चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ पंचमोऽध्यायः ॥ 5 ॥
atha paṁcamō’dhyāyaḥ ॥ 5 ॥
वृथादृष्टिःसमुदेषुटथातृप्तेषुभोजनम् ॥ वृथादानंधनाढ्येषुवृथादीपोदिवापि च॥ १६॥ अर्थ - समुद्रों में वर्षा वृथा है, और भोजन से तृप्त को भोजन निरर्थक़ है, धनी को धन देना व्यर्थ है और दिन में, दीप व्यर्थ है ॥ १६ ॥ vr̥thādr̥ṣṭiḥsamudēṣuṭathātr̥ptēṣubhōjanam ॥ vr̥thādānaṁdhanāḍhyēṣuvr̥thādīpōdivāpi ca॥ 16॥ Meaning - Rain in the oceans is useless, and food to the well-fed is useless, giving money to the rich is useless and lamps are useless during the day. ।। 16 ॥ नास्तिमेघ समंतो यंनास्तिचात्मसमंबलम्ः ॥ नास्तिचक्षुः समंते जोनास्तिधान्यसमंप्रियम् ॥१७॥ अर्थ - मेघ के जल के समान दूसरा जल नहीं है, अपने बल के समान दूसरे का बल नहीं, क्योंकि वह समय पर काम आता है। नेत्र के तुल्य दूसरा प्रकाश करने वाला नहीं है। और अन्न के सदृश दूसरा प्रिय पदार्थ नहीं है. ॥ १७ ॥ nāstimēgha samaṁtō yaṁnāsticātmasamaṁbalamḥ ॥ nāsticakṣuḥ samaṁtē jōnāstidhānyasamaṁpriyam ॥17॥ Meaning - There is no other water like the water of the cloud, no other's strength is equal to your own strength, because it is useful at the right time. There is no other source of light like the eye. And there is no other thing as dear as food. ।। 17 ॥ अधनी धनमिच्छन्तिवाचंचैवचतुष्पदाः ॥ मानवाः स्वर्गमिच्छंतिमोक्षमिच्छंतिदेवताः ।१८। अर्थ - धनहीन धन चाहते हैं, और पशु वचन अर्थात् वे बोलने कि शक्ति चाहते हैं, मनुष्य स्वर्ग जाना चाहते हैं, और देवता मुक्ति की इच्छा रखते हैं ॥ १८ ॥ adharnā dhanamicchantivācaṁcaivacatuṣpadāḥ ॥ mānavāḥ svargamicchaṁtimōkṣamicchaṁtidēvatāḥ |18| Meaning - The moneyless want wealth, and the animals want the power to speak, humans want to go to heaven, and the gods( The habitats of the heaven or swarga called devta) want salvation. ।।18 ॥ सत्येनधार्यतेपृथ्वीसत्येनतपतेरविः ॥ सत्येंनवातिवायुश्चसर्वंसत्येप्रतिष्ठितम् ॥१९॥ अर्थ - सत्य से पृथ्वी स्थिर है, और सत्य ही से सूर्य तपते हैं, सत्य ही से वायु बहती है, सब सत्य ही से स्थिर है।॥ १९॥ satyēnadhāryatēpr̥thvīsatyēnatapatēraviḥ ॥ satyēṁnavātivāyuścasarvaṁsatyēpratiṣṭhitam ॥19॥ Meaning - The earth is stable due to truth, the sun shines due to truth, the wind blows due to truth, everything is stable due to truth only. ।।19॥ चलालक्ष्मी श्वलाप्राणा श्वले जीवितमंदिरेः ॥ चलाचलेचसंसारेधर्मएको हिनिश्चलः ॥२०॥ अर्थ - लक्ष्मी नित्य नहीं है, प्राण, जीवन और घर ये सब स्थिर नहीं हैं, निश्चय है कि इस चराचरं संसार में केवल धर्म ही निश्चल है ॥ २० ॥ calālakṣmī śvalāprāṇā śvalē jīvitamaṁdirēḥ ॥ calācalēcasaṁsārēdharmēkō hiniścalaḥ ॥20॥ Meaning - Lakshmi is not eternal, life, life and home are not stable, it is certain that only religion is stable in this ever-changing world. ।। 20 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 5 श्लोक- 16-20
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।
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