिषु ॥ ९ ॥

अर्थ - भोजन के समय ब्राह्मण और मेघ के गर्जने पर मयूर, दूसरे को सम्पत्ति प्राप्त होने पर साधु और दूसरे को विपत्ति आने पर दुर्जन सन्तुष्ट होते हैं॥९॥

tuṣyantibhōjanēviprāmayurāghanagarjitē ॥
sādhavaḥparasampattaukhalāḥ paravipattiṣu ॥ 9 ॥

Meaning: The Brahmin is satisfied at the time of eating and the peacock when the cloud roars, the saint when another gets wealth and the wicked when another gets calamity.।।9।।

अनुलोमेन बलिनंप्रतिलोमेनदुर्बलम् ॥ 
आत्मतुल्यबलंशत्रुविनयेनबलेनवा ॥ १० ॥

अर्थ - बली वैरी को उसके अनुकूल व्यवहार करने से, यदि वह दुर्बल हो तो उसे प्रतिकूलता से वश करें, बल में अपने समान शत्रु को विनय से अथवा बल से जीतें ॥ १० ॥

anulōmēna balinaṁpratilōmēnadurbalam ॥ 
ātmatulyabalaṁśatruvinayēnabalēnavā ॥ 10 ॥

Meaning - By behaving in a favorable manner to a powerful enemy, if he is weak then subdue him from adversity, conquer an enemy who is equal to you in strength through discipline or force. 10 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 7   श्लोक-  6-10

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

 चाणक्यनीतिदर्पण – 6.4

चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ षष्ठमोऽध्यायः ॥ 6 ॥

atha ṣaṣṭhamō’dhyāyaḥ ॥ 6 ॥

प्रभूतं कार्य मल्पंवातन्नरः कर्तुमिच्छति ॥ 
सौरंभणतत्कार्यसिंहादेकं प्रचक्षते ॥ १६ ॥

अर्थ - कार्य छोटा हो या बड़ा, जो करणीय हो उसको सब प्रकारके प्रयत्नसे करना उचित है, इस एकको सिंह से सीखना कहते हैं ॥ १६ ॥

prabhūtaṁ kārya malpaṁvātannaraḥ kartumicchati ॥ 
sauraṁbhaṇatatkāryasiṁhādēkaṁ pracakṣatē ॥ 16 ॥

Meaning - Whether the work is small or big, it is appropriate to do it with all possible efforts, this is called learning from the lion.  ।। 16 ॥

इंद्रियाणिचसंयम्यवकवत्पंण्डितोनरः 
देशकालबलंज्ञात्वासर्वकार्याणिसाधयेत् ।१७।

अर्थ - विद्वान् पुरुषको चाहिये कि, इन्द्रियों का संयम करके देश काल और बलको समझकर बकुलाके समान सब कार्यको साधे ॥ १७ ॥

iṁdriyāṇicasaṁyamyavakavatpaṁṇḍitōnaraḥ 
dēśakālabalaṁjñātvāsarvakāryāṇisādhayēt |17|
Meaning - A learned man should control his senses and understand the time, space and force and perform all the tasks like Bakula.  ।। 17 ॥


प्रत्युत्थानं चयुद्धंचसंविभागंचबन्धुषु ॥ 
स्वयमाक्रम्यभोगंच शिक्षेच्चत्वारिकुक्कुटात ॥ १८ ॥

अर्थ - उचितसमय में जागना, रणमें उद्यत रहना और बन्धुओंको उनका भाग देना और आप आकर जो सहज में प्राप्त हो उसका भोग करें, इनचार बातों को कुक्कुटसे सीखना चाहिये ॥ १८ ॥

pratyutthānaṁ cayuddhaṁcasaṁvibhāgaṁcabandhuṣu ॥ 
svayamākramyabhōgaṁca śikṣēccatvārikukkuṭāta ॥ 18 ॥

Meaning: Waking up at the right time, being alert in battle, giving your brothers their share and enjoying what you get easily after coming, these four things should be learned from the chicken.  ।। 18 ॥

गूढमैथुनंचारित्वम्कालेचालयसंग्रहम् ॥ 
अप्रमादमविश्वासंपंचाशक्षेच्चवायसात् ॥१९॥

अर्थ - छिपकर मैथुन करना धैर्य करना समयमें घर संग्रह करना, सावधान रहना और किसी पर विश्वास न करना इन पांचोंको कौवेसे सीखना उचित है ॥१९॥

gūḍhamaithunaṁcāritvamkālēcālayasaṁgraham ॥ 
apramādamaviśvāsaṁpaṁcāśakṣēccavāyasāt ॥19॥

