चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

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अथ चतुर्थोऽध्यायः ॥ 4 ॥

atha caturthō’dhyāyaḥ ॥ 4 ॥

त्यजेत्धर्मंदयाहीनाविद्याहीनं गुरुंत्यजेत् ॥ 
त्यजेत्क्रोधमुखीं भार्यांनिस्नेहान्बांधवात्यजेत्।। १६।।

अर्थ -  दयारहित धर्म को छोड़ देना चाहिये, विद्या विहीन गुरु का त्याग उचित है, जिसके मुंँह से क्रोध प्रगट होता हो, ऐसी भार्या को अलग करना चाहिये और बिना प्रीति बांँधवों का त्याग विहित है ॥ १६ ॥

tyajēḍarmaṁdayāhīnāvadyāhīnaṁ guruṁtyajēt ॥ 
tyajētkrōdhamukhīṁ bhāryāṁnisnēhānbāṁdhavātyajētū 16

Meaning - Religion without mercy should be abandoned, it is appropriate to sacrifice a Guru without knowledge, whose mouth shows anger, such a wife should be separated and it is prescribed to sacrifice those without loving ties. 
।। 16 ॥
अध्वा जरा मनुष्याणां वाजिनांबन्धनं जरा ।
अमैथुनं जरा स्त्रीणां वस्त्राणाम् आतपो जरा ।।

अर्थ - मनुष्यों के लिए पैदल न चलना, घोड़ों को बाँधकर रखना, स्त्रियों के लिए असम्भोग (मैथुन न करना) और वस्त्रों के लिए धूप जरा (बुढापा) लाने का कारण होता है।

abhyājarāmanuṣyāṇāṁ vājināṁbandhanaṁjarā ॥ 
amathunaṁ jarāstrīṇāṁ vastrāṇāmātapōjarā ॥17॥

Meaning - For humans, not walking on foot, keeping horses tied, for women it causes asambhog (not having sex) and for clothes, sunlight causes aging.
।।17।।

कःकालःकानिमित्राणिकोदेशः कौव्ययागमौ 
कस्याहं का चमेशक्तिरितिचिंत्यंमुहुर्मुहुः॥१८॥

अर्थ - किस काल में क्या करना चाहिये, मित्र कौन है, देश कौन है, लाभ व्यय क्या है, किसका मैं हूंँ, मुझमें क्या शक्ति है इन सबका बार-बार विचार करना योग्य है ॥ १८ ॥

kaḥkālaḥkānimitrāṇikōdēśaḥ kauvyayāgamau 
kasyāhaṁ kā camēśaktiriticiṁtyaṁmuhurmuhuḥ॥18॥

Meaning - What should be done at what time, who is the friend, who is the country, what is the profit and expenditure, whose am I, what power do I have, it is worth thinking about all these again and again.  ।।18 ॥

अग्निर्देवोद्विजातीनां मुनीनांहृदिदैवतम् ॥ 
प्रतिमास्वल्पबुद्दीनां सर्वत्रसमदर्शिनां ॥ १९ ॥

अर्थ - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, (द्विजों का) उनका देवता आग्नि है। मुनियों के हृदय में देवता रहता है। अल्पबुद्धियों के लिये मूर्ति में और समदर्शियों के लिये सभी स्थानों में देवता है ॥१९॥

agnirdēvōdvijātīnāṁ munīnāṁhr̥didaivatam ॥ 
pratimāsvalpabuddīnāṁ sarvatrasamadarśināṁ ॥ 19 ॥

Meaning - Brahmins, Kshatriyas, Vaishyas, (dwijas) their god is Agni.  God resides in the hearts of sages.  For the less intelligent, there are gods( The habitats of the heaven or swarga called devta) in idols and for the wise, there are gods( The habitats of the heaven or swarga called devta) everywhere. ।।१९।।
इति चतुर्थोऽध्यायः ॥ 4 ॥
iti caturthō’dhyāyaḥ ॥ 4 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 4   श्लोक-  16-20

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।

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