चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

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अथ पंचमोऽध्यायः ॥ 5 ॥

atha paṁcamō’dhyāyaḥ ॥ 5 ॥

दारिद्रयनाशनंदानंश्रीलंदुर्गतिनाशनं ॥ 
अज्ञाननाशिनीप्रज्ञाभावनाभयनाशिनी ॥११॥

दान दरिद्रता का नाश करता है सुशीलता दुर्गति का, बुद्धि अज्ञान का और भक्ति भय का नाश करती है ॥ ११ ॥

dāridrayanāśanaṁdānaṁśrīlaṁdurgatināśanaṁ ॥ 
ajñānanāśinīprajñābhāvanābhayanāśinī ॥11॥

Charity destroys poverty, kindness destroys misery, intelligence destroys ignorance and devotion destroys fear.  11 ॥

नास्तिकामसमोव्याधिर्नास्तिमोहसमोरिपुः ।। 
नास्तिकोपसमोबह्निर्नास्तिज्ञानात्परंसुखम् १२

अर्थ - कामासक्ति के समान दूसरी व्याधि नहीं है, अज्ञान के समान दूसरा बैरी नहीं है, क्रोध के तुल्य दूसरी आग नहीं है, ज्ञान से परे कोई भी सुख नहीं है ॥ १२॥ 

nāstikāmasamōvyādhirnāstimōhasamōripuḥ ॥ 
nāstikōpasamōbahnirnāstijñānātparaṁsukham 12

Meaning - There is no other disease like lust, there is no other enemy like ignorance, there is no other fire like anger, there is no happiness beyond knowledge. ।। 12॥

जन्ममृत्युद्दियात्ये कोभुनत्ये कःशुभाशुभम् ॥ 
नर केषुपतत्येकएको यातिपराङ्गतिम्॥१३ ॥

अर्थ - यह निश्चय है कि एक ही पुरुष (स्वयं ही) जन्म-मरण पाता है। सुख दुःख एक ही भोगता है एक ही नरकों में पड़ता है और एक ही मोक्ष पाता है, अर्थात् इन कामों में कोई किसी कि सहायता नहीं कर सकता ॥१३॥

janmamr̥tyuddiyātyē kōbhunatyē kaḥśubhāśubham ॥ 
nara kēṣupatatyēkēkō yātiparāṅgatim॥13 ॥

Meaning - It is certain that only one person (himself) experiences birth and death.  Only one experiences happiness and sorrow, only one falls into hell and only one attains salvation, that is, no one can help anyone else in these tasks.।।13॥

तृणंब्रह्मविदःस्वर्गंतणंसूरस्पजीवितं ॥ 
जिताक्षस्यतृणंनारीनिस्टहस्पतृणं जगत् ॥१४॥

अर्थ - ब्रह्मज्ञानी को स्वर्ग तृण समान है, शूर को जीवन तृण है, जिसने इन्द्रियों को वश किया उसे स्त्री तृण के तुल्य जान पड़ती है, निस्पृह को जगत् तृण के समान हो जाता है॥ १४ ॥

tr̥ṇaṁbrahmavidaḥsvargaṁtaṇaṁsūraspajīvitaṁ ॥ 
jitākṣasyatr̥ṇaṁnārīnisṭahaspatr̥ṇaṁ jagat ॥14॥

Meaning - To a wise man, heaven is like a straw, to a brave man, life is like a straw, to one who has controlled his senses, a woman seems like a straw, to a disinterested person the world seems like a straw. ।। 14 ॥

विद्यामित्रंप्रवासेषुभार्यामित्रंग्गृद्देषु च ॥ 
व्याधितस्यौषधंमित्रंधर्मोमित्रंमृतस्य च॥१५॥

अर्थ - विदेश में विद्या मित्र होती है, गृह में भार्या मित्र है, रोगी का मित्र औषध है और मरे का मित्र धर्म है ॥ १५ ॥

vidyāmitraṁpravāsēṣubhāryāmitraṁggr̥ddēṣu ca ॥ 
vyādhitasyauṣadhaṁmitraṁdharmōmitraṁmr̥tasya ca॥15॥

Meaning - Knowledge is a friend abroad, wife is a friend at home, medicine is the friend of the sick and religion is the friend of the dead.  ।।15।।

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 5   श्लोक-  11-15

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

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