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चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ सप्तमोऽध्यायः ॥ 7 ॥

atha saptamō’dhyāyaḥ ॥ 7 ॥

पादाभ्यांनस्पृशेदभिंगुरुंब्राह्मणमेवच ॥ 
नैवगांनकुमारींचन वृद्धंन शिशुंतथा ॥ ६ ॥

अर्थ - अग्नि, गुरु और ब्राह्मण, इनको पैर से कभी नहीं छूना चाहिये। वैसे ही गौ को कुमारिकाओं को, वृद्ध को और बालकों को, पैर से नहीं छूना चाहिये ॥ ६॥

pādābhyāṁnaspr̥śēdabhiṁguruṁbrāhmaṇamēvaca ॥ 
naivagāṁnakumārīṁcana vr̥ddhaṁna śiśuṁtathā ॥ 6 ॥
Meaning - Fire, Guru and Brahmin should never be touched with feet, similarly cows, virgins, old people and children should not be touched with feet.  ।।6॥

शकटंपचहस्तेनदशहस्तेनवाजिनम् ॥ 
इस्तिहस्तसहस्त्रेणदेशत्यागेनदुर्जनम्ः ॥ ७॥

अर्थ -  गाडी को पांच हाथ पर, घोड़े को दस हाथ पर, हाथी को हजार हाथ पर, दुर्जन को देश त्याग करके छोडना चाहिये ॥ ७ ॥

śakaṭaṁpacahastēnadaśahastēnavājinam ॥ 
istihastasahastrēṇadēśatyāgēnadurjanamḥ ॥ 7॥

Meaning - A cart should be kept at five cubits, a horse should be kept at ten cubits, an elephant should be kept at a thousand cubits, the wicked should leave the country. ।। 7 ॥

हस्तीयंकुशमात्रेणवाजी हस्तेनताड्यते ॥ 
श्रृंगालगुडहस्तेन खड्गहस्तेनदुर्जनः ॥ ८ ॥

अर्थ - हाथी केवल अंकुश से, घोड़ा हाथ से, सींग वाले जन्तु लाठी से और दुर्जन  खड्ग संयुक्त हाथ से दंड पाते हैं ॥ ८ ॥

hastīyaṁkuśamātrēṇavājī hastēnatāḍyatē ॥ 
śrr̥ṁgālaguḍahastēna khaḍgahastēnadurjanaḥ ॥ 8 ॥

Meaning - Elephants are punished only with the goad, horses with the hand, horned animals with the stick and the wicked with the combined hand of the sword. ।। 8॥

तुष्यन्तिभोजनेविप्रामयुराघनगर्जिते ॥
साधवःपरसम्पत्तौखलाः परविपत्तिषु ॥ ९ ॥

अर्थ - भोजन के समय ब्राह्मण और मेघ के गर्जने पर मयूर, दूसरे को सम्पत्ति प्राप्त होने पर साधु और दूसरे को विपत्ति आने पर दुर्जन सन्तुष्ट होते हैं॥९॥

tuṣyantibhōjanēviprāmayurāghanagarjitē ॥
sādhavaḥparasampattaukhalāḥ paravipattiṣu ॥ 9 ॥

Meaning: The Brahmin is satisfied at the time of eating and the peacock when the cloud roars, the saint when another gets wealth and the wicked when another gets calamity.।।9।।

अनुलोमेन बलिनंप्रतिलोमेनदुर्बलम् ॥ 
आत्मतुल्यबलंशत्रुविनयेनबलेनवा ॥ १० ॥

अर्थ - बली वैरी को उसके अनुकूल व्यवहार करने से, यदि वह दुर्बल हो तो उसे प्रतिकूलता से वश करें, बल में अपने समान शत्रु को विनय से अथवा बल से जीतें ॥ १० ॥

anulōmēna balinaṁpratilōmēnadurbalam ॥ 
ātmatulyabalaṁśatruvinayēnabalēnavā ॥ 10 ॥

Meaning - By behaving in a favorable manner to a powerful enemy, if he is weak then subdue him from adversity, conquer an enemy who is equal to you in strength through discipline or force. 10 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 7   श्लोक-  6-10

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।