Meaning - It is appropriate to learn these five things from crows - to have sex secretly, to be patient, to collect household goods in time, to be careful and not to trust anyone. ।।१९।।

बह्वाशो स्वल्पसंतुष्टःसुनिद्रोलघुचेतनः ॥ 
स्वामिभक्तश्चशूर श्वषडेतेश्वांनतोगुणाः ॥२०॥

अर्थ - बहुत खानेकी शक्ति रहते भी थोडे ही से संतुष्ट होना, गाढ निद्रा रहतेभी झटपट जागना, स्वामीकी भक्ति और शूरता इन छः गुणोंको कुत्ते से सीखना चाहिये ॥ २० ॥

bahvāśō svalpasaṁtuṣṭaḥsunidrōlaghucētanaḥ ॥ 
svāmibhaktaścaśūra śvaṣaḍētēśvāṁnatōguṇāḥ ॥20॥

Meaning: Being satisfied with a little while still having the power to eat a lot, waking up quickly even while in deep sleep, devotion to the master and bravery, these six qualities should be learned from a dog.  ।। 20 ॥

सुश्रांतोऽपिवहेद्भारं शीतोष्णंनचपश्यति ॥ 
संतुष्टश्वस्तेनित्यंत्रीणिशिक्षेच्चगर्दभात् ॥२१॥

अर्थ - अत्यंत थकजानेपरभी बोझको ढोते जाना, शीत और उष्णपर दृष्टि न देना, सदा सन्तुष्ट होकर विचरना, इन तीन बातोंको गदहेसे सीखना चाहिये।।२१।।

suśrāṁtō’pivahēdbhāraṁ śītōṣṇaṁnacapaśyati ॥ 
saṁtuṣṭaśvastēnityaṁtrīṇiśikṣēccagardabhāt ॥21॥

Meaning - To carry the burden even when extremely tired, not to pay attention to cold and heat, to always wander around contentedly, these three things should be learned from the donkey. ।।21.।।

यएतान् विंशतिगुणानाचरिष्यतिमानवः ॥ 
कार्यावस्थासुसर्वासुअजेयःसभविष्यति॥२२॥

अर्थ - जो नर इन बीस गुणोंको धारण करेगा वह सदा सब कार्योंमें विजयी होगा ॥ २२ ॥

yētān viṁśatiguṇānācariṣyatimānavaḥ ॥ 
kāryāvasthāsusarvāsuajēyaḥsabhaviṣyati॥22॥

Meaning - The man who possesses these twenty qualities will always be victorious in all tasks. ।। 22 ॥
इति षष्ठमोऽध्यायः ॥ 6 ॥
iti ṣaṣṭhamō’dhyāyaḥ ॥ 6 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 6   श्लोक-  16-22

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

 चाणक्यनीतिदर्पण – 6.3

चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ षष्ठमोऽध्यायः ॥ 6 ॥

atha ṣaṣṭhamō’dhyāyaḥ ॥ 6 ॥

ऋणकर्तापिताशत्रुर्माता चव्यभिचारिणी ॥ 
भार्यारूपवतीशत्रुः पुत्रशत्रूरपण्डितः ॥ ११ ॥

अर्थ - ऋण करनेवाला पिता शत्रु है, व्यभिचारिणी माता और सुन्दरी स्त्री शत्रु है, और मूर्ख पुत्र वैरी है ॥ ११ ॥

r̥ṇakartāpitāśatrurmātā cavyabhicāriṇī ॥ 
bhāryārūpavatīśatruḥ putraśatrūrapaṇḍitaḥ ॥ 11 ॥
Meaning: A father who borrows is an enemy, an adulterous mother and a beautiful woman are enemies, and a foolish son is an enemy. ।। 11 ॥

लुब्धमर्थेनगृह्णीयात्स्तब्धमंज क्लिकर्मणा॥ 
मूर्खछंदानुर्टत्त्याचयथार्थत्वेनपण्डितम् ॥१२॥


अर्थ - लोभीको घनसे, अहंकारीको हाथ जोड़नेसे, मूर्खको उसके अनुसार वर्तनेसे और पंडित को सच्चाईसे, वश करना चाहिये। १२॥

lubdhamarthēnagr̥hṇīyātstabdhamaṁja klikarmaṇā॥ 
mūrkhachaṁdānurṭattyācayathārthatvēnapaṇḍitam ॥12॥

Meaning: The greedy person should be controlled with his fist, the arrogant person should be controlled with folded hands, the fool should be controlled by speaking accordingly and the wise person should be controlled with truth.  ।।12॥

