चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ अष्टमोऽध्यायः ॥ 8 ॥
atha aṣṭamō’dhyāyaḥ ॥ 8 ॥
तैलाभ्यंगेचिताधूमेमैथुनेक्षौरकर्मणि ॥ तावद्भवतिचांडालोयावत्स्नानंसमाचरेत् ॥ ६ ॥ अर्थ - तेल लगाने पर, चित्ता के धूम लगने पर, स्त्री प्रसंग करने पर, बाल बनाने पर, तब तक चाण्डाल ही बना रहता है जब तक स्नान नहीं करता है ॥ ६ ॥ tailābhyaṁgēcitādhūmēmaithunēkṣaurakarmaṇi ॥ tāvadbhavaticāṁḍālōyāvatsnānaṁsamācarēt ॥ 6 ॥ Meaning - On applying oil(Maalish), on the fume touching the us after burning of the deadbody, on having sexual intercourse with women, on combing hair(Cutting Hair), he remains a Chandal until he takes bath. 6॥ अजीर्णेमेषजंवारिजीर्णेवारिबलप्रदम् ॥ भोजनेचामृतंवारिभोजनांतेविषप्रदम् ॥ ७ ॥ अर्थ - अपच होनेपर जल औषध है, पच जाने पर जल बल को देता है, भोजन के समय पानी अमृत के समान है, और भोजनके अन्त में विष का फल देता है ॥ ७ ॥ ajīrṇēmēṣajaṁvārijīrṇēvāribalapradam ॥ bhōjanēcāmr̥taṁvāribhōjanāṁtēviṣapradam ॥ 7 ॥ Meaning - In case of indigestion, water is a medicine, when digested, water gives strength, at the time of meal, water is like nectar, and at the end of the meal, it gives the result of poison. 7 ॥ हतंज्ञानंक्रियाहीनंहतश्चाज्ञानतोनरः ॥ हतं निर्णायकं सैन्यं स्त्रियो नष्टा ह्यभर्तृकाः ॥ ०८-०८ अर्थ - क्रिया के बिना ज्ञान व्यर्थ है, अज्ञान से नर मारा जाता है सेनापति के बिना सेना मारी जाती है और स्वामी हीन स्त्री नष्ट होजाती है॥ ८ ॥ hataṁjñānaṁkriyāhīnaṁhataścājñānatōnaraḥ ॥ hataṁ nirṇāyakaṁ sainyaṁ striyō naṣṭā hyabhartr̥kāḥ ॥ 08-08 Meaning - Knowledge without action is useless, a man is killed by ignorance, an army is killed without a commander and a woman without a master is destroyed. 8॥ वृद्धकाले मृताभार्याबंधुहस्तगतंधनम् ॥ भोजनं चपराधीनंतिस्रःपुंसांविडम्बनाः ॥९॥ अर्थ - बुढापे में मरी स्त्री, बन्धु के हाथ में गया धन और दूसरे के आधीन भोजन ये तीन पुरुषों की विडम्बना है अर्थात् दुखःदायक होते हैं ॥ ६ ॥ vr̥ddhakālē mr̥tābhāryābaṁdhuhastagataṁdhanam ॥ bhōjanaṁ caparādhīnaṁtisraḥpuṁsāṁviḍambanāḥ ॥9॥ Meaning - The woman dying in old age, the money in the hands of one brother and the food in the hands of another are the irony of these three men, that is, they are painful. 6॥ अग्निहोत्रं विनावेदानचदानंविनाक्रिया ॥ नभावेनविनासिद्धिस्तस्माद्भावोहि कारणम्। ॥10॥ अर्थ - अग्निहोत्र के बिना वेद का पढना व्यर्थ होता है दानके बिना यज्ञा दिक क्रिया नहीं बनती, भाव के बिना कोई सिद्धि नहीं होती इस हेतु प्रेम ही सबका कारण है ॥ 10 ॥ agnihōtraṁ vināvēdānacadānaṁvinākriyā || nabhāvēnavināsiddhistasmādbhāvōhi kāraṇam| ||10|| Meaning - Reading the Vedas without Agnihotra is useless, without donation the Yagya cannot be performed, without feeling there is no accomplishment, hence love is the reason for everything. 10 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 7 श्लोक- 6-10
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।
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