मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती ...
बैलों के गले में जब घुंघरू जीवन का राग सुनाते हैं ग़म कोस दूर हो जाता है खुशियों के कंवल मुस्काते हैं सुनके रहट की आवाज़ें यूँ लगे कहीं शहनाई बजे आते ही मस्त बहारों के दुल्हन की तरह हर खेत सजे, मेरे देश ...
जब चलते हैं इस धरती पे हल ममता अंगड़ाइयाँ लेती है क्यूँ ना पूजे इस माटी को जो जीवन का सुख देती है इस धरती पे जिसने जनम लिया, उसने ही पाया प्यार तेरा यहाँ अपना पराया कोई नहीं, है सब पे है माँ उपकार तेरा, मेरे देश ...
ये बाग़ है गौतम नानक का खिलते हैं चमन के फूल यहाँ गांधी, सुभाष, टैगोर, तिलक, ऐसे हैं अमन के फूल यहाँ रंग हरा हरी सिंह नलवे से रंग लाल है लाल बहादुर से रंग बना बसंती भगत सिंह रंग अमन का वीर जवाहर से, मेरे देश ...
Mere Desh Ki Dharti lyrics in Englsh
Lyrics
Mere desh ki dharti O mere desh ki dharti sona ugle Ugle heere moti, mere desh ki dharti Mere desh ki dharti Mere desh ki dharti sona ugle Ugle heere moti, mere desh ki dharti Mere desh ki dharti
Bailon ke gale mein jab ghungharu Jeevan ka raag sunaate hain Jeevan ka raag sunaate hain Gham koson door ho jata hai Khushiyon ke kanval muskaate hain Khushiyon ke kanval muskaate hain Sun ke rehat ki aawaazein Sun ke rahat ki aawaazein Yun lage kahin shehnaai baje Yun lage kahin shehnaai baje Aate hi mast baharon ke Dulhan ki tarah har khet saje Dulhan ki tarah har khet saje
O mere desh ki dharti O mere desh ki dharti sona ugle Ugle heere moti, o mere desh ki dharti Mere desh ki dharti
Jab chalte hain is dharati pe hal Mamta angdaaiyaan leti hai Mamta angdaaiyaan leti hai Kyun na pooje is maati ko Jo jeevan ka sukh deti hai Jo jeevan ka sukh deti hai Is dharti pe jisne janam liya Is dharti pe jisne janam liya Usne hi paya pyaar tera Usne hi paya pyaar tera Yahan apna paraya koi nahin Yahan apna paraya koi nahin Hai sab pe hai Maa upkaar tera Hai sab pe hai Maa upkaar tera
Mere desh ki dharti O mere desh ki dharti sona ugle Ugle heere moti, mere desh ki dharti Mere desh ki dharti
Yeh baag hai Gautam Nanak ka Khilte hain aman ke phool yahan Khilte hain aman ke phool yahan Gaandhi, Subhash Gaandhi, Subhash, Tagore, Tilak Aise hain chaman ke phool yahan Aise hain chaman ke phool yahan Rang hara hari Singh Nalve se.. Rang laal hai Lal Bahadur se Rang bana basanti Bhagat Singh Rang bana basanti Bhagat Singh Rang aman ka veer Jawahar se Rang aman ka veer Jawahar se
Mere desh ki dharti O mere desh ki dharti sona ugle Ugle heere moti, mere desh ki dharti Mere desh ki dharti
Mere desh ki dharti sona ugle Ugle heere moti, mere desh ki dharti Mere desh ki dharti Mere desh ki dharti Mere desh ki dharti Mere desh ki dharti Mere desh ki dharti
गाना / Title: मेरे देश की धरती, सोना उगले उगले हीरे मोती – mere desh kii dharatii, sonaa ugale ugale hiire motii
चित्रपट / Film: उपकार-(Upkaar)
संगीतकार / Music Director: कल्याणजी – आनंदजी-(Kalyanji-Anandji)
गीतकार / Lyricist: गुलशन बावरा-(Gulshan Bawra) गायक / Singer(s): chorus, महेन्द्र कपूर-(Mahendra Kapoor) राग / Raag: Bhairavi
[Chorus: Arijit Singh] ओ, सजनी रे कैसे कटें दिन-रात? कैसे हो तुझ से बात? तेरी याद सतावे रे
[Chorus: Arijit SIngh] ओ, सजनी रे कैसे कटें दिन-रात? कैसे मिले तेरा साथ? तेरी याद, तेरी याद सतावे रे
[Instrumental Break]
[Verse 1: Arijit Sing] कैसे घनेरे बदरा घिरें तेरी कमी की बारिश लिए? सैलाब जो मेरे सीने में है कोई बताए, ये कैसे थमे तेरे बिना अब कैसे जिएँ?
