चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

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अथ अष्टमोऽध्यायः ॥ 8 ॥

atha aṣṭamō’dhyāyaḥ ॥ 8 ॥

काष्ठपाषाण्धातूनां कृत्वाभावेनसेवनम्॥
श्रद्धयाचतथासिद्धिस्तस्यविष्णोःप्रसादतः ॥११॥

अर्थ - धातु काष्ठ पाषाण भावसहित सेवन करना चाहिए। श्रद्धा से तो भगवत् कृपा से जैसा भाव है तैसा ही सिद्ध होता है ॥ ११ ॥

kāṣṭhapāṣāṇdhātūnāṁ kr̥tvābhāvēnasēvanam॥
śraddhayācatathā siddhistasyaviṣṇōḥprasādataḥ ॥11॥

Meaning : Metal, wood and stone should be consumed with feeling. By faith, by the grace of the Lord, the same feeling is attained. 11 ॥

नदेवोविद्यते काष्ठेनपाषाणेनमृन्मये. ॥ 
भावेद्दिविद्यतेदेवस्तस्माद्भावो हि कारणम्॥१२॥

अर्थ - देवता काठ में नहीं है, न पाषाण में है न मृतिका की मूर्ति में है निश्चय है कि देवता भाव में विद्यमान है, इस हेतु भाव ही सबका कारण है ॥१२॥

nadēvōvidyatē kāṣṭhēnapāṣāṇēnamr̥nmayē. ॥ 
bhāvēddividyatēdēvastasmādbhāvō hi kāraṇam॥12॥
Meaning - The deity is neither in wood, nor in stone, nor in the idol of the dead; it is certain that the deity exists in the emotions, hence emotions are the reason for everything. ॥12॥


शांतितुल्यंतपोनास्तिनसंतोषात्परंसुखम् ॥
नतृष्णायाःपरोव्याधिर्नचधर्मोदयापरः ॥१३॥

अर्थ - शांती के समान दूसरा तप नहीं, न संतोष से परे सुख, न तृष्णा से दूसरी व्याधी है, न दया के समान धर्म ॥ १३ ॥

śāṁtitulyaṁtapōnāstinasaṁtōṣātparaṁsukham ॥
natr̥ṣṇāyāḥparōvyādhirnacadharmōdayāparaḥ ॥13॥
Meaning - There is no penance like peace, no happiness beyond satisfaction, no disease other than thirst, no religion like kindness. 13 ॥


क्रोधोवैवस्वतो राजा तृष्णाबैतरणीनदी ॥ 
विद्याकामदुघाधेनुः संतोषोनन्दनंवनम् ॥ १४ ॥

अर्थ - क्रोध यमराज है और तृष्णा वैतरणीनदी है, विद्या कामधेनु गाय है और सन्तोष इन्द्रकी वाटिका है ॥ १४ ॥

krōdhōvaivasvatō rājā tr̥ṣṇābaitaraṇīnadī ॥ 
vidyākāmadughādhēnuḥ saṁtōṣōnandanaṁvanam ॥ 14 ॥
Meaning - Anger is Yamraj and thirst is river Vaitarna, Vidya is Kamadhenu cow and satisfaction is Indra's garden. 14 ॥

गुणो भूषयते रूपं शीलं भूषयते कुलम् ।कुलम्
सिधिर्भूषयते विद्यां भोगो भूषयेते धनम् ॥धनम् ०८-१५

अर्थ - गुण रूप को भूषित करता है, शीलं कुलको अलंकृत करता है, सिद्धि विद्या को भूषित करती है और भोग धन को भूषित करता है ॥ १५ ॥ 

guṇō bhūṣayatē rūpaṁ śīlaṁ bhūṣayatē kulam |kulam
sidhirbhūṣayatē vidyāṁ bhōgō bhūṣayētē dhanam ॥dhanam 08-15

Meaning - Quality adorns the form, modesty adorns the clan, accomplishment adorns knowledge and enjoyment adorns wealth. 15.
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 7   श्लोक-  11-15

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

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