वरंनराज्यं नकुराजराज्यं वरंनमित्रनकुमित्र मित्रं । 
वरंनर्शिष्योनकुशिष्याशिष्योवरंनद्वारा नकुद्रार दाराः ॥ १३ ॥

अर्थ - राज्य न रहना यह अच्छा, परन्तु कुराजा का राज्य होना यह अच्छा नहीं। मित्रका न होना यह अच्छा, परंतु कुमित्रको मित्र करना अच्छा नहीं, शिष्य नहो यह अच्छा परंतु निंदित शिष्य कहलावे यह अच्छा नहीं, भार्या न रहे यह अच्छा पर कुभार्या का भार्या होना अच्छा नहीं ॥ १३ ॥

varaṁnarājyaṁ nakurājarājyaṁ varaṁnamitranakumitra mitraṁ | 
varaṁnarśiṣyōnakuśiṣyāśiṣyōvaraṁnadvārā nakudrāra dārāḥ ॥ 13 ॥

Meaning - It is good not to have a kingdom, but it is not good to have a kingdom of Kuraja.  It is good not to have a friend, but it is not good to have a bad friend as a friend, it is good not to have a disciple, but it is not good to be called a condemned disciple, it is good not to have a wife, but it is not good to be the wife of a bad wife.  ।। 13 ॥

कुराजंराज्येनकुतःप्रजासुखं कुमित्र मित्रेणकुतोऽभिनिर्वृतिः ॥ 
कुदार दारैश्वकुतो गृहेरतिः कुशिष्यमाध्यापयतः कुतोयशः ॥१४॥

दुष्ट राजा के राज्य में प्रजाको सुख, और कुमित्र मित्रसे आनन्द, कैसे हो सकता है, दुष्ट स्त्रीसे गृह मैं प्रीति और कुशिष्यको पढ़ानेवाले की कीर्ति, कैसे होगी ॥ १४ ॥

kurājaṁrājyēnakutaḥprajāsukhaṁ kumitra mitrēṇakutō’bhinirvr̥tiḥ ॥ 
kudāra dāraiśvakutō gr̥hēratiḥ kuśiṣyamādhyāpayataḥ kutōyaśaḥ ॥14॥

How can the people be happy in the kingdom of an evil king, how can there be joy from a wicked friend, how can there be love in the house for an evil woman and how can there be fame for the one who teaches the unruly disciple?  ।। 14 ॥

सिंहादेकंब कादेकंशिक्षेच्चत्वारि कुक्कुटात्।। 
वायसात्पंचारीक्षेच्चषट्शुनस्त्रीणिगर्दभात्।। १५।।

अर्थ - सिंहसे एक, बकुलेसे एक, कक्कुटसे चार, कोवेसे पांच, कुत्तेसे छः और गदहेसे तीन गुण सीखना उचित है ॥ १५ ॥ 

siṁhādēkaṁba kādēkaṁśikṣēccatvāri kukkuṭāt॥ 
vāyasātpaṁcārīkṣēccaṣaṭśunastrīṇigardabhāt| 15|

Meaning - It is appropriate to learn one quality from a lion, one from a crow, four from a cockerel, five from a crow, six from a dog and three from a donkey. ।। 15.।।
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 6   श्लोक-  11-15

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

 चाणक्यनीतिदर्पण – 6.2

चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ षष्ठमोऽध्यायः ॥ 6 ॥

atha ṣaṣṭhamō’dhyāyaḥ ॥ 6 ॥

तादृशीजायतेबुद्धिर्व्यवसायोपितादृशः ॥ 
सह: यास्तादृशाएवयादृशीभवितव्यता ॥६॥

अर्थ - वैसे ही बुद्धि और वैसा ही उपाय होता है और वैसे ही सहायक मिलते हैं जैसा होनहार है ॥ ६ ॥

tādr̥śījāyatēbuddhirvyavasāyōpitādr̥śaḥ ॥ 
saha: yāstādr̥śāēvayādr̥śībhavitavyatā ॥6॥

Meaning - One has the same intelligence and the same solution and one gets the helper as per the promise. ।। 6॥

कालः पचतिभूतानिकालःसंहरतेप्रजाः ॥ 
कालः सुप्तेषुजागर्तिका लोहिदुरातिक्रमः ॥७॥

अर्थ - काल सब प्राणियों को खा जाता है और काल ही सब प्रजा का नाश करता है सब पदार्थ के लय हो जाने पर काल जागता रहता है काल को कोई नहीं टाल सकता ॥ ७ ॥

kālaḥ pacatibhūtānikālaḥsaṁharatēprajāḥ ॥ 
kālaḥ suptēṣujāgartikā lōhidurātikramaḥ ॥7॥