[Chorus: Arijit Singh] ओ, सजनी रे कैसे कटें दिन-रात? कैसे हो तुझ से बात? तेरी याद सतावे रे
[Instrumental Break]
[Chorus: Arijit Singh] ओ, सजनी रे कैसे कटें दिन-रात? कैसे हो तुझ से बात? तेरी याद, तेरी याद सतावे रे
[Outro: Arijit Singh] ओ, सजनी रे
“सजनी” अरिजीत सिंह और राम संपत का एक गाना है, जिसे आमिर खान प्रोडक्शंस द्वारा निर्मित फिल्म “लापता लेडीज़” में दिखाया गया है। इस ट्रैक में दिल को छू लेने वाले बोलों को मधुर संगीत के साथ मिलाया गया है, जो प्यार और लालसा के विषयों को दर्शाता है। 2024 में रिलीज़ होने वाले इस गाने में अरिजीत की दिल को छू लेने वाली आवाज़ और संपत की बेहतरीन रचना है, जो फिल्म की भावनात्मक गहराई में योगदान देती है।
O sajni re LYRICS IN ENGLISH
Sajni Lyrics Lyrics SAJNI O sajni re Kaise kate din raat Kaise ho tujhse baat Teri yaad satave re O sajni re Kaise kate din raat Kaise mile tera saath Teri yaad… Teri yaad satave re Antra Kaise ghanere badra ghire Teri kami ki barish liye Sailaab jo mere seene me hai Koi bataye ye kaise thame Tere bina ab kaise jiye O sajni re Kaise kate din raat Kaise ho tujhse baat Teri yaad satave re O sajni re Kaise kate din raat Kaise ho tujhse baat Teri yaad… Teri yaad satave re O sajni re
Ye Tune Kya Kiya Lyrics Ishq woh balaa haiIshq woh balaa haiJisko chhua jisne woh jalaa hai Dil se hota hai shuruDil se hota hai shuruPar kambakht sar pe chadha hai Kabhi khud se, kabhi khuda seKabhi zamaane se ladaa haiItna hua badnaam phir bhiHar zubaan pe adaa hai Ishq ki saazisheinIshq ki baaziyaanHaara main… Read more: Ye Tune Kya Kiya Lyrics
Song by Anuv Jain ‧ 2024 JO TUM MERE HO Lyrics हैरान हूँ कि कुछ भी न मांगूं कभी मैं जो तुम मेरे हो ऐसा हो क्यों? कि लगता है हासिल सभी है जो तुम मेरे हो जो तुम मेरे हो तो मैं कुछ नहीं मांगूं दुनिया से और तुम हो ही नहीं तो मैं… Read more: Jo Tum Mere Ho
हिंदी दिवस पर कविता(hindi Diwas Par Kavita) 14 सितंबर को ‘हिन्दी दिवस’ मनाया जाता है। संवैधानिक रूप से हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है किंतु सरकारों ने उसे उसका प्रथम स्थान न देकर अन्यत्र धकेल दिया यह दुखदाई है। हिंदी को राजभाषा के रूप में देखना और हिंदी दिवस के रूप में उसका सम्मान… Read more: हिंदी दिवस पर कविता(hindi Diwas Par Kavita)
पं.माखनलाल चतुर्वेदी कैदी और कोकिला 1क्या गाती हो?क्यों रह-रह जाती हो? कोकिल बोलो तो ! क्या लाती हो? सन्देशा किसका है? कोकिल बोलो तो ! 2ऊँची काली दीवारों के घेरे में, डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में, जीने को देते नहीं पेट भर खाना, मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना ! जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है, शासन है, या तम का… Read more: कैदी और कोकिला/
पुष्प की अभिलाषा पुष्प की अभिलाषा /पं.माखनलाल चतुर्वेदी चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ।चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ॥चाह नहीं, सम्राटों के शव पर, हे हरि, डाला जाऊँ।चाह नहीं, देवों के सिर पर चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ॥मुझे तोड़ लेना वनमाली!उस पथ में देना तुम फेंक॥मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने।जिस पथ जावें… Read more: Pushp Ki Abhilasha
गायत्री मंत्र के पहले नौ शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं. ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुखों का नाश करने वाला
स्वः = सुख प्रदाण करने वाला
तत = वह, सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी,
प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)
गायत्री मंत्र के फायदे
हिन्दू धर्म में गायत्री मंत्र को विशेष मान्यता प्राप्त है. कई शोधों द्वारा यह भी प्रमाणित किया गया है कि गायत्री मंत्र के जाप से कई फायदे भी होते हैं जैसे : मानसिक शांति, चेहरे पर चमक, खुशी की प्राप्ति, चेहरे में चमक, इन्द्रियां बेहतर होती हैं, गुस्सा कम आता है और बुद्धि तेज होती है.
