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चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ षष्ठमोऽध्यायः ॥ 6 ॥

atha ṣaṣṭhamō’dhyāyaḥ ॥ 6 ॥

प्रभूतं कार्य मल्पंवातन्नरः कर्तुमिच्छति ॥ 
सौरंभणतत्कार्यसिंहादेकं प्रचक्षते ॥ १६ ॥

अर्थ - कार्य छोटा हो या बड़ा, जो करणीय हो उसको सब प्रकारके प्रयत्नसे करना उचित है, इस एकको सिंह से सीखना कहते हैं ॥ १६ ॥

prabhūtaṁ kārya malpaṁvātannaraḥ kartumicchati ॥ 
sauraṁbhaṇatatkāryasiṁhādēkaṁ pracakṣatē ॥ 16 ॥

Meaning - Whether the work is small or big, it is appropriate to do it with all possible efforts, this is called learning from the lion.  ।। 16 ॥

इंद्रियाणिचसंयम्यवकवत्पंण्डितोनरः 
देशकालबलंज्ञात्वासर्वकार्याणिसाधयेत् ।१७।

अर्थ - विद्वान् पुरुषको चाहिये कि, इन्द्रियों का संयम करके देश काल और बलको समझकर बकुलाके समान सब कार्यको साधे ॥ १७ ॥

iṁdriyāṇicasaṁyamyavakavatpaṁṇḍitōnaraḥ 
dēśakālabalaṁjñātvāsarvakāryāṇisādhayēt |17|
Meaning - A learned man should control his senses and understand the time, space and force and perform all the tasks like Bakula.  ।। 17 ॥


प्रत्युत्थानं चयुद्धंचसंविभागंचबन्धुषु ॥ 
स्वयमाक्रम्यभोगंच शिक्षेच्चत्वारिकुक्कुटात ॥ १८ ॥

अर्थ - उचितसमय में जागना, रणमें उद्यत रहना और बन्धुओंको उनका भाग देना और आप आकर जो सहज में प्राप्त हो उसका भोग करें, इनचार बातों को कुक्कुटसे सीखना चाहिये ॥ १८ ॥

pratyutthānaṁ cayuddhaṁcasaṁvibhāgaṁcabandhuṣu ॥ 
svayamākramyabhōgaṁca śikṣēccatvārikukkuṭāta ॥ 18 ॥

Meaning: Waking up at the right time, being alert in battle, giving your brothers their share and enjoying what you get easily after coming, these four things should be learned from the chicken.  ।। 18 ॥

गूढमैथुनंचारित्वम्कालेचालयसंग्रहम् ॥ 
अप्रमादमविश्वासंपंचाशक्षेच्चवायसात् ॥१९॥

अर्थ - छिपकर मैथुन करना धैर्य करना समयमें घर संग्रह करना, सावधान रहना और किसी पर विश्वास न करना इन पांचोंको कौवेसे सीखना उचित है ॥१९॥

gūḍhamaithunaṁcāritvamkālēcālayasaṁgraham ॥ 
apramādamaviśvāsaṁpaṁcāśakṣēccavāyasāt ॥19॥

Meaning - It is appropriate to learn these five things from crows - to have sex secretly, to be patient, to collect household goods in time, to be careful and not to trust anyone. ।।१९।।

बह्वाशो स्वल्पसंतुष्टःसुनिद्रोलघुचेतनः ॥ 
स्वामिभक्तश्चशूर श्वषडेतेश्वांनतोगुणाः ॥२०॥

अर्थ - बहुत खानेकी शक्ति रहते भी थोडे ही से संतुष्ट होना, गाढ निद्रा रहतेभी झटपट जागना, स्वामीकी भक्ति और शूरता इन छः गुणोंको कुत्ते से सीखना चाहिये ॥ २० ॥

bahvāśō svalpasaṁtuṣṭaḥsunidrōlaghucētanaḥ ॥ 
svāmibhaktaścaśūra śvaṣaḍētēśvāṁnatōguṇāḥ ॥20॥

Meaning: Being satisfied with a little while still having the power to eat a lot, waking up quickly even while in deep sleep, devotion to the master and bravery, these six qualities should be learned from a dog.  ।। 20 ॥

सुश्रांतोऽपिवहेद्भारं शीतोष्णंनचपश्यति ॥ 
संतुष्टश्वस्तेनित्यंत्रीणिशिक्षेच्चगर्दभात् ॥२१॥

अर्थ - अत्यंत थकजानेपरभी बोझको ढोते जाना, शीत और उष्णपर दृष्टि न देना, सदा सन्तुष्ट होकर विचरना, इन तीन बातोंको गदहेसे सीखना चाहिये।।२१।।

suśrāṁtō’pivahēdbhāraṁ śītōṣṇaṁnacapaśyati ॥ 
saṁtuṣṭaśvastēnityaṁtrīṇiśikṣēccagardabhāt ॥21॥

Meaning - To carry the burden even when extremely tired, not to pay attention to cold and heat, to always wander around contentedly, these three things should be learned from the donkey. ।।21.।।

यएतान् विंशतिगुणानाचरिष्यतिमानवः ॥ 
कार्यावस्थासुसर्वासुअजेयःसभविष्यति॥२२॥

अर्थ - जो नर इन बीस गुणोंको धारण करेगा वह सदा सब कार्योंमें विजयी होगा ॥ २२ ॥

yētān viṁśatiguṇānācariṣyatimānavaḥ ॥ 
kāryāvasthāsusarvāsuajēyaḥsabhaviṣyati॥22॥

Meaning - The man who possesses these twenty qualities will always be victorious in all tasks. ।। 22 ॥
इति षष्ठमोऽध्यायः ॥ 6 ॥
iti ṣaṣṭhamō’dhyāyaḥ ॥ 6 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 6   श्लोक-  16-22

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

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