Meaning - Time eats up all living beings and time itself destroys all people. When all things are in harmony, time remains awake. No one can avoid time.  ।। 7 ॥

नपश्यतिचजन्मान्धःकामान्धोनैवपश्यति ॥ 
मदोन्मत्तानपश्यंति अर्थीदोषंनपश्यति ॥ ८॥

अर्थ - जन्म का अन्धा नहीं देखता, काम से जो अन्धा हो रहा है उसको सूझता नहीं, मदोन्मत्त किसी को देखता नहीं और अर्थी दोषको नहीं देखता। ॥८।।

napaśyaticajanmāndhaḥkāmāndhōnaivapaśyati ॥ 
madōnmattānapaśyaṁti arthīdōṣaṁnapaśyati ॥ 8॥

Meaning - A person blind by birth does not see, one who is blinded by lust does not understand, an intoxicated person does not see anyone and a sick person does not see the fault.  ॥8।।

स्वयंकर्मकरोत्यात्मा स्वर्यतत्फलमश्नुते ॥ 
स्वयंश्त्रमतिसंसारेस्वयंतस्माद्विमुच्यते ॥ ९ ॥

अर्थ - जीव आपही कर्म करता है और उसका फलभी 'आपही भोगता है, आपही संसार में भ्रमता है और आपही उससे मुक्त भी होता है ॥ ९ ॥

svayaṁkarmakarōtyātmā svaryatatphalamaśnutē ॥ 
svayaṁśtramatisaṁsārēsvayaṁtasmādvimucyatē ॥ 9 ॥
Meaning - The living being does his own work and suffers its consequences on his own, gets lost in the world on his own and is freed from it on his own.  ।।9॥

राजा राष्ट्रष्कृतंपापराज्ञःपापं पुरोहितः ॥ 
भंर्ताच स्वीकृतं पापंशिष्यपापंगुरुस्तथा ॥१०॥

अर्थ - अपने राज्यमें किये हुवे पापको राजा, और राजा के पापको पुरोहित भोगता है, स्त्रीक्कृतपापको स्वामी भोगता है, वैसेही शिष्यके पापको गुरु ॥ १० ॥
rājā rāṣṭraṣkr̥taṁpāparājñaḥpāpaṁ purōhitaḥ ॥ 
bhaṁrtāca svīkr̥taṁ pāpaṁśiṣyapāpaṁgurustathā ॥10॥

Meaning - The king suffers for the sins committed in his kingdom and the priest for the king's sins, the master suffers for the sins committed by the woman, similarly the teacher suffers for the sins of the disciple.  ।। 10 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 6   श्लोक-  1-5

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

 चाणक्यनीतिदर्पण – 6.1

चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ षष्ठमोऽध्यायः ॥ 6 ॥

atha ṣaṣṭhamō’dhyāyaḥ ॥ 6 ॥

श्रुत्वाधर्मविजानातिश्रुत्वात्यजतिदुर्मतिम् ॥ 
श्रुत्वाज्ञानमवाभोतिश्रुत्वामोक्षमवाप्नुयात्॥१॥

अर्थ - मनुष्य शास्त्र को सुन कर धर्म को जानता है दुर्बुद्धि को छोडता है, ज्ञान पाता है मोक्ष पाता है॥१।।

śrutvādharmavijānātiśrutvātyajatidurmatim ॥ 
śrutvājñānamavābhōtiśrutvāmōkṣamavāpnuyāt॥1॥
Meaning - Man knows the religion by listening to the scriptures, gives up his foolishness, gets knowledge and attains salvation. ।।1.।।

काकःपक्षिषुचंडालःपशूनांचैवकुक्कुरः ॥ 
पापोमुनीनांचांडालः सर्वेषांचैवनिंदकः ॥ २ ॥

अर्थ - पक्षियों में, कौआ, और पशुओं में सियार (कृकुर) चांडाल होता है, मुनियों में चांडाल पाप है, और सबमें चांडाल निन्दक है ॥ २ ॥

kākaḥpakṣiṣucaṁḍālaḥpaśūnāṁcaivakukkuraḥ ॥ 
pāpōmunīnāṁcāṁḍālaḥ sarvēṣāṁcaivaniṁdakaḥ ॥ 2 ॥ 

Meaning - Among birds, crow, and jackal (Krikur) among animals, Chandal is there, among sages, Chandal is sinful, and among all, Chandal is a slanderer.  ।।2॥