Ye Tune Kya Kiya Lyrics Ishq woh balaa haiIshq woh balaa haiJisko chhua jisne woh jalaa hai Dil se hota hai shuruDil se hota hai shuruPar kambakht sar pe chadha hai Kabhi khud se, kabhi khuda seKabhi zamaane se ladaa haiItna hua badnaam phir bhiHar zubaan pe adaa hai Ishq ki saazisheinIshq ki baaziyaanHaara main… Read more: Ye Tune Kya Kiya Lyrics
Song by Anuv Jain ‧ 2024 JO TUM MERE HO Lyrics हैरान हूँ कि कुछ भी न मांगूं कभी मैं जो तुम मेरे हो ऐसा हो क्यों? कि लगता है हासिल सभी है जो तुम मेरे हो जो तुम मेरे हो तो मैं कुछ नहीं मांगूं दुनिया से और तुम हो ही नहीं तो मैं… Read more: Jo Tum Mere Ho
हिंदी दिवस पर कविता(hindi Diwas Par Kavita) 14 सितंबर को ‘हिन्दी दिवस’ मनाया जाता है। संवैधानिक रूप से हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है किंतु सरकारों ने उसे उसका प्रथम स्थान न देकर अन्यत्र धकेल दिया यह दुखदाई है। हिंदी को राजभाषा के रूप में देखना और हिंदी दिवस के रूप में उसका सम्मान… Read more: हिंदी दिवस पर कविता(hindi Diwas Par Kavita)
पं.माखनलाल चतुर्वेदी कैदी और कोकिला 1क्या गाती हो?क्यों रह-रह जाती हो? कोकिल बोलो तो ! क्या लाती हो? सन्देशा किसका है? कोकिल बोलो तो ! 2ऊँची काली दीवारों के घेरे में, डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में, जीने को देते नहीं पेट भर खाना, मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना ! जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है, शासन है, या तम का… Read more: कैदी और कोकिला/
पुष्प की अभिलाषा पुष्प की अभिलाषा /पं.माखनलाल चतुर्वेदी चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ।चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ॥चाह नहीं, सम्राटों के शव पर, हे हरि, डाला जाऊँ।चाह नहीं, देवों के सिर पर चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ॥मुझे तोड़ लेना वनमाली!उस पथ में देना तुम फेंक॥मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने।जिस पथ जावें… Read more: Pushp Ki Abhilasha
Ye Tune Kya Kiya Lyrics Ishq woh balaa haiIshq woh balaa haiJisko chhua jisne woh jalaa hai Dil se hota hai shuruDil se hota hai shuruPar kambakht sar pe chadha hai Kabhi khud se, kabhi khuda seKabhi zamaane se ladaa haiItna hua badnaam phir bhiHar zubaan pe adaa hai Ishq ki saazisheinIshq ki baaziyaanHaara main… Read more: Ye Tune Kya Kiya Lyrics
Song by Anuv Jain ‧ 2024 JO TUM MERE HO Lyrics हैरान हूँ कि कुछ भी न मांगूं कभी मैं जो तुम मेरे हो ऐसा हो क्यों? कि लगता है हासिल सभी है जो तुम मेरे हो जो तुम मेरे हो तो मैं कुछ नहीं मांगूं दुनिया से और तुम हो ही नहीं तो मैं… Read more: Jo Tum Mere Ho
हिंदी दिवस पर कविता(hindi Diwas Par Kavita) 14 सितंबर को ‘हिन्दी दिवस’ मनाया जाता है। संवैधानिक रूप से हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है किंतु सरकारों ने उसे उसका प्रथम स्थान न देकर अन्यत्र धकेल दिया यह दुखदाई है। हिंदी को राजभाषा के रूप में देखना और हिंदी दिवस के रूप में उसका सम्मान… Read more: हिंदी दिवस पर कविता(hindi Diwas Par Kavita)
पं.माखनलाल चतुर्वेदी कैदी और कोकिला 1क्या गाती हो?क्यों रह-रह जाती हो? कोकिल बोलो तो ! क्या लाती हो? सन्देशा किसका है? कोकिल बोलो तो ! 2ऊँची काली दीवारों के घेरे में, डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में, जीने को देते नहीं पेट भर खाना, मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना ! जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है, शासन है, या तम का… Read more: कैदी और कोकिला/
