63.
कहु रहीम केतिक रही, केतिक गई बिहाय।
माया ममता मोह परि, अन्त चले पछिताय ॥
अर्थात् रहीमदास जी कहते हैं कि जरा सोचो कि कितना जीवन बचाया और कितना बर्बाद किया क्योंकि माया, प्रेम और मोह संसार के क्षणिक सुख हैं लेकिन आध्यात्मिक सुख स्थायी सुख है।
kahu rahīma ketika rahī, ketika gī bihāya.
māyā mamatā moha pari, anta cale pachitāya.
That is, Rahimdas ji says that just think how much life has been saved and how much has been ruined because illusion, love and attachment are momentary happiness of the world but spiritual happiness is permanent happiness.
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