भस्मनाशुड्यते कांस्यंताम्रमम्लैनशुद्ध्यति ॥ 
रजसाशुक्ष्यतेनारीनदीवेगेनशुद्ध्ययति ॥ ३ ॥

अर्थ - कांँसे का पात्र राख से, तांबे का मल खटाई से, स्त्री रजस्वला होने पर और नदी धारा के वेग से पवित्र होती है ॥ ३ ॥

bhasmanāśuḍyatē kāṁsyaṁtāmramamlainaśuddhyati ॥ 
rajasāśukṣyatēnārīnadīvēgēnaśuddhyayati ॥ 3 ॥

Meaning: A bronze vessel is purified by ashes, copper feces by sour water, a woman by menstruation and a river by the speed of the current.  ।।3॥

भ्रमन्संपूज्यतेराजाश्त्रमन्संपूज्यतेद्विजः ॥ 
भ्रमन् संपूज्यतेयोगीस्त्रीभ्रमन्तीविनश्यति ॥४॥

अर्थ - भ्रमण करने वाले राजा, ब्राह्मण, योगी पूजित होते हैं परंतु स्त्री घूमने से भ्रष्ट हो जाती है ॥४॥

bhramansaṁpūjyatērājāśtramansaṁpūjyatēdvijaḥ ॥ 
bhraman saṁpūjyatēyōgīstrībhramantīvinaśyati ॥4॥

Meaning - Kings, Brahmins and Yogis who travel are worshipped, but women get corrupted by travelling.॥4॥
यस्यार्थास्तस्यमित्राणियस्यार्थास्तस्यबान्धवाः 
यस्यार्थाः सपुमाँल्लोकेयस्यार्थः सचपंडितः॥५॥

अर्थ - जिसके पास धन है, उसी का मित्र, और उसी के बांधव होते हैं, और वही पुरुष गिना जाता है, और वही पंडित कहलाता है ॥ ५ ॥

yasyārthāstasyamitrāṇiyasyārthāstasyabāndhavāḥ 
yasyārthāḥ sapumām̐llōkēyasyārthaḥ sacapaṁḍitaḥ॥5॥

Meaning - The one who has money has friends and relatives, and he is considered a man, and he is called a Pandit.  ।।5॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 6   श्लोक-  1-5

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

 चाणक्यनीतिदर्पण 5.5

चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ पंचमोऽध्यायः ॥ 5 ॥

atha paṁcamō’dhyāyaḥ ॥ 5 ॥

नराणांनापितो धूर्तःपक्षिणांचैववायसः ॥ 
चतुष्पदांशृगालस्तुस्त्रीणांधूर्ताचमालिनी॥२१॥

अर्थ - पुरुषों में नापित, और पक्षियों में कौवा वंचक (धूर्त अर्थात् मूर्ख बनाने वाला) होता है, पशुओं में सियार धूर्त होता है और स्त्रियों में मालिन धूर्त होती है ॥ २१ ॥

narāṇānāpitō dhūrtaḥpakṣiṇāṁcaivavāyasaḥ ॥ 
catuṣpadāṁśr̥gālastustrīṇāṁdhūrtācamālinī॥21॥

Meaning - Among men, the crow is deceitful, among birds, the crow is deceitful (cunning i.e. one who fools), among animals, the jackal is cunning and among women, the dirty one is cunning. ।। 21 ॥

जनिताचोपनेताचयस्तुविद्यां प्रयच्छति ॥ 
अन्नदातांभयंत्रातांपंचैतेपितरः स्मृताः ॥२२॥

अर्थ - जन्म देने वाला, यज्ञोपवीत आदि संस्कार कराने वाला, विद्या देनेवाला (गुरु), अन्न देने वाला (अर्थात् भरण पोषण करनेवाला ) और भय से बचाने वाला, ये पांँचों पिता माने जाते हैं ॥२२॥

janitācōpanētā cayastuvidyāṁ prayacchati ॥ 
annadātāṁbhayatrātāpaṁcaitēpitaraḥ smr̥tāḥ ॥22॥

Meaning - The one who gives birth, the one who performs the rites of Yagyopavit etc., the one who gives knowledge (Guru), the one who gives food (i.e. the one who provides sustenance) and the one who protects from fear, these five are considered fathers. ।।२२।।

