चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ चतुर्थोऽध्यायः ॥ 4 ॥
atha caturthō’dhyāyaḥ ॥ 4 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 4 श्लोक- 6-10
एकोऽपिगुणवान्पुत्रोनिर्गुणैश्वशतैर्वरः ॥ एक श्चंद्रस्तमोहंतिनचताराः सहस्रशः ॥ ६ ॥ अर्थ - एक भी गुणी पुत्र श्रेष्ठ है। सो सैकड़ों गुण- रहितों से क्या ? एक ही चन्द्र अन्धकार को नष्ट कर देता है, सहस्त्र तारे नहीं ॥ ६ ॥ ēkō’piguṇavānputrōnirguṇaiśvaśatairvaraḥ ॥ ēka ścaṁdrastamōhaṁtinacatārāḥ sahasraśaḥ ॥ 6 ॥ Meaning- Even a virtuous son is the best. So what about hundreds of people without qualities? Only one moon destroys darkness, not thousands of stars. ।।6॥ मूर्खश्चिरायुर्जातो ऽपितस्माज्जातमृतोवरः ॥ मृतः सचाल्दुःखाययावज्जीवंजडोदहेत्॥७॥ अर्थ - मूर्ख जातक चिरंजीवी हो उससे उत्पन्न होते ही जो मर गया वह श्रेष्ठ है। इस कारण कि मरा थोड़े ही दुःख का कारण होता है। जड़ जब तक जीता है तब तक दुःख देता रहता है ॥ ७ ॥ mūrkhaścirāyurjātō ’pitasmājjātamr̥tōvaraḥ ॥ mr̥taḥ sacālduḥkhāyayāvajjīvaṁjaḍōdahēt॥7॥ Meaning - A foolish person may live long and the one who dies as soon as he is born is the best. Because dying is a cause of little sorrow. As long as the root lives, it continues to give pain. 7 ॥ कुग्रामवासः कुलहीनसेवाकुभोजनंक्रोधमुखी चभार्य्या ।। पुत्रश्वमूर्खाविधवाचकन्याविनाग्नि नाषट् प्रदर्हतिकायम् ॥ ८ ॥ अर्थ - कुग्राम में बास, नीच कुलकी सेवा, कुभोजन, कलही स्त्री, मूर्ख पुत्र, विधवा कन्या ये छः बिना आग ही शरीर को जलाते हैं ॥ ८ ॥ kugrāmavāsaḥ kulahīnasēvākubhōjanaṁkrōdhamukhī cabhāryyā ॥ putraśvamūrkhāvidhavācakanyāvināgni nāṣaṭ pradarhatikāyam ॥ 8 ॥ Meaning - Living in a bad village, serving a lowly family, bad food, a bad woman, a foolish son, a widowed daughter, these six burn the body without fire. ।। 8॥ किंतयाक्रियतेधे-वाणनदेोग्ध्रीनगुर्विणी ॥ कोऽर्थः पुत्रेणजातेन योनविद्वान्नभक्तिमान्। ९। अर्थ - उस गाय से क्या लाभ है जो न दूध देवे, न गाभिन होवे, और ऐसे पुत्र हुए से क्या लाभ जो न विद्वान् भया न भक्तिमान् ॥ ६ ॥ kiṁtayākriyatēdhē-vāṇanadēōgdhrīnagurviṇī ॥ kō’rthaḥ putrēṇajātēna yōnavidvānnabhaktimān.।।9।। Meaning: What is the benefit of a cow that does not give milk and is not pregnant, and what is the benefit of having a son who is neither learned nor fearful nor devout? ।।9 ॥ संसारतापदग्धानात्रयोविश्रांतिहेतवः ॥ अपत्यंचकलत्रंचसतांसंगतिरेवच ॥ १० ॥ अर्थ - संसार के ताप से जलते हुए पुरुषों के विश्राम के हेतु तीन हैं, पुत्र, स्त्री और सज्जनों की संगति ॥५०॥ saṁsāratāpadagdhānātrayōviśrāṁtihētavaḥ ॥ apatyaṁcakalatraṁcasatāṁsaṁgatirēvaca ॥ 10 ॥ Meaning - There are three ways for men who are burning with the heat of the world to find solace: sons, women and the company of gentlemen. ।।10।।
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।
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