71.
को रहीम पर द्वार पै, जात न जिय सकुचात।
संपति के सब जात हैं, बिपति सबै लै जात ॥
रहीम कहते हैं कि संसार में ऐसा कौन व्यक्ति है, जो दूसरे के द्वार पर जाने में संकोच या झिझक न करता हो, लेकिन संकोच भी क्या, धनवान के द्वार पर तो सभी जाते हैं। हकीकत तो यह है कि लोग खुद अमीरों के दरवाजे पर नहीं जाते। विपदा ही उन्हें वहाँ ले जाती है।
कहने का भाव है- विपत्ति के समय ही व्यक्ति अमीर के दरवाजे पर जाता है। धनवान भी इस बात को जानते हैं और द्वार पर आये व्यक्ति को याचक नहीं बल्कि आश्रयदाता समझते हैं और प्रेमपूर्वक यथाशक्ति देकर उसे विदा करते हैं।
ko rahīma para dvāra pai, jāta na jiya sakucāta.
saṃpati ke saba jāta haiṃ, bipati sabai lai jāta.
Rahim says that there is no such person in the world who does not hesitate or hesitate in going to the door of others, but why hesitate, everyone goes to the door of the rich. The reality is that people themselves do not go to the doors of the rich. Only adversity takes them there.
The meaning of the saying is – A person goes to the door of the rich only in times of trouble. The rich people also know this and consider the person coming to the door not as a beggar but as a giver of shelter and send him off with love as much as they can.
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