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चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ अष्टमोऽध्यायः ॥ 8 ॥

atha aṣṭamō’dhyāyaḥ ॥ 8 ॥

अधमाधनमिच्छन्तिधनंमानंचमध्यमाः ॥ 
उत्तमामानमिच्छन्तिमानोहिमहतां धनम्॥१॥

अर्थ - अधम धन ही चाहते हैं, मध्यम धन और मान, उत्तम मान ही चाहते हैं इस कारण कि महात्माओं का धन मान ही है ॥ १ ॥

adhamādhanamicchantidhanaṁmānaṁcamadhyamāḥ ॥ 
uttamāmānamicchantimānōhimahatāṁ dhanam॥1॥
Meaning - They want only mediocre wealth, medium wealth and respect, they want only good respect because the wealth of Mahatmas is respect. 1॥

इक्षुरापः पयोमूळंताम्बूलंफलमौषधम् ॥ 
भक्षयित्वापिकर्तव्याः स्नानदानादिकाः क्रियाः ॥ 2 ॥

अर्थ - ऊष, जल, दूध, मूल, पान, फल, और औषध इन वस्तुओं के भोजन करने पर ही स्नान दान आदि क्रिया करनी चाहिये ॥ २ ॥ 

ikṣurāpaḥ payōmūḻaṁtāmbūlaṁphalamauṣadham ॥ 
bhakṣayitvāpikartavyāḥ snānadānādikāḥ kriyāḥ ॥ 2 ॥
Meaning - Bathing, donating etc. should be done only after eating these things like water, milk, roots, betel leaves, fruits and medicines. ॥ 2॥

दीपोभक्षयतेध्वांतंकज्जलंचप्रसूपते ॥ 
यदन्नं भक्ष्यतेनित्यंजायतेतादृशीप्रजा ॥ ३ ॥

अर्थ - दीप अन्धकार को खाय जाता है और काजल को जन्माता है, जैसा अन्न सदा खाता है वैसी ही उसकी सन्तती होती है ॥ ३ ॥

dīpōbhakṣayatēdhvāṁtaṁkajjalaṁcaprasūpatē ॥ 
yadannaṁ bhakṣyatēnityaṁjāyatētādr̥śīprajā ॥ 3 ॥
Meaning - The lamp eats the darkness and gives birth to the soot, the food it always eats, the same is its progeny. ॥ 3॥


वित्तं देद्दिगुणान्वितेषुमतिमन्नान्यत्रदेहिक्वचित् 
माप्तंवारिनिधेर्जलंघनमुखेमाधुर्ययुक्तं सदाः ॥ 
जीवानुम्थावरजंगमांश्च सकलान् संजीव्यभूमं डलं। 
भूयः पश्यतिदेवकोटिगुणितं गच्छेतमम्भो निधम् ॥ ४ ॥
 
अर्थ - हे मतिमन् गुणियों को धन दो औरौं को कभी मत दो, समुद्र से मेघके मुख में प्राप्त होकर जल सदा मधुर हो जाता है. पृथ्वीपर चर अचर सब जीवोंको जिलाकर फिर देखो, वही जल कोटिगुणा होकर उत्सी समुद्रमें चला जाता है ॥ ४ ॥

vittaṁ dēddiguṇānvitēṣumatimannānyatradēhikvacit 
māptaṁvārinidhērjalaṁghanamukhēmādhuryayuktaṁ sadāḥ ॥ 
jīvānumthāvarajaṁgamāṁśca sakalān saṁjīvyabhūmaṁ ḍalaṁ| 
bhūyaḥ paśyatidēvakōṭiguṇitaṁ gacchētamambhō nidham ॥ 4 ॥
 
Meaning - O Matiman, give wealth to the virtuous, never give it to others, water always becomes sweet after receiving it from the sea in the mouth of the clouds. After giving life to all living beings on the earth, the same water multiplies millions of times and goes into the ocean. 4॥

चाण्डालानां सहस्रैश्च सूरिभिस्तत्त्वदर्शिभिः ।
एको हि यवनः प्रोक्तो न नीचो यवनात्परः ॥ ०८-०५ ॥

अर्थ - तत्वदर्शियों ने कहा है कि, सहस्रचांडालों के तुल्य एक यवन होता है और यवन से नीच दूसरा कोई नहीं है । ५ ॥

cāṇḍālānāṁ sahasraiśca sūribhistattvadarśibhiḥ |
ēkō hi yavanaḥ prōktō na nīcō yavanātparaḥ ॥ 08-05 ॥

Meaning - Tatvadarshis have said that there is one Yavana equal to Sahasrachandalas and there is no one inferior to Yavana. 5॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 8   श्लोक-  1-5

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।