चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ षष्ठमोऽध्यायः ॥ 6 ॥
atha ṣaṣṭhamō’dhyāyaḥ ॥ 6 ॥
तादृशीजायतेबुद्धिर्व्यवसायोपितादृशः ॥ सह: यास्तादृशाएवयादृशीभवितव्यता ॥६॥ अर्थ - वैसे ही बुद्धि और वैसा ही उपाय होता है और वैसे ही सहायक मिलते हैं जैसा होनहार है ॥ ६ ॥ tādr̥śījāyatēbuddhirvyavasāyōpitādr̥śaḥ ॥ saha: yāstādr̥śāēvayādr̥śībhavitavyatā ॥6॥ Meaning - One has the same intelligence and the same solution and one gets the helper as per the promise. ।। 6॥ कालः पचतिभूतानिकालःसंहरतेप्रजाः ॥ कालः सुप्तेषुजागर्तिका लोहिदुरातिक्रमः ॥७॥ अर्थ - काल सब प्राणियों को खा जाता है और काल ही सब प्रजा का नाश करता है सब पदार्थ के लय हो जाने पर काल जागता रहता है काल को कोई नहीं टाल सकता ॥ ७ ॥ kālaḥ pacatibhūtānikālaḥsaṁharatēprajāḥ ॥ kālaḥ suptēṣujāgartikā lōhidurātikramaḥ ॥7॥ Meaning - Time eats up all living beings and time itself destroys all people. When all things are in harmony, time remains awake. No one can avoid time. ।। 7 ॥ नपश्यतिचजन्मान्धःकामान्धोनैवपश्यति ॥ मदोन्मत्तानपश्यंति अर्थीदोषंनपश्यति ॥ ८॥ अर्थ - जन्म का अन्धा नहीं देखता, काम से जो अन्धा हो रहा है उसको सूझता नहीं, मदोन्मत्त किसी को देखता नहीं और अर्थी दोषको नहीं देखता। ॥८।। napaśyaticajanmāndhaḥkāmāndhōnaivapaśyati ॥ madōnmattānapaśyaṁti arthīdōṣaṁnapaśyati ॥ 8॥ Meaning - A person blind by birth does not see, one who is blinded by lust does not understand, an intoxicated person does not see anyone and a sick person does not see the fault. ॥8।। स्वयंकर्मकरोत्यात्मा स्वर्यतत्फलमश्नुते ॥ स्वयंश्त्रमतिसंसारेस्वयंतस्माद्विमुच्यते ॥ ९ ॥ अर्थ - जीव आपही कर्म करता है और उसका फलभी 'आपही भोगता है, आपही संसार में भ्रमता है और आपही उससे मुक्त भी होता है ॥ ९ ॥ svayaṁkarmakarōtyātmā svaryatatphalamaśnutē ॥ svayaṁśtramatisaṁsārēsvayaṁtasmādvimucyatē ॥ 9 ॥ Meaning - The living being does his own work and suffers its consequences on his own, gets lost in the world on his own and is freed from it on his own. ।।9॥ राजा राष्ट्रष्कृतंपापराज्ञःपापं पुरोहितः ॥ भंर्ताच स्वीकृतं पापंशिष्यपापंगुरुस्तथा ॥१०॥ अर्थ - अपने राज्यमें किये हुवे पापको राजा, और राजा के पापको पुरोहित भोगता है, स्त्रीक्कृतपापको स्वामी भोगता है, वैसेही शिष्यके पापको गुरु ॥ १० ॥ rājā rāṣṭraṣkr̥taṁpāparājñaḥpāpaṁ purōhitaḥ ॥ bhaṁrtāca svīkr̥taṁ pāpaṁśiṣyapāpaṁgurustathā ॥10॥ Meaning - The king suffers for the sins committed in his kingdom and the priest for the king's sins, the master suffers for the sins committed by the woman, similarly the teacher suffers for the sins of the disciple. ।। 10 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 6 श्लोक- 1-5
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।