पुष्प की अभिलाषा पुष्प की अभिलाषा /पं.माखनलाल चतुर्वेदी चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ।चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ॥चाह नहीं, सम्राटों के शव पर, हे हरि, डाला जाऊँ।चाह नहीं, देवों के सिर पर चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ॥मुझे तोड़ लेना वनमाली!उस पथ में देना तुम फेंक॥मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने।जिस पथ जावें… Read more: Pushp Ki Abhilasha
दिल से चाहने की मुझे सजा देते हो मैं रोता हूं और तुम मजा लेते हो
तेरी शिकायत कर दूं तुझको गले लगा कर
तेरी शिकायत कर दूं तुझको गले लगा कर तेरी गलतियों को फिर से जाऊं तुझको समझा कर
मैं जा रहा हूं दूर तुम आवाज दोगी क्या मैं जा रहा हूं दूर तुम आवाज दोगी क्या
तेरा नाम धोखा रख दूं नाराज होगी क्या तेरा नाम धोखा रख दूं नाराज होगी क्या
जब दिल में दुआ नहीं है नमाज दोगी क्या जब दिल में दुआ नहीं है नमाज दोगी क्या तेरा नाम धोखा रख दूं नाराज होगी क्या तेरा नाम धोखा रख दूं नाराज होगी क्या
तूने जिस तरह से लूटा आहट भी होने ना दी हा तूने जिस तरह से लूटा आहट भी होने ना दी मुझे अपना नशा कराया और आदत भी होने ना दी
कितना लूटा है तुमने तुम हिसाब दोगी क्या कितना लूटा है तुमने तुम हिसाब दोगी क्या
तेरा नाम धोखा रख दूं नाराज होगी क्या तेरा नाम धोखा रख दूं नाराज होगी क्या
कैसे छोडू मैं तुमको तुम जवाब दोगी क्या कैसे छोडू मैं तुमको तुम जवाब दोगी क्या
तेरा नाम धोखा रख दूं नाराज होगी क्या तेरा नाम धोखा रख दूं नाराज होगी क्या
हा कितने खंजर पीठ पर मेरी गिनकर तो बताओ ध्यान से गिनना बेवफा कहीं गिनती न भूल जाओ देखना है गम तो तुम मेरे दिल के अंदर आओ चौकना मत जब अंदर तुम अपनी तस्वीर पाओ
जला दूं जो तस्वीर तेरी उदास होगी क्या जला दूं जो तस्वीर तेरी उदास होगी क्या
तेरा नाम धोखा रख दूं नाराज होगी क्या तेरा नाम धोखा रख दूं नाराज होगी क्या
जब दिल में दुआ नहीं है नमाज दोगी क्या जब दिल में दुआ नहीं है नमाज दोगी क्या तेरा नाम धोखा रख दूं नाराज होगी क्या तेरा नाम धोखा रख दूं नाराज होगी क्या
कहानी बुरी नहीं थी इश्क की मेरे बस तेरे जैसे कुछ किरदार धोखेबाज़ निकले
Ye Tune Kya Kiya Lyrics Ishq woh balaa haiIshq woh balaa haiJisko chhua jisne woh jalaa hai Dil se hota hai shuruDil se hota hai shuruPar kambakht sar pe chadha hai Kabhi khud se, kabhi khuda seKabhi zamaane se ladaa haiItna hua badnaam phir bhiHar zubaan pe adaa hai Ishq ki saazisheinIshq ki baaziyaanHaara main… Read more: Ye Tune Kya Kiya Lyrics
Song by Anuv Jain ‧ 2024 JO TUM MERE HO Lyrics हैरान हूँ कि कुछ भी न मांगूं कभी मैं जो तुम मेरे हो ऐसा हो क्यों? कि लगता है हासिल सभी है जो तुम मेरे हो जो तुम मेरे हो तो मैं कुछ नहीं मांगूं दुनिया से और तुम हो ही नहीं तो मैं… Read more: Jo Tum Mere Ho
हिंदी दिवस पर कविता(hindi Diwas Par Kavita) 14 सितंबर को ‘हिन्दी दिवस’ मनाया जाता है। संवैधानिक रूप से हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है किंतु सरकारों ने उसे उसका प्रथम स्थान न देकर अन्यत्र धकेल दिया यह दुखदाई है। हिंदी को राजभाषा के रूप में देखना और हिंदी दिवस के रूप में उसका सम्मान… Read more: हिंदी दिवस पर कविता(hindi Diwas Par Kavita)
पं.माखनलाल चतुर्वेदी कैदी और कोकिला 1क्या गाती हो?क्यों रह-रह जाती हो? कोकिल बोलो तो ! क्या लाती हो? सन्देशा किसका है? कोकिल बोलो तो ! 2ऊँची काली दीवारों के घेरे में, डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में, जीने को देते नहीं पेट भर खाना, मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना ! जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है, शासन है, या तम का… Read more: कैदी और कोकिला/
