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चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ पंचमोऽध्यायः ॥ 5 ॥

atha paṁcamō’dhyāyaḥ ॥ 5 ॥

नराणांनापितो धूर्तःपक्षिणांचैववायसः ॥ 
चतुष्पदांशृगालस्तुस्त्रीणांधूर्ताचमालिनी॥२१॥

अर्थ - पुरुषों में नापित, और पक्षियों में कौवा वंचक (धूर्त अर्थात् मूर्ख बनाने वाला) होता है, पशुओं में सियार धूर्त होता है और स्त्रियों में मालिन धूर्त होती है ॥ २१ ॥

narāṇānāpitō dhūrtaḥpakṣiṇāṁcaivavāyasaḥ ॥ 
catuṣpadāṁśr̥gālastustrīṇāṁdhūrtācamālinī॥21॥

Meaning - Among men, the crow is deceitful, among birds, the crow is deceitful (cunning i.e. one who fools), among animals, the jackal is cunning and among women, the dirty one is cunning. ।। 21 ॥

जनिताचोपनेताचयस्तुविद्यां प्रयच्छति ॥ 
अन्नदातांभयंत्रातांपंचैतेपितरः स्मृताः ॥२२॥

अर्थ - जन्म देने वाला, यज्ञोपवीत आदि संस्कार कराने वाला, विद्या देनेवाला (गुरु), अन्न देने वाला (अर्थात् भरण पोषण करनेवाला ) और भय से बचाने वाला, ये पांँचों पिता माने जाते हैं ॥२२॥

janitācōpanētā cayastuvidyāṁ prayacchati ॥ 
annadātāṁbhayatrātāpaṁcaitēpitaraḥ smr̥tāḥ ॥22॥

Meaning - The one who gives birth, the one who performs the rites of Yagyopavit etc., the one who gives knowledge (Guru), the one who gives food (i.e. the one who provides sustenance) and the one who protects from fear, these five are considered fathers. ।।२२।।

राजपत्नीगुरोःपत्नीमित्रपत्नीतथैवच ॥ 
पत्नीमातास्वमाताचपंचैतामातरः स्मृताः॥२३ ॥

अर्थ - राजा की भार्या, गुरु की स्त्री, वैसे ही मित्र की पत्नी, सास और अपनी जननी (माता) इन पांँचों को माता कहते हैं ॥ २३ ॥

rājapatnīgurōḥpatnīmitrapatnītathaivaca ॥ 
patnīmātāsvamātācapaṁcaitāmātaraḥ smr̥tāḥ॥23 ॥
Meaning - King's wife, Guru's wife, friend's wife, mother-in-law and own mother, these five are called mother.  ।।23॥
इतिपंचमोऽध्यायः ॥ 5 ॥
itipaṁcamō’dhyāyaḥ ॥ 5 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 5   श्लोक-  20-23

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।