चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ अष्टमोऽध्यायः ॥ 8 ॥
atha aṣṭamō’dhyāyaḥ ॥ 8 ॥
निर्गुणस्यहतंरूपंदुःशीलस्यद्दतंकुलम् ॥ असिद्धस्यताविद्या अभोगेनहतंधनम् ॥ १६ ॥ अर्थ - गुणहीन की सुंदरता व्यर्थ है, शीलहीन का कुल निंदित होता है, सिद्धि के विना विद्या व्यर्थ है भोग के विना धन व्यर्थ है ॥ १६ ॥ nirguṇasyahataṁrūpaṁduḥśīlasyaddataṁkulam ॥ asiddhasyatāvidyā abhōgēnahataṁdhanam ॥ 16 ॥ Meaning - The beauty of one without virtue is useless, the family of one without modesty is condemned, knowledge without accomplishment is useless, wealth without enjoyment is useless. 16 ॥ शुद्धभूमिगतंतोयंशुद्धानारीपतिव्रता ॥ शुचिःक्षेमकरोराजासंतुष्टोब्राह्मणःशुचिः॥१७॥ अर्थ - भूमिगत जल पवित्र होता है, पतिव्रतां स्त्री पवित्र होती है कल्याण करने वाला राजा पवित्र गिना जाता है, ब्राह्मण संतोषी शुद्ध होता है ॥ १७ ॥ śuddhabhūmigataṁtōyaṁśuddhānārīpativratā ॥ śuciḥkṣēmakarōrājāsaṁtuṣṭōbrāhmaṇaḥśuciḥ॥17॥ असन्तुष्टाद्विजानष्टाः संतुष्टाश्चमहीपतिः ॥ सलज्जागणिकानष्टानिलज्जाश्चकुलांगनाः १८॥ अर्थ - असंतोषा ब्राह्मण निंदित गिने जाते हैं और संतोषी राजा, सलज्जा वेश्या और लज्जाहीन कुल स्त्री निंदित गिनि जाती है ॥ १८ ॥ asantuṣṭādvijānaṣṭāḥ saṁtuṣṭāścamahīpatiḥ ॥ salajjāgaṇikānaṣṭānilajjāścakulāṁganāḥ 18॥ Meaning - A dissatisfied Brahmin is considered condemned and a contented king, a shameless prostitute and a shameless clan woman are considered condemned. 18 ॥ किंकुलेनविशालेन विद्याहीननेनदोहनाम् ॥ दुष्कुलंचा पिविदुषे। देवैरपिसुपूज्यते ॥१९॥ अर्थ - विद्या हीन बडे कुल मे मनुष्योंको क्या लाभ है? विद्वान् का नीच कुल भी देवों से पूजा जाता है॥१९॥ kiṁkulēnaviśālēna vidyāhīnanēnadōhanām ॥ duṣkulaṁcā pividuṣē| dēvairapisupūjyatē ॥19॥ Meaning - What benefit do people have in a large family without education? Even the lowly family of a scholar is worshiped by the gods( The habitats of the heaven or swarga called devta).॥19॥ विद्वान्प्रशस्यतेलोकेविद्वान्सर्वत्रगोरवम् विद्ययालभतेसर्वविद्या सर्वत्रपूज्यते ॥ 20 ॥ अर्थ - संसार में विद्वान्ही प्रशंसित होता है विद्वान् ही सब स्थानों में आदर पाता है विद्या ही से सब मिलता है विद्या ही सब स्थान में पूजित होती है ॥ २० ॥ vidvānpraśasyatēlōkēvidvānsarvatragōravam vidyayālabhatēsarvavidyā sarvatrapūjyatē ॥ 20 ॥ Meaning - Only a scholar is praised in the world, only a scholar gets respect everywhere, everything is achieved through knowledge, only knowledge is worshiped everywhere. 20 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 7 श्लोक- 16-20
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।
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