अथ प्रथमोऽध्याय:
atha prathamō’dhyāya:
दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः । ससर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव न संशयः ॥ ०१-०५ अर्थ - दुष्ट स्त्री, मूर्ख मित्र, उत्तर देने वाला दास, और जहाँ सर्प रहता है ऐसे घर में वास, ये मृत्यु स्वरूप ही हैं इसमें कोई संशय नहीं है ॥ ५ ॥ duṣṭā bhāryā śaṭhaṃ mitraṃ bhṛtyaścottaradāyakaḥ | sasarpe ca gṛhe vāso mṛtyureva na saṃśayaḥ ॥ 01-05 Meaning - An evil woman, a foolish friend, an answerable slave, and living in a house where a snake lives, these are forms of death, there is no doubt about it. ॥5॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, प्रथम अध्याय – श्लोक-03
आपदर्थे धनं रक्षेद्दारान् रक्षेद्धनैरपिरक्षेद्दारान् रक्षेद्धनैरपि । आत्मानं सततं रक्षेद्दारैरपि धनैरपि ॥ ०१-०६ अर्थ - आपात निवारण करने के लिये धन को बचाना चाहिये, धन से भी अधिक महत्वपूर्ण स्त्री की रक्षा करनी चाहिये। सब काल में स्त्री और संपत्ति आदि सभी से अपनी रक्षा करना उचित समझा गया है ॥ ६ ॥ āpadarthe dhanaṃ rakṣeddārān rakṣeddhanairapirakṣeddārān rakṣeddhanairapi | ātmānaṃ satataṃ rakṣeddārairapi dhanairapi ॥ 01-06 Meaning - To meet emergency, money should be saved; protecting women is more important than money. At all times it has been considered appropriate to protect oneself from women, property etc. 6॥
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।
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