राजपत्नीगुरोःपत्नीमित्रपत्नीतथैवच ॥ 
पत्नीमातास्वमाताचपंचैतामातरः स्मृताः॥२३ ॥

अर्थ - राजा की भार्या, गुरु की स्त्री, वैसे ही मित्र की पत्नी, सास और अपनी जननी (माता) इन पांँचों को माता कहते हैं ॥ २३ ॥

rājapatnīgurōḥpatnīmitrapatnītathaivaca ॥ 
patnīmātāsvamātācapaṁcaitāmātaraḥ smr̥tāḥ॥23 ॥
Meaning - King's wife, Guru's wife, friend's wife, mother-in-law and own mother, these five are called mother.  ।।23॥
इतिपंचमोऽध्यायः ॥ 5 ॥
itipaṁcamō’dhyāyaḥ ॥ 5 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 5   श्लोक-  20-23

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

 चाणक्यनीतिदर्पण 5.4

चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ पंचमोऽध्यायः ॥ 5 ॥

atha paṁcamō’dhyāyaḥ ॥ 5 ॥

वृथादृष्टिःसमुदेषुटथातृप्तेषुभोजनम् ॥ 
वृथादानंधनाढ्येषुवृथादीपोदिवापि च॥ १६॥

अर्थ - समुद्रों में वर्षा वृथा है, और भोजन से तृप्त को भोजन निरर्थक़ है, धनी को धन देना व्यर्थ है और दिन में, दीप व्यर्थ है ॥ १६ ॥

vr̥thādr̥ṣṭiḥsamudēṣuṭathātr̥ptēṣubhōjanam ॥ 
vr̥thādānaṁdhanāḍhyēṣuvr̥thādīpōdivāpi ca॥ 16॥

Meaning - Rain in the oceans is useless, and food to the well-fed is useless, giving money to the rich is useless and lamps are useless during the day.  ।। 16 ॥

नास्तिमेघ समंतो यंनास्तिचात्मसमंबलम्ः ॥ 
नास्तिचक्षुः समंते जोनास्तिधान्यसमंप्रियम् ॥१७॥

अर्थ - मेघ के जल के समान दूसरा जल नहीं है, अपने बल के समान दूसरे का बल नहीं, क्योंकि वह समय पर काम आता है।  नेत्र के तुल्य दूसरा प्रकाश करने वाला नहीं है।  और अन्न के सदृश दूसरा प्रिय पदार्थ नहीं है. ॥ १७ ॥

nāstimēgha samaṁtō yaṁnāsticātmasamaṁbalamḥ ॥ 
nāsticakṣuḥ samaṁtē jōnāstidhānyasamaṁpriyam ॥17॥
Meaning - There is no other water like the water of the cloud, no other's strength is equal to your own strength, because it is useful at the right time.  There is no other source of light like the eye.  And there is no other thing as dear as food.  ।।  17 ॥

अधनी धनमिच्छन्तिवाचंचैवचतुष्पदाः ॥ 
मानवाः स्वर्गमिच्छंतिमोक्षमिच्छंतिदेवताः ।१८।

अर्थ - धनहीन धन चाहते हैं, और पशु वचन अर्थात् वे बोलने कि शक्ति चाहते हैं, मनुष्य स्वर्ग जाना चाहते हैं, और देवता मुक्ति की इच्छा रखते हैं ॥ १८ ॥

adharnā dhanamicchantivācaṁcaivacatuṣpadāḥ ॥ 
mānavāḥ svargamicchaṁtimōkṣamicchaṁtidēvatāḥ |18|

Meaning - The moneyless want wealth, and the animals want the power to speak, humans want to go to heaven, and the gods( The habitats of the heaven or swarga called devta) want salvation.  ।।18 ॥

सत्येनधार्यतेपृथ्वीसत्येनतपतेरविः ॥ 
सत्येंनवातिवायुश्चसर्वंसत्येप्रतिष्ठितम् ॥१९॥ 
अर्थ - सत्य से पृथ्वी स्थिर है, और सत्य ही से सूर्य तपते हैं, सत्य ही से वायु बहती है, सब सत्य ही से स्थिर है।॥ १९॥

satyēnadhāryatēpr̥thvīsatyēnatapatēraviḥ ॥ 
satyēṁnavātivāyuścasarvaṁsatyēpratiṣṭhitam ॥19॥

Meaning - The earth is stable due to truth, the sun shines due to truth, the wind blows due to truth, everything is stable due to truth only.  ।।19॥

चलालक्ष्मी श्वलाप्राणा श्वले जीवितमंदिरेः ॥ 
चलाचलेचसंसारेधर्मएको हिनिश्चलः ॥२०॥

अर्थ - लक्ष्मी नित्य नहीं है, प्राण, जीवन और घर ये सब स्थिर नहीं हैं, निश्चय है कि इस चराचरं संसार में केवल धर्म ही निश्चल है ॥ २० ॥

calālakṣmī śvalāprāṇā śvalē jīvitamaṁdirēḥ ॥ 
calācalēcasaṁsārēdharmēkō hiniścalaḥ ॥20॥

