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चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथद्वितीयोऽध्यायः ॥ 2 ॥

athadvitīyō’dhyāyaḥ ॥ 2 ॥


नविश्वसेत्कु मित्रेच मित्रेचापिनविश्वसेत् ॥ 
कदाचित्कुपितोमित्रोसर्वंगुह्यंप्रकाशयेत् ॥६॥

अर्थ - कुमित्र पर विश्वास तो किसी प्रकार से नहीं करना चाहिये। और सुमित्र पर भी विश्वास न रखें। इसका कारण यह है कि, कदाचित् मित्र रुष्ट हो जाय तो सब गुप्त बातों को प्रसिद्ध या प्रकट कर दे और हम संकट में आ जायें यह संभव है॥ ६ ॥

naviśvasētku mitrēca mitrēcāpinaviśvasēt ॥ 
kadācitkupitōmitrōsarvaṁguhyaṁprakāśayēt ॥6॥

Meaning - Kumitra (bad friends) should not be trusted in any way. And don't trust Sumitra (Good Friends) either. The reason for this is that if a friend gets angry then he may make all the secret things public or reveal them and it is possible that we may get into trouble. ।।6॥

मनसाचिंतितं कार्यंवा चानैवप्रकाशयेत् ॥ 
मंत्रेणरक्षयेद्रूढं कार्यंचा पिनियोजयेत् ॥ ७ ॥

अर्थ - मन से सोचे हुये कार्य का प्रकाश वचन से न करें, किंतु मंत्र (गोपनीयता) से उसकी रक्षा करें। और गुप्त ही उस कार्य को संपन्न करें॥ ७ ॥

manasāciṁtitaṁ kāryaṁvā cānaivaprakāśayēt ॥ 
maṁtrēṇarakṣayēdrūḍhaṁ kāryaṁcā piniyōjayēt ॥ 7 ॥
Meaning - Do not reveal the work thought in your mind through words, but protect it with mantra (secrecy). And complete that work secretly. ॥ 7 ॥


कष्टंचखलुमूर्खत्वंकष्टंचखलुयौवनम् ॥ 
कष्टात्कष्टतरं चैवपरगेहनिवासनम् ॥ ८ ॥

अर्थ - मूर्खता दुःख देती है, और युवापन भी दुःख देता है, परंतु दूसरे के गृह का वास तो बहुत ही दुःख दायक होता है ॥ ८ ॥

kaṣṭaṁcakhalumūrkhatvaṁkaṣṭaṁcakhaluyauvanam ॥ 
kaṣṭātkaṣṭataraṁ caivaparagēhanivāsanam ॥ 8 ॥

Meaning - Stupidity gives sorrow, and youth also gives sorrow, but living in someone else's house is very painful. ॥8॥


शैलेशैलेनमाणिक्य मौक्तिकंनगजेगजे ॥ 
साधवोन हिसर्वत्र चंदनंनवनेवने ॥ ९ ॥

अर्थ - सब पर्वतों पर माणिक्य नहीं होता और मोती सब हाथियों में नहीं मिलता, साधु लोग सभी स्थानों पर नहीं मिलते और सभी वनों में चंदन नहीं होता ॥ 9 ॥

śailēśailēnamāṇikya mauktikaṁnagajēgajē ॥ 
sādhavōna hisarvatra caṁdanaṁnavanēvanē ॥ 9 ॥ 

Meaning - Ruby is not found on all mountains, pearls are not found in all elephants, sages are not found in all places and sandalwood is not found in all forests. ॥ 9॥


पुत्राश्वविविधैःशीलैर्नियोज्याः सततंबुधैः ॥ 
नीतिज्ञाःशीलसंपन्नाभवंतिकुलपूजिताः॥१०॥

अर्थ - बुद्धिमानों को अपने पुत्रों को नाना भांति भांति की सुशीलता में लगाना चाहिए; इस कारण कि, नीति के जानने वाले यदि शीलवान् हों, तो कुल में पूजित होते हैं।॥१०॥

putrāśvavividhaiḥśīlairniyōjyāḥ satataṁbudhaiḥ ॥ 
nītijñāḥśīlasaṁpannābhavaṁtikulapūjitāḥ॥10॥
Meaning - The wise should engage their sons in various kinds of good deeds; Because, if those who know the policy are polite, then they are worshiped in the family.॥10॥

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   द्वितीय अध्याय – श्लोक- 6-10

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।