पुष्प की अभिलाषा पुष्प की अभिलाषा /पं.माखनलाल चतुर्वेदी चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ।चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ॥चाह नहीं, सम्राटों के शव पर, हे हरि, डाला जाऊँ।चाह नहीं, देवों के सिर पर चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ॥मुझे तोड़ लेना वनमाली!उस पथ में देना तुम फेंक॥मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने।जिस पथ जावें… Read more: Pushp Ki Abhilasha
तू मेरा कोई ना होके भी कुछ लागे तू मेरा कोई ना होके भी कुछ लागे किया रे जो भी तूने कैसे किया रे जिया को मेरे बाँध ऐसे लिया रे समझ के भी न मैं समझ सकूँ सवेरो का मेरे तू सूरज लागे तू मेरा कोई ना होके भी कुछ लागे तू मेरा कोई ना होके भी कुछ लागे तू मेरा कोई ना होके भी कुछ लागे अपना बना ले पिया अपना बना ले पिया अपना बना ले मुझे अपना बना ले पिया अपना बना ले पिया अपना बना ले पिया दिल के नगर में शहर तू बसा ले पिया छूने से तेरे हाँ तेरे हाँ तेरे
पीकि रूटों रंग लगे छूने से तेरे हाँ तेरे हाँ तेरे पीकि रूटों रंग लगे तेरी दिशा में क्यों चलने से मेरी पैरों को पंख लगे
है न मेरे काम का जग सारा है बस तेरे नाम से ही गुज़ारा उलझ के मैं न सुलझ न सकूं जुबानियाँ तेरी झूठी भी सच्चे लागे तू मेरा कोई ना होके भी कुछ लागे तू मेरा कोई ना होके भी कुछ लागे तू मेरा कोई ना होके भी कुछ लागे अपना बना ले पिया अपना बना ले पिया अपना बना ले मुझे अपना बना ले पिया अपना बना ले पिया अपना बना ले पिया दिल के नगर में शहर तू बसा ले पिया ओ सब कुछ मेरा चाहे
नाम अपना लिखा ले बदले में अपनी यारी निभा ले जग की हिरासत से मुझको छुड़ा ले अपना बना ले बस अपना बना ले अपना बना ले अपना बना ले
Tu Mera Koi Na Hoke Bhi Kuch Lage Lyrics in English
— — — — — — — — — — — — — — — —
Tu Mera Koi Na Hoke Bhi Kuch Laage Tu Mera Koi Na Hoke Bhi Kuch Laage Kiya Re Jo Bhi Tune Kaise Kiya Re Jiya Ko Mere Baandh Aise Liya Re Samajh Ke Bhi Na Main Samajh Na Saku Savero Ka Mere Tu Sooraj Laage Tu Mera Koi Na Hoke Bhi Kuch Laage Tu Mera Koi Na Hoke Bhi Kuch Laage Tu Mera Koi Na Hoke Bhi Kuch Laage Apna Bana Le Piya Apna Bana Le Piya Apna Bana Le Mujhe Apna Bana Le Piya Apna Bana Le Piya Apna Bana Le Piya Dil Ke Nagar Mein Sheher Tu Basa Le Piya Chhune Se Tere Haan Tere Haan Tere Pheeki Ruton Rang Lage Chhune Se Tere Haan Tere Haan Tere Pheeki Ruton Rang Lage Teri Disha Mein Kyun Chalne Se Mere Pairon Ko Pankh Lage Hai Na Mere Kaam Ka Jag Saara Hai Bas Tere Naam Se Hi Guzaara Ulajh Ke Main Na Sulajh Saku Jubaaniyan Teri Jhuthi Bhi Sacchi Laage Tu Mera Koi Na Hoke Bhi Kuch Laage Tu Mera Koi Na Hoke Bhi Kuch Laage Tu Mera Koi Na Hoke Bhi Kuch Laage Apna Bana Le Piya Apna Bana Le Piya Apna Bana Le Mujhe Apna Bana Le Piya Apna Bana Le Piya Apna Bana Le Piya Dil Ke Nagar Mein Sheher Tu Basa Le Piya O.. Sab Kuch Mera Chaahe Naam Apne Likha Le Badle Mein Apni Yaari Nibha Le Jag Ki Hirasat Se Mujhko Chhuda Le Apna Bana Le Bas Apna Bana Le Apna Bana Le Apna Bana Le
चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ सप्तदशोऽध्याय प्रारंभः ॥ 17 ॥
atha saptadaśō’dhyāya prāraṁbhaḥ ॥ 17 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 17 श्लोक- 16-21
परोपकारांयेषाजा गतिहृदयेसताम् ॥
नश्यंतिविपद्रस्तेषासंपदः स्युःपदेपदे ॥ १६ ॥
