69.
नाद रीझि तन देत मृग, नर धन देत समेत ।
ते रहिमन पसु ते अधिक, रीझेहुं कछु न देत ॥
अर्थात् रहीमदास जी कहते हैं कि संगीत की ध्वनि से मोहित होकर हिरण अपना शरीर शिकारी को सौंप देता है। और धन के कारण मनुष्य अपना जीवन खो देता है। परन्तु वे लोग भी उस जानवर से मरे, जो तृप्त होने पर भी कुछ नहीं देता।
nāda rījhi tana deta mṛga, nara dhana deta sameta.
te rahimana pasu te adhika, rījhehuṃ kachu na deta.
That is, Rahimdas ji says that the deer, fascinated by the sound of music, hands over its body to the hunter. And because of money man loses his life. But those people also died from that animal, which does not give anything even when satisfied.
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