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चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ अष्टमोऽध्यायः ॥ 8 ॥

atha aṣṭamō’dhyāyaḥ ॥ 8 ॥

रूपयौवन संपन्ना विशालकुलसंभवाः ॥ 
विद्याहीनानशोभंतेनिर्गंधाइव किंशुकाः ॥२१॥

अर्थ - सुंदर, तरुणतायुत और बडे कुलमें उत्पन्न भी विद्याहीन पुरुष ऐसे नहीं शोभते, जैसे बिना गंध पलाश के फूल ॥ २१ ॥

rūpayauvana saṁpannā viśālakulasaṁbhavāḥ ॥ 
vidyāhīnānaśōbhaṁtēnirgaṁdhāiva kiṁśukāḥ ॥21॥

Meaning - Beautiful, young and born in a big family, even those without education do not look as good as the flowers of Palash without fragrance. 21 ॥

मासभक्ष्याः सुरापानामुर्खाश्वाक्षर वर्जिताः ॥ 
पशुभिःपुरुषाकारेर्भाराक्रांतास्तिमेदिनी ॥२२॥

अर्थ - मांस के भक्षण और मदिरापान करनेवाले, निरक्षर,और मूर्ख इन पुरुषाकार पशुवोंके भारसे पृथिवी पीडित रहती है ॥ २२ ॥

māsabhakṣyāḥ surāpānāmurkhāśvākṣara varjitāḥ ॥ 
paśubhiḥpuruṣākārērbhārākrāṁtāstimēdinī ॥22॥
Meaning - The earth suffers due to the weight of these male-like animals who eat meat, drink alcohol, are illiterate and foolish.  22 ॥


अन्नहीनोदहेद्राष्ट्रमंत्रहीनश्चऋत्विजः ॥ 
यजमानंदानहार्नानास्तियज्ञसमोरिपुः॥२३॥

अर्थ - यज्ञ यदि अन्नहीन हो तो, राज्यको मंत्रहीन हो तो ऋत्विजों का दानहीन हो तो यजमानको जलाता है, इस कारण यज्ञके समान कोईभी शत्रु नहीं है ॥ २३ ॥

annahīnōdahēdrāṣṭramaṁtrahīnaścr̥tvijaḥ ॥ 
yajamānaṁdānahārnānāstiyajñasamōripuḥ॥23॥

Meaning: If a sacrifice is without food, if the kingdom is without mantras, if the priests are without charity, it burns the sacrificer, and therefore there is no enemy like sacrifice.  23 ॥
इतिवृद्धचाणक्ये अष्टमोऽध्यायः ॥ ८ ॥'
itivr̥ddhacāṇakyē aṣṭamō’dhyāyaḥ ॥ 8 ॥'
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 7   श्लोक-  21-23

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

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