चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ चतुर्थोऽध्यायः ॥ 4 ॥
atha caturthō’dhyāyaḥ ॥ 4 ॥
आयुःकर्मचवित्तंचविद्यानिधनमेवच ॥ पंचैतानिहिसृज्यन्ते गर्भस्थस्यैवदेहिनः ॥१॥ अर्थ - यह निश्चय है कि, आयु, कर्म, धन, विद्या और मरण ये पाँचों जब जीव गर्भ मे ही रहता है तब ही निश्चित हो जाता है ॥ १ ॥ āyuḥkarmacavittaṁcavidyānidhanamēvaca ॥ paṁcaitānihisr̥jyantē garbhasthasyaivadēhinaḥ ॥1॥ Meaning - It is certain that age, work, wealth, knowledge and death become certain only when the living being remains in the womb. ।। 1॥ साधुभ्यस्तेनिवर्तन्तेपुत्रामित्राणिबांधवाः ॥ येचतैःसहगंतारस्तद्धर्मात्सुकृतंकुलम् ॥ २ ॥ अर्थ - पुत्र, मित्र, बन्धु ये साधु जनों से निवृत हो जाते हैं और जो उनका संग करते हैं उनके पुण्य से उनका कुल सुक्कृती हो जाता है ॥ २ ॥ sādhubhyastēnivartantēputrāmitrāṇibāṁdhavāḥ ॥ yēcataiḥsahagaṁtārastaddharmātsukr̥taṁkulam ॥ 2 ॥ Meaning - Sons, friends, brothers, these saints retire from the people and due to the good deeds of those who associate with them, their family becomes prosperous. ।। 2॥ दर्शनध्यान संस्पर्शेर्मत्सीकूर्मीचपक्षिणी ॥ शिशुपालयतेनित्यंतथा सज्जनसंगतिः ॥ ३ ॥ अर्थ - मछली कंछुई (कछवी)और पक्षी ये दर्शन ध्यान और स्पर्शसे जैसे बच्चों को सर्वदा पालतीं हैं वैसे ही सज्जनों की संगति है॥ ३ ॥ darśanadhyāna saṁsparśērmatsīkūrmīcapakṣiṇī ॥ śiśupālayatēnityaṁtathā sajjanasaṁgatiḥ ॥ 3 ॥ Meaning - These darshan of fish, turtle (Kachvi) and birds always nurture children with attention and touch, in the same way, they are the company of good people. ।। 3॥ यावत्स्वस्थोह्ययंदेहोयावन्मृत्यु श्वदूरतः ॥ तावदात्महितं कुर्यात्प्राणांतेकिं करिष्यति ॥४॥ अर्थ - जब तक देह निरोग है और तब लग मृत्यु दूर है तत्पर्यंत अपना हित पुण्यादि करना उचित्त है प्राण के अंत हो जाने पर कोई क्या करेगा ॥ ४ ॥ yāvatsvasthōhyayaṁdēhōyāvanmr̥tyu śvadūrataḥ ॥ tāvadātmahitaṁ kuryātprāṇāṁtēkiṁ kariṣyati ॥4॥ Meaning - As long as the body is healthy and death seems far away, till then it is appropriate to do good deeds etc. for one's own good. What will one do when one's life comes to an end? ।। 4॥ कामधेनुगुणा विद्याह्यकाले फलदायिनी ॥ प्रवासेमातृप्सदृशीविद्यागुप्तंधनं स्मृतम् ॥ ५ ॥ अर्थ - विद्या में कामधेनु के समान गुण हैं गुण हैं इस कारण कि अकाल में भी फल देती है विदेश में माता के समान है विद्या को गुप्त धन कहते हैं ॥ ५ ॥ kāmadhēnuguṇā vidyāhyakā lē phaladāyinī ॥ pravāsēmātr̥psadr̥śīvidyāguptaṁdhanaṁ smr̥tam ॥ 5 ॥ Meaning - Knowledge has the same qualities as Kamdhenu. It has the qualities because it gives fruits even in famine. It is like a mother in foreign countries. Knowledge is called hidden wealth. ।। 5॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 4 श्लोक- 1-5
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।