रामा रामा रटते रटते

रामा रामा रटते रटते,

बीती रे उमरिया ।

रघुकुल नंदन कब आओगे,

भिलनी की डगरिया ॥

मैं शबरी भिलनी की जाई,

भजन भाव ना जानु रे ।

राम तेरे दर्शन के हित,

वन में जीवन पालूं रे ।

चरणकमल से निर्मल करदो,

दासी की झोपड़िया ॥

॥ रामा रामा रटते रटते..॥

रोज सवेरे वन में जाकर,

फल चुन चुन कर लाऊंगी ।

अपने प्रभु के सन्मुख रख के,

प्रेम से भोग लगाऊँगी ।

मीठे मीठे बेरों की मैं,

भर लाई छबरिया ॥

॥ रामा रामा रटते रटते..॥

रामा रामा रटते रटते,

बीती रे उमरिया ।

रघुकुल नंदन कब आओगे,

भिलनी की डगरिया ॥