अर्थ - जिन सज्जनों के हृदय में परोपकार जाग्रत है उनकी विपत्ति नष्ट हो जाती है और पद पद में संपत्ति प्राप्त होती है ॥ १६ ॥
parōpakārāṁyēṣājā gatihr̥dayēsatām ॥
naśyaṁtivipadrastēṣāsaṁpadaḥ syuḥpadēpadē ॥ 16 ॥
Meaning - Those gentlemen who have charity in their hearts, their troubles are destroyed and they get wealth at every step. ॥ 16 ॥
आहारनिद्राभयमैथुनानि समानिचैतानिनृणा पशूनाम् ॥
ज्ञानंनराणामधिकोविशेषोज्ञानेन हीनाः पशुभिःसमानाः ॥ १७ ॥
अर्थ - भोजन, निद्रा, भय मैथुन ये मनुष्य और पशुओं के समान ही हैं मनुष्यों को केवल ज्ञान अधिक विशेष है ज्ञान से रहित नर पशु के समान है ।॥१७॥
āhāranidrābhayamaithunāni samānicaitāninr̥ṇā paśūnām ॥
jñānaṁnarāṇāmadhikōviśēṣōjñānēna hīnāḥ paśubhiḥsamānāḥ ॥ 17 ॥
Meaning - Food, sleep, fear, sex, these are the same as humans and animals, only knowledge is more special for humans, a man without knowledge is like an animal.॥17॥
दानार्थिनोमधुकरायदिकर्णतालै दूरीकृताःक-रिवरेणमदान्धबुड्या ॥
तस्यैव गण्डयुगमण्डनहानिरेषाश्रृंगाःपुनर्विकचपद्मवनेवसंति ॥१८॥
अर्थ - यदि मदान्ध गजराज ने गजमद के अर्थी भौंरों को मदांधता से कर्ण के तालों से दूर किया तो यह उसी के दोनों गण्डस्थलकी शोभा कि हानि भई, भौंरे फिर विकसित कमल बन में बसते हैं ॥। ८॥
तात्पर्य यह है कि, यदि किसी निर्गुण मदांध राजा व धनी के निकट कोई गुणी जा पडे उस समय सदान्धों को गुणी का आदर न करना मानों अपनी लक्ष्मी की शोभा की हानि करनी है काल निरवधि है और पृथ्वी अनंत है गुणीका आदर कहीं न कहीं किसी समय होगा ही।।
dānārthinōmadhukarāyadikarṇatālai dūrīkr̥tāḥka-rivarēṇamadāndhabuḍyā ॥
tasyaiva gaṇḍayugamaṇḍanahānirēṣāśrr̥ṁgāḥpunarvikacapadmavanēvasaṁti ॥18॥
Meaning - If the inebriated Gajraj removed the gajmad's meaning bumblebees from Karna's locks out of his inebriation, then it would be a loss of beauty of both his Gandsthals, the bumblebees would then settle in the blossoming lotus. ।।8॥
The meaning is that, if a virtuous person comes near a virtuous king or a rich man, at that time the virtuous people should not respect the virtuous person, it would be like harming the beauty of his Goddess Lakshmi. Time is infinite and the earth is infinite. Respect for the virtuous person is somewhere or the other at some time. It will definitely happen.
वेश्यायमश्चाग्निस्तस्करोबालयाचकौ ॥
परदुःखंनजानंतिअष्टमोग्रामकंटकः ॥ १९॥
अर्थ - राजा, वेश्या, यम, अग्नि, चोर, बालक, याचक और आठवां ग्रामकंटक अर्थात् ग्रामनिवासियों को पीडा देकर अपना निर्वाह करनेवाला ये दूसरों के दुःख को नहीं जानते हैं ॥ 19 ॥
vēśyāyamaścāgnistaskarōbālayācakau ॥
paraduḥkhaṁnajānaṁtiaṣṭamōgrāmakaṁṭakaḥ ॥ 19॥
Meaning - The king, the prostitute, Yama, Agni, the thief, the child, the beggar and the eighth village Kantak i.e. the one who earns his living by giving pain to the villagers, they do not know the sorrow of others. ।। 19 ॥
अधःपश्यसि किंवाले पतितंतवकिंसुवि ॥
रेरेमूर्खनजानासि गतंतारुण्यमौक्तिकम्॥२०॥
अर्थ - हे बाला ! तू नीचे क्यों देखती है पृथ्वी पर तेरा क्या गिर पडा है तब स्त्रीने कहा अरे मूर्ख तू नहीं जानता कि, मेरा तरुणता रूप मोती चला गया॥२०॥
adhaḥpaśyasi kiṁvālē patitaṁtavakiṁsuvi ॥
rērēmūrkhanajānāsi gataṁtāruṇyamauktikam॥20॥
Meaning- Hey girl! Why do you look down, what has fallen on the earth? Then the woman said, O fool, don't you know that the pearl of my youth is gone?
