चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
नवमोऽध्यायः ॥ 9 ॥
navamō’dhyāyaḥ ॥ 9 ॥
प्रातर्युतप्रसंगेनमध्याह्नेस्त्रीप्रसंगतः ॥ रातौचौरप्रसंगेनकालोगच्छति धीमताम्।११। अर्थ - प्रात:कालमें जुआड़ियों की कथासे अर्थात् महाभारत में मध्यान्ह में स्त्रीके प्रसंगसे अर्थात् रामायण से, रात्रीमें चोर की वार्ता से अर्थात् भागवतसे, बुद्धिमानों का समय बीतता है ॥ तात्पर्य यह कि, महाभारतके सुनने से यह निश्चय हो जाता है कि, जुआ, कलह और छल का घर है। इस लोक और परलोक में उपकार करने वाले कामों को महाभारत में लिखी हुई रीतियों से करने पर उन कामोंका पूरा फल होता है; इस कारण बुद्धिमान् लोग प्रातःकाल ही में माहाभारतको सुनते हैं, जिससे दिनभर उसी रीती से काम करते जांय, रामायण सुनने से स्पष्ट उदाहरण मिलता है कि, स्त्रीके वश होनेसे अत्यन्त दुःख होता है और परस्त्रीपर दृष्टि देने से पुत्र कलत्र जड़ मूल के साथ पुरुष का नाश हो जाता है; इस हेतु, मध्यान्ह में अच्छे लोग रामायण को सुनते हैं प्रायःरात्रि में लोग इंन्द्रियों के वश हो जाते हैं और इन्द्रियोंका यह स्वभाव है कि, मन को अपने अपने विषयों में लगाकर जीव को विषयों में लगा देती हैं; इसी हेतु से इन्द्रियों को आत्माप्रहारी भी कहते हैं और जो लोग रात को भागवत सुनते हैं वे कृष्ण के चरित्रको स्मरण करके इन्द्रियों के वश नहीं होते। क्योंकि सोलह हजार से अधिक स्त्रियों के रहते भी श्रीकृष्णचन्द्र इन्द्रियों के वश न हुए और इन्द्रियों के संयमकी रीति भी जान जाते हैं।११। prātaryutaprasaṁgēnamadhyāhnēstrīprasaṁgataḥ ॥ rātaucauraprasaṁgēnakālōgacchati dhīmatām|11| Meaning - In the morning, the wise people spend their time in the story of gamblers, i.e. in the Mahabharata, in the afternoon, in the story of the woman, i.e., in the Ramayana, in the night, in the conversation of the thief, i.e., in the Bhagwat. The meaning is that, after listening to Mahabharata, it becomes clear that gambling is the home of discord and deceit. If the works that are beneficial in this world and the next world are done as per the rituals written in Mahabharata, then those works get full results; For this reason, intelligent people listen to Mahabharata in the morning itself, so that they can work in the same way throughout the day. Listening to Ramayana gives a clear example that being under the influence of a woman causes immense sorrow and looking at another woman leads to the destruction of a man along with his son's evil roots. It happens; For this reason, good people listen to Ramayana in the afternoon. Most of the time in the night people become under the influence of senses and the nature of the senses is that by engaging the mind in their respective subjects, they engage the soul in the subjects; For this reason, the senses are also called soul destroyers and those who listen to Bhagwat at night do not come under the control of the senses by remembering the character of Krishna. Because even in the presence of more than sixteen thousand women, Shri Krishna Chandra did not come under the control of senses and also knows the method of controlling the senses.11. स्वहस्तग्रथितामालास्वहस्तघृष्टचन्दनम् ॥ कुवहस्तलिखितं स्तोत्रंशक्रस्यापिश्रियंहरेत् ।१२। अर्थ - अपने हाथ से गुथी माला, अपने हाथ से घिसा चंदन, अपने हाथ से लिखा स्तोत्र ये इन्द्रकी लक्ष्मीको भी हर लेते हैं॥ १२ ॥ svahastagrathitāmālāsvahastaghr̥ṣṭacandanam ॥ kuvahastalikhitaṁ stōtraṁśakrasyāpiśriyaṁharēt |12| Meaning - The garland woven with one's own hand, the sandalwood rubbed with one's own hand, the hymn written with one's own hand, these take away even Lakshmi of Indra. 12 ॥ इक्षुदंडास्तिलाःशूद्राःकांताहेमचमेदिनी ॥ चंदनंदधितांबूलंमर्दनंगुणवर्धनम् ॥ १३ ॥ अर्थ - ऊष, तिल, शूद्र, कांता, सोना, पृथ्वी, चन्दन, दही और पान इनका मर्दन गुणवर्द्धक है ॥१३॥ ikṣudaṁḍāstilāḥśūdrāḥkāṁtāhēmacamēdinī ॥ caṁdanaṁdadhitāṁbūlaṁmardanaṁguṇavardhanam ॥ 13 ॥ Meaning - Ush, sesame, shudra, thorn, gold, earth, sandalwood, curd and betel leaf enhance the qualities of man.13॥ दरिद्रताधीर तयाविराजतेकुवत्रताशुभ्रतयावि राजते। कंदन्नताचोष्णतयाविराजते कुरूपता शीलतयाविराजते ॥ १४ ॥ अर्थ - दरिद्रता भी धीरता से शोभती है स्वच्छता से "कुवत्र सुंदर जान पड़ता है। कुअन्न भी उष्णता से मीठा लगता है कुरूपता भी सुशीलता हो तो शोभा देती है॥१४ ॥ daridratādhīra tayāvirājatēkuvatratāśubhratayāvi rājatē| kaṁdannatācōṣṇatayāvirājatē kurūpatā śīlatayāvirājatē ॥ 14 ॥ Meaning - Poverty also becomes beautiful due to patience. Cleanliness makes the wicked look beautiful. Even good food looks sweet due to warmth. Even ugliness becomes beautiful if there is politeness. ॥14 ॥ इति नवमोऽध्यायः ॥ ९॥ iti navamō’dhyāyaḥ ॥ 9॥ अथ वृद्धचाणक्यस्योत्तरार्द्धम् । atha vr̥ddhacāṇakyasyōttarārddham |
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 9 श्लोक- 11-14
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।
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