अथ प्रथमोऽध्याय:
atha prathamō’dhyāya:
लोकयात्रा भयंलज्जादाक्षिण्यंत्यागशीलता ॥ पंचयत्रनविद्यंतेनकुर्यात्तत्रसंगतिम् ॥ १० ॥ अर्थ - जीविका, भय, लज्जा, कुशलता, देने की प्रकृति, जहाँ ये पांच नहीं वहाँ के लोगों के साथ संगति न करनी चाहिये ॥ १० ॥ lōkayātrā bhayaṁlajjādākṣiṇyaṁtyāgaśīlatā ॥ . paṁcayatranavidyaṁtēnakuryāttatrasaṁgatim ॥ 10 ॥ Meaning - livelihood, fear, shyness, efficiency, nature of giving, one should not associate with people from places where these five are not there. 10 ॥ जानीयातूप्रेषणेभृत्यान्बान्धवान्व्यसनागमे।॥ मित्रंचापत्तिकालेतुभार्यांचविभवक्षये ॥११॥ अर्थ - काम में लगाने पर सेवकों को, दुःख आने पर बान्धवों की, विपत्ति काल में मित्रकी और विभव के नाश होने पर स्त्रीकी परिक्षा हो जाती है ॥ ११ ॥ jānīyātūpreṣaṇebhṛtyānbāndhavānvyasanāgame| mitraṃcāpattikāletubhāryāṃcavibhavakṣaye ॥11॥ Meaning: Servants are put to the test when put to work, relatives at times of sorrow, friends at times of distress and women at the loss of their wealth. ॥ 11 ॥ आतुरेव्यसनेप्राप्तेदुर्भिक्षशत्रुसंकटे ॥ राजद्वारे श्मशानचयस्तिष्ठतिसबांधवः ॥१२॥ अर्थ - आतुर होनेपर दुःख प्राप्त होनेपर, काल पडने पर बेरियों से संकट आनेपर राजा के समीप और स्मशान पर जो साथ रहता है वही बन्धु है ॥ १२ ॥ āturēvyasanēprāptēdurbhikṣaśatrusaṁkaṭē ॥ rājadvārē śmaśānacayastiṣṭhatisabāṁdhavaḥ ॥12॥ Meaning - The one who stays with the king when he is anxious, when he gets sad, when the time comes, when he is in trouble due to berries, and who remains with him at the cremation ground, he is a friend. 12 ॥ योध्रुवाणिपरित्यज्य अधुर्वपरिसेवते ।। ध्रुवाणितस्यनश्यन्ति अध्रुवंनष्टमेवहि ॥ १३ ॥ अर्थ - जो निश्चित वस्तुओं को छोड़कर अनिश्चित की सेवा करता है उसकी निश्चित वस्तुओं का नाश हो जाता है अनिश्चित तो नष्ट ही है ॥ १३ ॥ yōdhruvāṇiparityajya adhurvaparisēvatē ॥ dhruvāṇitasyanaśyanti adhruvaṁnaṣṭamēvahi ॥ 13 ॥ Meaning - One who leaves certain things and serves the uncertain, his certain things get destroyed, the uncertain is definitely destroyed. ॥ 13 ॥ वरयेत्कुलजांमाज्ञोविरूपामपिकन्यकाम् ॥ रूपशीलांननीचस्यविवाहःसदृशेकुले ॥१४॥ अर्थ - बुद्धिमान् उच्च कुल की कन्या कुरूपा भी हो तो भी उसे वरण करना चाहिए, नीच कुल की सुन्दरी हो तो भी उसको नहीं। इस कारण कि विवाह तुल्य कुल में विहित है ॥ १४ ॥ varayētkulajāṁmājñōvirūpāmapikanyakām ॥ rūpaśīlāṁnanīcasyavivāhaḥsadr̥śēkulē ॥14॥ Meaning - Even if an intelligent girl from a high family is ugly, she should be chosen; even if she is beautiful from a low family, she should not be chosen. This is because marriage is prescribed in the same family. 14 ॥ नखिनांचनदीनांचशृंगिणांशस्त्रपाणिनाम् ॥ विश्वासोनैव कर्तव्यः स्त्रीषुराजकुलेषुच ॥ १५॥ अर्थ - नदियों का, शस्त्र धारियोंका, नखवाले और सिंगवाले जन्तुओं का, स्त्रियों में और राज कुल पर विश्वास नहीं करना चाहिये ॥ १५ ॥ nakhināṁcanadīnāṁcaśr̥ṁgiṇāṁśastrapāṇinām ॥ viśvāsōnaiva kartavyaḥ strīṣurājakulēṣuca ॥ 15॥ Meaning: One should not trust rivers, those carrying weapons, animals with nails and horns, women and the royal family. 15.
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, प्रथम अध्याय – श्लोक-10-15
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।
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