चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ षष्ठमोऽध्यायः ॥ 6 ॥
atha ṣaṣṭhamō’dhyāyaḥ ॥ 6 ॥
श्रुत्वाधर्मविजानातिश्रुत्वात्यजतिदुर्मतिम् ॥ श्रुत्वाज्ञानमवाभोतिश्रुत्वामोक्षमवाप्नुयात्॥१॥ अर्थ - मनुष्य शास्त्र को सुन कर धर्म को जानता है दुर्बुद्धि को छोडता है, ज्ञान पाता है मोक्ष पाता है॥१।। śrutvādharmavijānātiśrutvātyajatidurmatim ॥ śrutvājñānamavābhōtiśrutvāmōkṣamavāpnuyāt॥1॥ Meaning - Man knows the religion by listening to the scriptures, gives up his foolishness, gets knowledge and attains salvation. ।।1.।। काकःपक्षिषुचंडालःपशूनांचैवकुक्कुरः ॥ पापोमुनीनांचांडालः सर्वेषांचैवनिंदकः ॥ २ ॥ अर्थ - पक्षियों में, कौआ, और पशुओं में सियार (कृकुर) चांडाल होता है, मुनियों में चांडाल पाप है, और सबमें चांडाल निन्दक है ॥ २ ॥ kākaḥpakṣiṣucaṁḍālaḥpaśūnāṁcaivakukkuraḥ ॥ pāpōmunīnāṁcāṁḍālaḥ sarvēṣāṁcaivaniṁdakaḥ ॥ 2 ॥ Meaning - Among birds, crow, and jackal (Krikur) among animals, Chandal is there, among sages, Chandal is sinful, and among all, Chandal is a slanderer. ।।2॥ भस्मनाशुड्यते कांस्यंताम्रमम्लैनशुद्ध्यति ॥ रजसाशुक्ष्यतेनारीनदीवेगेनशुद्ध्ययति ॥ ३ ॥ अर्थ - कांँसे का पात्र राख से, तांबे का मल खटाई से, स्त्री रजस्वला होने पर और नदी धारा के वेग से पवित्र होती है ॥ ३ ॥ bhasmanāśuḍyatē kāṁsyaṁtāmramamlainaśuddhyati ॥ rajasāśukṣyatēnārīnadīvēgēnaśuddhyayati ॥ 3 ॥ Meaning: A bronze vessel is purified by ashes, copper feces by sour water, a woman by menstruation and a river by the speed of the current. ।।3॥ भ्रमन्संपूज्यतेराजाश्त्रमन्संपूज्यतेद्विजः ॥ भ्रमन् संपूज्यतेयोगीस्त्रीभ्रमन्तीविनश्यति ॥४॥ अर्थ - भ्रमण करने वाले राजा, ब्राह्मण, योगी पूजित होते हैं परंतु स्त्री घूमने से भ्रष्ट हो जाती है ॥४॥ bhramansaṁpūjyatērājāśtramansaṁpūjyatēdvijaḥ ॥ bhraman saṁpūjyatēyōgīstrībhramantīvinaśyati ॥4॥ Meaning - Kings, Brahmins and Yogis who travel are worshipped, but women get corrupted by travelling.॥4॥ यस्यार्थास्तस्यमित्राणियस्यार्थास्तस्यबान्धवाः यस्यार्थाः सपुमाँल्लोकेयस्यार्थः सचपंडितः॥५॥ अर्थ - जिसके पास धन है, उसी का मित्र, और उसी के बांधव होते हैं, और वही पुरुष गिना जाता है, और वही पंडित कहलाता है ॥ ५ ॥ yasyārthāstasyamitrāṇiyasyārthāstasyabāndhavāḥ yasyārthāḥ sapumām̐llōkēyasyārthaḥ sacapaṁḍitaḥ॥5॥ Meaning - The one who has money has friends and relatives, and he is considered a man, and he is called a Pandit. ।।5॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 6 श्लोक- 1-5
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।