व्यालाश्रया पिविफला पिसकंटकापिवक्रा पिपं किलभवापिदुरासदापि ॥ गन्धेनबन्धुरसिकेत- क्किसर्वजंतोःएकोगुणःखटुनिहंतिसमस्तदोषान् ॥ 17.21 ॥
अर्थ - हे केतकी ! यद्यपि तू सांँपों का घर है, विफल है, तुझमें कांटे भी हैं टेढी है कीचड में तेरी उत्याच है और तू दुःख से मिलती-जुलती है तथापि एक गंध गुण से सब प्राणियों की बन्धु हो रही है। निश्चय है कि, एक भी गुण दोषों का नाश कर देता है ॥ २१ ॥
vyālāśrayā piviphalā pisakaṁṭakāpivakrā pipaṁ kilabhavāpidurāsadāpi ॥ gandhēnabandhurasikēta- kkisarvajaṁtōḥēkōguṇaḥkhaṭunihaṁtisamastadōṣān
Meaning - Hey Ketaki! Although you are the house of snakes, you are unsuccessful, you also have thorns, you are crooked, you are in the mud and you resemble sorrow, yet by one smell quality you are binding all the living beings, it is certain that by destroying even a single quality, gives . ।। 17.21 ॥
इतिश्रीवृद्धचाणक्यनीतिदर्पण सप्तदशोऽध्यायः ॥ १७ ॥
itiśrīvr̥ddhacāṇakyanītidarpaṇa saptadaśō’dhyāyaḥ ॥ 17 ॥
इति श्री चाणक्यनीतिदपर्णःभाषाअर्थ - सहितो समाप्ता ॥
iti śrī cāṇakyanītidaparṇaḥbhāṣāartha - sahitō samāptā ॥
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।
चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ सप्तदशोऽध्याय प्रारंभः ॥ 17 ॥
atha saptadaśō’dhyāya prāraṁbhaḥ ॥ 17 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 17 श्लोक- 11-15
पादशेषंपीतशेषं संध्याशेषंतथैवच ॥
श्वानमूत्रसमंतोयं पीत्वाचांद्रायणंचरेत् ॥११॥
अर्थ - पांव धोने से जो जल बचता है, और पीने से जो जल बचता है और सन्ध्या करने पर जो अवशिष्ट जल है वह कुत्ते के मूत्र के समान है उसको पी लेने पर चांद्रायण व्रत करना चाहिये ॥11॥
pādaśēṣaṁpītaśēṣaṁ saṁdhyāśēṣaṁtathaivaca ॥
śvānamūtrasamaṁtōyaṁ pītvācāṁdrāyaṇaṁcarēt ॥11॥
Meaning - The water that is left after washing the feet, and the water that is left after drinking and the residual water in the evening is like dog's urine, after drinking it one should observe Chandrayaan fast.11॥
दानेन पाणिर्नतुकंकणेनस्नानेनशुद्धिर्नतुचंदनेन ॥
मानेनतृप्तिर्नतुभोजनेनज्ञानेन मुक्तिर्न तुमंडनेन ॥ १२ ॥
अर्थ - दान से हाथ शोभता है कंकंण से नहीं, स्नान से शरीर शुद्ध होता है चन्दन से नहीं, सम्मान से तृप्ति होती है भोजन से नहीं, ज्ञान से मुक्ति होती है, छापर तिलकादि भूषण से नहीं ॥ १२ ॥
dānēna pāṇirnatukaṁkaṇēnasnānēnaśuddhirnatucaṁdanēna ॥
mānēnatr̥ptirnatubhōjanēnajñānēna muktirna tumaṁḍanēna ॥ 12 ॥
Meaning - Hands are beautified by charity, not by bangles, body is purified by bathing, not by sandalwood, satisfaction is achieved by honour, not by food, liberation is achieved by knowledge, not by printing, tilak, etc. ।। 12 ॥
नापितस्यगृहेक्षौरं पाषाणेगंधलेपनम् ॥
आत्मरूपंजलेपश्यन्शक्रस्यापिश्रियंहरेत् ॥ १३ ॥
अर्थ - नाईं के घर पर बाल बनवाने वाले, पत्थर पर से लेकर चन्दन लेपन करने वाला, अपने रूप को पानी में देखने वाला इन्द्रभी हो तो उसकी लक्ष्मी को हर लेते हैं ॥ 13 ॥
nāpitasyagr̥hēkṣauraṁ pāṣāṇēgaṁdhalēpanam ॥
ātmarūpaṁjalēpaśyanśakrasyāpiśriyaṁharēt ॥ 13 ॥
Meaning - Even if Indra is the one who gets hair done at the barber's house, who applies sandalwood paste on stones, who sees his form in water, then we take away his Lakshmi. ॥13॥
सद्यःप्रज्ञाहरातुंडी सद्यःप्रज्ञांकरीवचा ॥
सद्यःशक्तिहरानारी सद्यःशक्तिकरं पयः॥१४॥
अर्थ - कुंदरू शीघ्र ही बुद्धि हर लेता है और बच (वचा एक वनस्पति औषधि है) झटपट बुद्धि देती है। स्त्री तुरंत ही शक्ति हर लेती है दूध शीघ्र ही बली कर देता है ॥ १४ ॥
sadyaḥprajñāharātuṁḍī sadyaḥprajñāṁkarīvacā ॥
sadyaḥśaktiharānārī sadyaḥśaktikaraṁ payaḥ॥14॥
