चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ चतुर्दशोऽध्यायः ॥ 14 ॥

atha caturdaśō’dhyāyaḥ ॥ 14 ॥

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 14   श्लोक-  16-20

एकएवपदार्थस्तुत्रिधाभवतिदीक्षितः ॥ 
कुंणपं. कामिनीमांसंयोगिभिः कामिभिः श्वभिः ॥ १६ ॥

अर्थ - एक ही देहरूप वस्तु तीन प्रकार की दिखाई पडती है योगी लोग उसको अधिनिन्दित मृतक रूपस, कामी पुरुष कांता रूप से और कुत्ते मांस रूप से देखते हैं ॥ १६ ॥

ēkēvapadārthastutridhābhavatidīkṣitaḥ ॥ 
kuṁṇapaṁ. kāminīmāṁsaṁyōgibhiḥ kāmibhiḥ śvabhiḥ ॥ 16 ॥

Meaning - The same physical object appears in three types; Yogis see it in the form of a condemned dead, lustful men see it in the form of a thorn and dogs in the form of flesh. 16 ॥

सुसिद्ध मौषधंधर्मगृहाच्छिद्रं चमैथुनम् ॥ 
कुसुक्तकुश्रुतंचैवमतिमान्नप्रकाशयेत् ॥१७॥

अर्थ - सिद्ध औषध, धर्म, अपने घर का दोष, मैथुन, कुअन्नका भोजन और निंदित वचन इन सभी का  प्रकाश करना बुद्धिमान को उचित नहीं है  अर्थात् इन सभी बातों की गोपनीयता की  रक्षा करनी चाहिए॥ १७ ॥ 

susiddha mauṣadhaṁdharmagr̥hācchidraṁ camaithunm ॥ 
kusuktakuśrutaṁcaivamatimānnaprakāśayēt ॥17॥

Meaning - It is not appropriate for a wise person to make public about proven medicines, religion, faults in one's home, sex, eating well and condemning words, that is, the secrecy of all these things should be protected. ।। 17 ॥

तावन्मानेननीयन्तेकोकिलैश्चैववासराः ॥ 
यावत्सर्वजनानन्ददायिनी वाक्प्रवर्तते ॥१८॥
अर्थ - तब तक  कोकिल (कोयल) मौन साधन से दिन बिताती है जब तक वह सब जनों को आनन्द देने वाली वाणी का प्रारंभ न कर दे ॥ १८ ॥

tāvanmānēnanīyantēkōkilaiścaivavāsarāḥ ॥ 
yāvatsarvajanānandadāyinī vākpravartatē ॥18॥

Meaning - The cuckoo spends its days in silence until it starts speaking, giving joy to all. 18 ॥

धर्मधनंचधान्यंचगुरोर्वचनमौषधम् 
सुगृहीतं चर्कर्तव्यमन्यथातुनजीवति ।।१९ ॥
अर्थ - धर्म, धन, धान्य, गुरू का वचन और औषध यदि ये सुगृहीत हों तो इनको भली भांति से करना चाहिये। जो ऐसा नहीं करता वह नहीं जीता ॥१९॥

dharmadhanaṁcadhānyaṁcagurōrvacanamauṣadham 
sugr̥hītaṁ carkartavyamanyathātunajīvati ॥19 ॥

Meaning - If religion, wealth, grain, Guru's word and medicine are well-established then they should be used properly. He who does not do this does not win.

त्यजदुर्जनसंसर्गभजसाधुसमागमम् ॥ 
कुरुपुण्यमहोरात्रंस्मरनित्यमनित्यतः ॥ २० ॥

अर्थ - खल का संग छोड, साधु की संगति का स्वीकार कर, दिनरात पुण्य क्रिया कर और ईश्वरका नित्यस्मरण कर क्योंकि यह संसार अनित्य है ।। 20 ।।

tyajadurjanasaṁsargabhajasādhusamāgamam ॥ 
kurupuṇyamahōrātraṁsmaranityamanityataḥ ॥ 20 ॥

Meaning - Leave the company of evil people, accept the company of a sage, do virtuous activities day and night and remember God daily because this world is impermanent. ।। 20 ।।


इति चतुर्दशोऽध्याय: ॥ 14 ॥
iti caturdaśō’dhyāya: ॥ 14 ॥

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।