Meaning - Lakshmi is not eternal, life, life and home are not stable, it is certain that only religion is stable in this ever-changing world. ।। 20 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 5   श्लोक-  16-20

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

 चाणक्यनीतिदर्पण 5.3

चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ पंचमोऽध्यायः ॥ 5 ॥

atha paṁcamō’dhyāyaḥ ॥ 5 ॥

दारिद्रयनाशनंदानंश्रीलंदुर्गतिनाशनं ॥ 
अज्ञाननाशिनीप्रज्ञाभावनाभयनाशिनी ॥११॥

दान दरिद्रता का नाश करता है सुशीलता दुर्गति का, बुद्धि अज्ञान का और भक्ति भय का नाश करती है ॥ ११ ॥

dāridrayanāśanaṁdānaṁśrīlaṁdurgatināśanaṁ ॥ 
ajñānanāśinīprajñābhāvanābhayanāśinī ॥11॥

Charity destroys poverty, kindness destroys misery, intelligence destroys ignorance and devotion destroys fear.  11 ॥

नास्तिकामसमोव्याधिर्नास्तिमोहसमोरिपुः ।। 
नास्तिकोपसमोबह्निर्नास्तिज्ञानात्परंसुखम् १२

अर्थ - कामासक्ति के समान दूसरी व्याधि नहीं है, अज्ञान के समान दूसरा बैरी नहीं है, क्रोध के तुल्य दूसरी आग नहीं है, ज्ञान से परे कोई भी सुख नहीं है ॥ १२॥ 

nāstikāmasamōvyādhirnāstimōhasamōripuḥ ॥ 
nāstikōpasamōbahnirnāstijñānātparaṁsukham 12

Meaning - There is no other disease like lust, there is no other enemy like ignorance, there is no other fire like anger, there is no happiness beyond knowledge. ।। 12॥

जन्ममृत्युद्दियात्ये कोभुनत्ये कःशुभाशुभम् ॥ 
नर केषुपतत्येकएको यातिपराङ्गतिम्॥१३ ॥

अर्थ - यह निश्चय है कि एक ही पुरुष (स्वयं ही) जन्म-मरण पाता है। सुख दुःख एक ही भोगता है एक ही नरकों में पड़ता है और एक ही मोक्ष पाता है, अर्थात् इन कामों में कोई किसी कि सहायता नहीं कर सकता ॥१३॥

janmamr̥tyuddiyātyē kōbhunatyē kaḥśubhāśubham ॥ 
nara kēṣupatatyēkēkō yātiparāṅgatim॥13 ॥

Meaning - It is certain that only one person (himself) experiences birth and death.  Only one experiences happiness and sorrow, only one falls into hell and only one attains salvation, that is, no one can help anyone else in these tasks.।।13॥

तृणंब्रह्मविदःस्वर्गंतणंसूरस्पजीवितं ॥ 
जिताक्षस्यतृणंनारीनिस्टहस्पतृणं जगत् ॥१४॥

अर्थ - ब्रह्मज्ञानी को स्वर्ग तृण समान है, शूर को जीवन तृण है, जिसने इन्द्रियों को वश किया उसे स्त्री तृण के तुल्य जान पड़ती है, निस्पृह को जगत् तृण के समान हो जाता है॥ १४ ॥

tr̥ṇaṁbrahmavidaḥsvargaṁtaṇaṁsūraspajīvitaṁ ॥ 
jitākṣasyatr̥ṇaṁnārīnisṭahaspatr̥ṇaṁ jagat ॥14॥

Meaning - To a wise man, heaven is like a straw, to a brave man, life is like a straw, to one who has controlled his senses, a woman seems like a straw, to a disinterested person the world seems like a straw. ।। 14 ॥

विद्यामित्रंप्रवासेषुभार्यामित्रंग्गृद्देषु च ॥ 
व्याधितस्यौषधंमित्रंधर्मोमित्रंमृतस्य च॥१५॥

अर्थ - विदेश में विद्या मित्र होती है, गृह में भार्या मित्र है, रोगी का मित्र औषध है और मरे का मित्र धर्म है ॥ १५ ॥

vidyāmitraṁpravāsēṣubhāryāmitraṁggr̥ddēṣu ca ॥ 
vyādhitasyauṣadhaṁmitraṁdharmōmitraṁmr̥tasya ca॥15॥

