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चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ षष्ठमोऽध्यायः ॥ 6 ॥

atha ṣaṣṭhamō’dhyāyaḥ ॥ 6 ॥

ऋणकर्तापिताशत्रुर्माता चव्यभिचारिणी ॥ 
भार्यारूपवतीशत्रुः पुत्रशत्रूरपण्डितः ॥ ११ ॥

अर्थ - ऋण करनेवाला पिता शत्रु है, व्यभिचारिणी माता और सुन्दरी स्त्री शत्रु है, और मूर्ख पुत्र वैरी है ॥ ११ ॥

r̥ṇakartāpitāśatrurmātā cavyabhicāriṇī ॥ 
bhāryārūpavatīśatruḥ putraśatrūrapaṇḍitaḥ ॥ 11 ॥
Meaning: A father who borrows is an enemy, an adulterous mother and a beautiful woman are enemies, and a foolish son is an enemy. ।। 11 ॥

लुब्धमर्थेनगृह्णीयात्स्तब्धमंज क्लिकर्मणा॥ 
मूर्खछंदानुर्टत्त्याचयथार्थत्वेनपण्डितम् ॥१२॥


अर्थ - लोभीको घनसे, अहंकारीको हाथ जोड़नेसे, मूर्खको उसके अनुसार वर्तनेसे और पंडित को सच्चाईसे, वश करना चाहिये। १२॥

lubdhamarthēnagr̥hṇīyātstabdhamaṁja klikarmaṇā॥ 
mūrkhachaṁdānurṭattyācayathārthatvēnapaṇḍitam ॥12॥

Meaning: The greedy person should be controlled with his fist, the arrogant person should be controlled with folded hands, the fool should be controlled by speaking accordingly and the wise person should be controlled with truth.  ।।12॥

वरंनराज्यं नकुराजराज्यं वरंनमित्रनकुमित्र मित्रं । 
वरंनर्शिष्योनकुशिष्याशिष्योवरंनद्वारा नकुद्रार दाराः ॥ १३ ॥

अर्थ - राज्य न रहना यह अच्छा, परन्तु कुराजा का राज्य होना यह अच्छा नहीं। मित्रका न होना यह अच्छा, परंतु कुमित्रको मित्र करना अच्छा नहीं, शिष्य नहो यह अच्छा परंतु निंदित शिष्य कहलावे यह अच्छा नहीं, भार्या न रहे यह अच्छा पर कुभार्या का भार्या होना अच्छा नहीं ॥ १३ ॥

varaṁnarājyaṁ nakurājarājyaṁ varaṁnamitranakumitra mitraṁ | 
varaṁnarśiṣyōnakuśiṣyāśiṣyōvaraṁnadvārā nakudrāra dārāḥ ॥ 13 ॥

Meaning - It is good not to have a kingdom, but it is not good to have a kingdom of Kuraja.  It is good not to have a friend, but it is not good to have a bad friend as a friend, it is good not to have a disciple, but it is not good to be called a condemned disciple, it is good not to have a wife, but it is not good to be the wife of a bad wife.  ।। 13 ॥

कुराजंराज्येनकुतःप्रजासुखं कुमित्र मित्रेणकुतोऽभिनिर्वृतिः ॥ 
कुदार दारैश्वकुतो गृहेरतिः कुशिष्यमाध्यापयतः कुतोयशः ॥१४॥

दुष्ट राजा के राज्य में प्रजाको सुख, और कुमित्र मित्रसे आनन्द, कैसे हो सकता है, दुष्ट स्त्रीसे गृह मैं प्रीति और कुशिष्यको पढ़ानेवाले की कीर्ति, कैसे होगी ॥ १४ ॥

kurājaṁrājyēnakutaḥprajāsukhaṁ kumitra mitrēṇakutō’bhinirvr̥tiḥ ॥ 
kudāra dāraiśvakutō gr̥hēratiḥ kuśiṣyamādhyāpayataḥ kutōyaśaḥ ॥14॥

How can the people be happy in the kingdom of an evil king, how can there be joy from a wicked friend, how can there be love in the house for an evil woman and how can there be fame for the one who teaches the unruly disciple?  ।। 14 ॥

सिंहादेकंब कादेकंशिक्षेच्चत्वारि कुक्कुटात्।। 
वायसात्पंचारीक्षेच्चषट्शुनस्त्रीणिगर्दभात्।। १५।।

अर्थ - सिंहसे एक, बकुलेसे एक, कक्कुटसे चार, कोवेसे पांच, कुत्तेसे छः और गदहेसे तीन गुण सीखना उचित है ॥ १५ ॥ 

siṁhādēkaṁba kādēkaṁśikṣēccatvāri kukkuṭāt॥ 
vāyasātpaṁcārīkṣēccaṣaṭśunastrīṇigardabhāt| 15|

Meaning - It is appropriate to learn one quality from a lion, one from a crow, four from a cockerel, five from a crow, six from a dog and three from a donkey. ।। 15.।।
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 6   श्लोक-  11-15

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

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