Meaning - Kundru quickly takes away intelligence and Bach (Vacha is a vegetable medicine) gives quick intelligence. The woman immediately takes away her strength and the milk soon sacrifices her. ।। 14 ॥
यदिरामायदिरमा यदितनयोविनंथगुणोपेतः ॥
तनयेतनयोत्पत्तिःसुरवर नगरेकिमाधिक्यसं ॥ 15॥
अर्थ - यदि कांता है, यदि लक्ष्मी वर्तमान है, यदि पुत्र सुशीलता गुण से युक्त है, और पुत्र के पुत्र की उत्पचि हुई हो, फिर देवलोक में इससे अधिक क्या है ? ॥ १५ ॥
yadirāmāyadiramā yaditanayōvinaṁthaguṇōpētaḥ ॥
tanayētanayōtpattiḥsuravara nagarēkimādhikyasaṁ ॥ 15॥
Meaning - If there is Kanta, if Lakshmi is present, if the son is blessed with good qualities, and if the son's son has originated, then what is more than this in the world of gods ( The habitats of the heaven or swarga called devta) ? , ।।15.।।
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।
चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ सप्तदशोऽध्याय प्रारंभः ॥ 17 ॥
atha saptadaśō’dhyāya prāraṁbhaḥ ॥ 17 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 17 श्लोक- 6-10
अशक्ततस्तु भवेत्साधुर्ब्रह्मचारीचनिर्धनः ॥
व्याधिष्टोदेवभक्तश्ववृद्धानारीपतिव्रता ॥ ६ ॥
अर्थ - शक्तिहीन साधु होता है, निर्धन ब्रह्मचारी, रोगग्रस्त देवता का भक्त होता है और वृद्ध स्त्री पतिव्रता होती है ॥ ६ ॥
aśaktatastu bhavētsādhurbrahmacārīcanirdhanaḥ ॥
vyādhiṣṭōdēvabhaktaśvavr̥ddhānārīpativratā ॥ 6 ॥
Meaning: A powerless person is a saint, a poor person is a celibate, a sick person is a devotee of a deity, and an old woman is a chaste woman. ।। 6 ॥
नान्नोदकसमंदानं नतिथिर्द्वादशीसमा ॥
नगायत्र्याःपरोमंत्रो नमातुर्दैवतंपरम् ॥ ७ ॥
अर्थ - अन्न जल के समान कोई दान नहीं है, न द्वादशी के समान तिथि, गायत्री से बढ़कर कोई मंत्र नहीं है न माता से बढ़कर कोई देवता है ॥ ७ ॥
nānnōdakasamaṁdānaṁ natithirdvādaśīsamā ॥
nagāyatryāḥparōmaṁtrō namāturdaivataṁparam ॥ 7 ॥
Meaning - There is no charity like food and water, no date like Dwadashi, no mantra greater than Gayatri, nor any god greater than Mother. ।। 7 ॥
तक्षकस्यविषंदंते मक्षिकायाविषंशिरेः ॥
वृश्चिकस्यविषंपुच्छे सर्वांगे दुर्जनोविषम् ॥८॥
अर्थ - सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में विष है, बिच्छू की पूंछ में विष है किंतु दुर्जन के सब अंगों में विष ही व्याप्त रहता है ॥ ८ ॥
takṣakasyaviṣaṁdaṁtē makṣikāyāviṣaṁśirēḥ ॥
vr̥ścikasyaviṣaṁpucchē sarvāṁgē durjanōviṣam ॥8॥
Meaning - There is poison in the teeth of a snake, there is poison in the head of a fly, there is poison in the tail of a scorpion, but poison is present in all the parts of the wicked. ।।8॥
पत्युराज्ञांविनानारी उपोस्यव्रताचारिणी ॥
आयुष्यांहरतेभर्तुःसानारीनरकंव्रजेत् ॥ 9 ॥
अर्थ - पति की आज्ञा बिना उपवास व्रत करने वाली स्त्री स्वामी की आयु को हरती है और वह स्त्री आप नरक में जाती है ॥ 9 ॥
patyurājñāṁvinānārī upōsyavratācāriṇī ॥
āyuṣyāṁharatēbhartuḥsānārīnarakaṁvrajēt ॥ 9 ॥
Meaning - A woman who fasts without her husband's permission loses her master's life and that woman herself goes to hell. 9॥.
नदानःशुज्यतेनारी नोपवासशतैरपि ॥
नतीर्थसेवयातद्वद्भर्तुः पादोदकैर्यथा ॥ १० ॥
अर्थ - न दान से, न सैंकडों उपवासों से, न तीर्थ के सेवन से स्त्री वैसी शुद्ध होती है, जैसी स्वामी के चरणोदक से ॥ १० ॥
nadānaḥśujyatēnārī nōpavāsaśatairapi ॥
natīrthasēvayātadvadbhartuḥ pādōdakairyathā ॥ 10 ॥
Meaning - Neither by charity, nor by hundreds of fasts, nor by going on pilgrimage, a woman becomes as pure as by worshiping the Lord's feet. 10 ॥
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।