चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ दशमोऽध्यायः ॥ 10 ॥
atha daśamō’dhyāyaḥ ॥ 10 ॥
लुब्धानायाचकःशत्रुर्मूर्खाणाबोधकोरिपुः ॥ जारस्त्रीणांपतिःशत्रुश्चौर राणां चंद्रमारिषुः॥६॥ अर्थ - लोभियों को याचक और मूर्ख को समझाने वाला और पुंश्चलीस्त्रियों को पति और चोरों को चन्द्रमा शत्रु है ॥ ६ ॥ lubdhānāyācakaḥśatrurmūrkhāṇābōdhakōripuḥ ॥ jārastrīṇāṁpatiḥśatruścaura rāṇāṁ caṁdramāriṣuḥ॥6॥ Meaning - The moon is the enemy of the greedy, the beggar of the foolish, the husband of the unruly women and the enemy of the thieves. 6॥ येषांनविद्यानतपो नदानंनचापिशीलनगुणोंन धर्मः ॥ ते मृत्युलोके सुविभार भूत मनष्य रूपेण मृगाश्चरन्ति ॥ ७ ॥ अर्थ - जिन लोगों में न विद्या है, न तप है, न दान है न शील है न गुण है और न धर्म है वे संसार में पृथ्वी पर भार रूप होकर मनुष्य रूप से मृगवत फिर रहे हैं ॥ ७ ॥ yēṣāṁnavidyānatapō nadānaṁnacāpiśīlanaguṇōṁna dharmaḥ ॥ tē mr̥tyulōkē suvibhāra bhūta manaṣya rūpēṇa mr̥gāścaranti ॥ 7 ॥ Meaning - Those people who have neither knowledge, nor penance, nor charity, nor modesty, nor virtues, nor religion, they are wandering in the world like a burden on the earth, dying in human form. 7 ॥ अंतःसारविहीनानामुपदेशोनजायते ॥ मलयाचल संसर्गान्नवेणुश्चंदनायते ॥ ८ ॥ अर्थ - गंभीरता विहीन पुरुषों को शिक्षा देना सार्थक नहीं होता, मलयाचलके संग में बांस चन्दन नहीं हो जाता ॥ ८ ॥ aṁtaḥsāravihīnānāmupadēśōnajāyatē ॥ malayācala saṁsargānnavēṇuścaṁdanāyatē ॥ 8 ॥ Meaning - It is not meaningful to give education to people without seriousness, bamboo does not become sandalwood in the company of Malayalam. 8॥ यस्यनास्तिस्वयंप्रज्ञाशास्त्रंतस्यकरोतिकिं ॥ लोचनाभ्यांविहीनस्यदर्पणंकिंकरिष्यति॥9॥ अर्थ - जिसकी स्वाभाविक बुद्धि नहीं है उसको शास्त्र क्या कर सकता है आंखों से हीन को दर्पण क्या करेगा ॥ 9 ॥ yasyanāstisvayaṁprajñāśāstraṁtasyakarōtikiṁ || lōcanābhyāṁvihīnasyadarpaṇaṁkiṁkariṣyati||9|| Meaning - What can the scriptures do to someone who does not have natural intelligence? What can a mirror do to someone who is blind? 9॥ दुर्जनंसज्जनं कर्तुमुपायोन हि भूतले ॥ अपानंशतधाधौतं न श्रेष्ठमिन्द्रियंभवेत् ॥१०॥ अर्थ - दुर्जन को सज्जन करने के लिये पृथ्वी तल में कोई उपाय नहीं है मल का त्याग करने वाली इन्द्रिय सौ बार भी धोई जाय तो भी वह श्रेष्ठ इन्द्रिय न होगी ॥ १०॥ durjanaṁsajjanaṁ kartumupāyōna hi bhūtalē ॥ apānaṁśatadhādhautaṁ na śrēṣṭhamindriyaṁbhavēt ॥10॥ Meaning - There is no way on earth to make the durjan means persons with evils or bad things within him, to a noble person. Even if the organ of excretion is washed a hundred times, it will not be the best organ. 10॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 10 श्लोक- 16-20
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।