चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ चतुर्दशोऽध्यायः ॥ 14 ॥

atha caturdaśō’dhyāyaḥ ॥ 14 ॥

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 14   श्लोक-  6-10

धर्माख्यानेश्मशानेचरोगिणायामतिर्भवेत् ॥ 
सासर्वदैव तिष्ठेच्चेत्कोनमुच्येतबंधनात् ॥ ६ ॥

अर्थ - धर्म विषयक कथा के, श्मशान यात्रा के समय पर और रोगियों को जो बुद्धि उत्पन्न होती है वह यदि सदा रहती तो कौन बन्धन से मुक्त न होता ॥ ६ ॥

dharmākhyānēśmaśānēcarōgiṇāyāmatirbhavēt ॥ 
sāsarvadaiva tiṣṭhēccētkōnamucyētabaṁdhanāt ॥ 6 ॥

Meaning - If the intelligence that arises from stories related to religion, at the time of a visit to the cremation ground and to the sick, remained there forever, then who would not be free from bondage? 6॥

उत्पन्न पश्चात्तापस्य बुद्धिर्भवतियादृशी ॥ 
तादृशी यदिपूर्वस्यात्कस्यनस्यान्महोदयः॥७॥
अर्थ - निंदित कर्म करने के पश्चात् पछताने वाले पुरुष को जैसी बुद्धि उत्पन्न होती है वैसी बुद्धि यदि पहले होती तो किसको बड़ी समृद्धि न होती ॥ ७॥

utpanna paścāttāpasya buddhirbhavatiyādr̥śī ॥ 
tādr̥śī yadipūrvasyātkasyanasyānmahōdayaḥ॥7॥

Meaning - If one had had the kind of intelligence that a man who repents after committing a condemnable act develops, then who would not have achieved great prosperity? 7॥

दाने तपसिशौर्येवा विज्ञानेविनयेनये ॥ 
विस्मयोनहिकर्तव्यो बहुरत्नावसुंधरा ॥ ८ ॥

अर्थ - दान में, तप में शूरता में, विज्ञता में, सुशीलता में, और नीति में विस्मय नहीं करना चाहिये। इस कारण कि पृथ्वी में, बहुत रत्न हैं ॥ ८ ॥

dānē tapasiśauryēvā vijñānēvinayēnayē ॥ 
vismayōnahikartavyō bahuratnāvasuṁdharā ॥ 8 ॥

Meaning - One should not be surprised at charity, penance, bravery, knowledge, politeness and policy. This is because there are many gems in the earth. 8॥

दूरस्थोऽपिनदूरस्थोयोयस्यमनसिस्थितः ॥ 
पौयस्यहृदयेनोस्तिसमीपस्थोऽपिदूरतः ॥ ९॥

अर्थ - जो जिसके हृदय में रहता है वह दूर भी हो तो भी वह दूर नहीं, जो जिसके मन में नहीं है वह समीप भी हो तो भी वह दूर है ॥9॥

dūrasthō’pinadūrasthōyōyasyamanasisthitaḥ ॥ 
pauyasyahr̥dayēnōstisamīpasthō’pidūrataḥ ॥ 9॥

Meaning - Even if the one who lives in his heart is far away, he is not far away, even if the one who is not in his mind is close, he is still far away.

यस्माच्चाप्रियमिच्छेत्तुतस्यनुयात्सदाप्रियम् ॥ 
व्याधोमृगवर्धगंर्तुगीतंगायतिसुस्वरम् ॥१०॥

अर्थ - जिससे प्रिय की वाञ्छा हो उससे सदा प्रिय बोलना उचित है, व्याध मृग के वध के निमित्त मधुर स्वर से गीत गाता है ॥ १० ॥

yasmāccāpriyamicchēttutasyanuyātsadāpriyam ॥ 
vyādhōmr̥gavardhagaṁrtugītaṁgāyatisusvaram ॥10॥

Meaning - It is appropriate to always speak 'Dear' to the person to whom one desires the beloved, the hunter sings a song in a sweet voice for the purpose of killing the deer. 10 ॥

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।