चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

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अथ तृतीयोऽध्यायः ॥ 3 ॥

atha tr̥tīyō’dhyāyaḥ ॥ 3 ॥

उद्योगेनास्तिदारिद्र्यंजपतोनास्तिपातकम् ॥ 
मौनेनकलहोनास्तिनास्ति जागारतेभयम् । ११।
अर्थ - उपाय करनेपर दरिद्रता नहीं रहती, जपने वाले को पाप नहीं रहता, मौन होने से कलह नहीं होता और जागने वाले के निकट भय नहीं आता ॥११॥

udyōgēnāstidāridryaṁjapatōnāstipātakam ॥ 
maunēnakalahōnāstināsti jāgāratēbhayam | 11|
Meaning - There is no poverty by doing the right thing, the one who chants has no sins, there is no discord by being silent and no fear comes near the one who is alert.॥11॥

अतिरूपेणवैसीता आतगर्वेणरावणः ॥ 
अतिदानाद्वलिर्वद्धोयति सर्वत्रवर्जयेत्॥१२॥

अर्थ - अति सुंदरता के कारण सीता हरी गई, अति गर्व से रावण मारा गया, बहुत दान देकर बलि को बंधना पडा; इस हेतु अति को सब स्थल में छोड देना चाहिये ॥ १२ ॥

atirūpēṇavaisītā ātagarvēṇarāvaṇaḥ ॥ 
atidānādvalirvaddhōyati sarvatravarjayēt॥12॥
Meaning - There is no poverty by doing the right thing, the one who chants has no sins, there is no discord by being silent and no fear comes near the one who is alert.॥11॥

कोहिभारःसमर्थानांकिंदुरं व्यवसायिनाम् ॥ 
कोविदेशः सुविद्यानांकः प्रियःप्रियवादिनाम्॥ 13 ॥

अर्थ - समर्थ को कौन वस्तु भारी है, काम में तत्पर रहने वाले को क्या दूर है सुन्दर विद्यावालों को कौन विदेश है, प्रियवादियों को अप्रिय कौन है ।

kōhibhāraḥsamarthānāṁkiṁduraṁ vyavasāyinām ॥ 
kōvidēśaḥ suvidyānāṁkaḥ priyaḥpriyavādinām॥ 13 ॥
Meaning - What is heavy for the capable, what is too far for the one who is ready to work, what is foreign to the learned, what is unpleasant to the dear litigants.


एकेनापिसुवृक्षेणपुष्पितेन सुगन्धिना ॥ 
वासितंतद्वनंसर्वं सुपुत्रेणकुलंयथा ॥ १४ ॥

अर्थ - एक भी अच्छे वृक्ष से जिसमें सुन्दर फूल और गन्ध है ऐसे सब वन सुवासित हो जाता है, जैसे सुपुत्र से कुल ॥ १४ ॥

ēkēnāpisuvr̥kṣēṇapuṣpitēna sugandhinā ॥ 
vāsitaṁtadvanaṁsarvaṁ suputrēṇakulaṁyathā ॥ 14 ॥
Meaning - Even a single good tree, which has beautiful flowers and fragrance, makes the whole forest fragrant, just as a clan becomes blessed with a son.  14 ॥

एकेन शुष्कवृक्षेण दह्यमानेन वह्निना। दह्यते तद्वनं सर्वं कुपुत्रेण कुलं यथा ॥ 15।।

अर्थ - आग से जलते हुये एक ही सूखे वृक्ष से वह सब वन ऐसे जल जाता है जैसे कुपुत्र से कुल ॥१५॥

ēkēna śuṣkavr̥kṣēṇa dahyamānēna vahninā| dahyatē tadvanaṁ sarvaṁ kuputrēṇa kulaṁ yathā ॥ 

Meaning - A single dry tree burning with fire burns the entire forest like an entire forest is burnt by an evil son.
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 3 श्लोक- 11-15

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।