Meaning - Knowledge is a friend abroad, wife is a friend at home, medicine is the friend of the sick and religion is the friend of the dead.  ।।15।।

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 5   श्लोक-  11-15

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

 चाणक्यनीतिदर्पण 5.2

चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ पंचमोऽध्यायः ॥ 5 ॥

atha paṁcamō’dhyāyaḥ ॥ 5 ॥

मूर्खाणांपंडिताद्वेष्या अधनानांमहाधनाः ॥ 
दुर्भगाणांचसुभगाःकुलटानांकुलांगनाः॥६॥

अर्थ - मूर्ख पंडितों से, दरिद्री धनिकों से, व्यभिचारिणी कुलस्त्रियों से, और विधवा सुहागिनियों से बुरा मानती हैं अर्थात् यह सामान्य स्वभाव होता है ॥ ६ ॥

mūrkhāṇāṁpaṁḍitādvēṣyā adhanānāṁmahādhanāḥ ॥ 
durbhagāṇāṁcasubhagāḥkulaṭānāṁkulāṁganāḥ॥6॥

Meaning - She feels bad against foolish scholars, poor rich people, adulterous noblewomen and widows against married women, that is, it is their normal nature. ।। 6॥

आलस्योपहताविद्या पर हस्तेगतंधनम् ॥ 
अल्पबीजंदतंक्षेत्रं हतंसैन्यमनायकम् ॥ ७ ॥

अर्थ - आलस्यसे विद्या नष्ट हो जाती है, दूसरे के हाथ में जाने से धन निरर्थक हो जाता है, बीज की न्यूनता से खेत नष्ट हो जाता है, सेनापति के बिना सेना नष्ट हो जाती है ॥ ७॥

ālasyōpahatāvidyā para hastēgataṁdhanam ॥ 
alpabījaṁdataṁkṣētraṁ hataṁsainyamanāyakam ॥ 7 ॥

Meaning - Knowledge is destroyed due to laziness, wealth becomes worthless if it goes into someone else's hands, fields are destroyed due to lack of seeds, and an army is destroyed without a commander.  ।।7॥

अभ्यासादार्यतेविद्याकुलंशीलेन धार्यते ॥ 
गुणेनज्ञायतेत्वार्यः कोपोनेत्रेणगम्यते ॥ ८ ॥

अर्थ - अभ्यास से विद्या, सुशीलता से कुल, गुण से भला मनुष्य और नेत्र से कोप ज्ञात होता है ॥८॥

abhyāsādāryatēvidyākulaṁśīlēna dhāryatē ॥ 
guṇēnajñāyatētvāryaḥ kōpōnētrēṇagamyatē ॥ 8 ॥

Meaning - Knowledge is known through practice, family is known through kindness, a good person is known through qualities and anger is known through eyes.।।8।।

बित्तेनरक्ष्यतेधर्मोविद्यायोगेनरक्ष्यते ॥ 
मृदुनारक्ष्यतेभूपःसत्त्रियारक्ष्यतेगृहम्॥ ९॥

अर्थ - धन से धर्म की रक्षा होती है, यम नियम आदि योग से ज्ञान रक्षित होता है, मृदुता से राजा की रक्षा होती है, सच्ची स्त्री से घरकी रक्षा होती है ॥ ९ ॥

bittēnarakṣyatēdharmōvidyāyōgēnarakṣyatē ॥ 
mr̥dunārakṣyatēbhūpaḥsattriyārakṣyatēgr̥ham॥ 9॥

Meaning - Dharma is protected by wealth, knowledge is protected by Yama Niyama etc. Yoga, king is protected by softness, home is protected by a true woman.  ।।9॥

अन्यथा वेदपाण्डित्यंशास्त्रमाचारमन्यथा ॥ 
अन्यथा यद्वदन्शांतंलोकाःक्लिश्यन्तिचान्यथा ॥ 10॥

अर्थ - वेद के पांडित्य को व्यर्थ प्रकाश करने वाला, शास्त्र और उसके आचार के विषय में व्यर्थ विवाद करनेवाला, शांँत पुरुषों को अन्यथा कहनेवाला, ये लोग व्यर्थ ही क्लेश उठाते हैं ॥ १० ॥

anyathā vēdapāṇḍityaṁśāstramācāramanyathā ॥ 
anyathā yadvadanśāṁtaṁlōkāḥkliśyanticānyathā ॥ 10॥
Meaning - Those who uselessly expose the wisdom of the Vedas, those who make pointless disputes about the scriptures and their conduct, those who say otherwise to peaceful people, these people suffer in vain.  ।।10 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 5   श्लोक-  6-10

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

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