चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
नवमोऽध्यायः ॥ 9 ॥
navamō’dhyāyaḥ ॥ 9 ॥
मुक्तिमिच्छसिचेत्ता तविषयान्विषवत्त्यज ॥ क्षमार्जवदयाशौचंसत्यंपीयूषवत्पिव ॥ १ ॥ अर्थ - हे भाई! यदि मुक्ति चाहते हो तो विषयों को विष के समान छोड दो। सहनशीलता, सरलता, दया पवित्रता और सच्चाई को अमृत की तरह पियो ॥१॥ muktimicchasicēttā taviṣayānviṣavattyaja ॥ kṣamārjavadayāśaucaṁsatyaṁpīyūṣavatpiva ॥ 1 ॥ Meaning- Hey brother! If you want freedom then leave things like poison. Drink tolerance, simplicity, kindness, purity and truth like nectar. 1 परस्परस्यमर्माणियेभाषंतेनराधमाः । तएव विलयंयांतिबल्मीकोदग्सर्पवत् ॥ २ ॥ अर्थ - जो नराधम परस्पर अंतरात्मा के दुःखदायक वचन को भाषण करते हैं वे निश्वय करके नष्ट हो जाते हैं जैसे विमोट (बिल) में पड़कर सांप ॥ २ ॥ parasparasyamarmāṇiyēbhāṣaṁtēnarādhamāḥ | tēva vilayaṁyāṁtibalmīkōdagsarpavat ॥ 2 ॥ Meaning - Those unrighteous people who speak painful words of conscience to each other get destroyed like a snake falling into a hole. 2॥ गंध:सुवर्णेफलमिक्षुदंडेनाकारिपुष्पखलुचंदनस्य ॥ विद्वान्धनीभूपतिर्दीर्घजीवीधातुः पुरा कोऽपिनबुद्धिदोऽभूत् ॥ ३ ॥ अर्थ - सुवर्ण में गन्ध, ऊष में फल, चंदनमें फूल, विद्वान् धनी और राजा चिरंजीवी न किया। इससे निश्चय है कि, विधाता के पहिले कोई बुद्धिदाता न था ॥ ३ ॥ gaṁdha:suvarṇēphalamikṣudaṁḍēnākāripuṣpakhalucaṁdanasya ॥ vidvāndhanībhūpatirdīrghajīvīdhātuḥ purā kō’pinabuddhidō’bhūt ॥ 3 ॥ Meaning: Fragrance in gold, fruit in sugar, flowers in sandalwood, the learned rich and the king did not live long. This certainly shows that there was no giver of wisdom before the Creator. 3 ॥ सर्वोषधीनाममृताप्रधानासर्वेषुसौख्येष्वशनंप्रधानम् ॥ सर्वंद्रियाणांनयनंप्रधानं सर्वेषुगात्रेषु शिरःप्रधानम् ॥ ४ ॥ अर्थ - सत्र औषधियों में गुरच गिलोह प्रधान है, सब सुखोंमें भोजन श्रेष्ठ है; सब इन्द्रियोंमें आंख उत्तम है; सब अंगोंमें शिर श्रेष्ठ है ॥ ४ ॥ sarvōṣadhīnāmamr̥tāpradhānāsarvēṣusaukhyēṣvaśanaṁpradhānam ॥ sarvaṁdriyāṇāṁnayanaṁpradhānaṁ sarvēṣugātrēṣu śiraḥpradhānam ॥ 4 ॥ Meaning - Gurach Giloh is prominent among session medicines, food is the best among all pleasures; Of all the senses the eye is the best; The head is the best among all the organs. 4॥ दूतोनसंचरतिखेन चलेच्चवार्ता पूर्वन जल्पितमि दंनचसंगमोस्ति ॥ व्योम्निस्थितं रविशशिग्रहणंप्रशस्तं जानातियो द्विजवरःसकथंनविद्वान्। ५। अर्थ - आकाश में दूत नहीं जा सक्ता, न वार्ताकी चर्चा चल सक्ती न पहिले ही से किसीने कह रक्खा है और न किसीसे संगम होसक्ता; ऐसी दशामें आकाशमें स्थित सूर्यचन्द्रके ग्रहण को जो द्विजवर स्पष्ट जानता है वह कैसे विद्वान् नहीं है ॥ ५ ॥ dūtōnasaṁcaratikhēna calēccavārtā pūrvana jalpitami daṁnacasaṁgamōsti ॥ vyōmnisthitaṁ raviśaśigrahaṇaṁpraśastaṁ jānātiyō dvijavaraḥsakathaṁnavidvān| 5| Meaning - An angel cannot go in the sky, nor can a conversation be discussed, nor has anyone told in advance, nor can one have contact with anyone; In such a situation, how can the person who clearly knows the eclipse of the Sun and Moon in the sky not be a scholar? 5॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 9 श्लोक- 1-5
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।
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