चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ सप्तदशोऽध्याय प्रारंभः ॥ 17 ॥
atha saptadaśō’dhyāya prāraṁbhaḥ ॥ 17 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 17 श्लोक- 6-10
अशक्ततस्तु भवेत्साधुर्ब्रह्मचारीचनिर्धनः ॥ व्याधिष्टोदेवभक्तश्ववृद्धानारीपतिव्रता ॥ ६ ॥ अर्थ - शक्तिहीन साधु होता है, निर्धन ब्रह्मचारी, रोगग्रस्त देवता का भक्त होता है और वृद्ध स्त्री पतिव्रता होती है ॥ ६ ॥ aśaktatastu bhavētsādhurbrahmacārīcanirdhanaḥ ॥ vyādhiṣṭōdēvabhaktaśvavr̥ddhānārīpativratā ॥ 6 ॥ Meaning: A powerless person is a saint, a poor person is a celibate, a sick person is a devotee of a deity, and an old woman is a chaste woman. ।। 6 ॥ नान्नोदकसमंदानं नतिथिर्द्वादशीसमा ॥ नगायत्र्याःपरोमंत्रो नमातुर्दैवतंपरम् ॥ ७ ॥ अर्थ - अन्न जल के समान कोई दान नहीं है, न द्वादशी के समान तिथि, गायत्री से बढ़कर कोई मंत्र नहीं है न माता से बढ़कर कोई देवता है ॥ ७ ॥ nānnōdakasamaṁdānaṁ natithirdvādaśīsamā ॥ nagāyatryāḥparōmaṁtrō namāturdaivataṁparam ॥ 7 ॥ Meaning - There is no charity like food and water, no date like Dwadashi, no mantra greater than Gayatri, nor any god greater than Mother. ।। 7 ॥ तक्षकस्यविषंदंते मक्षिकायाविषंशिरेः ॥ वृश्चिकस्यविषंपुच्छे सर्वांगे दुर्जनोविषम् ॥८॥ अर्थ - सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में विष है, बिच्छू की पूंछ में विष है किंतु दुर्जन के सब अंगों में विष ही व्याप्त रहता है ॥ ८ ॥ takṣakasyaviṣaṁdaṁtē makṣikāyāviṣaṁśirēḥ ॥ vr̥ścikasyaviṣaṁpucchē sarvāṁgē durjanōviṣam ॥8॥ Meaning - There is poison in the teeth of a snake, there is poison in the head of a fly, there is poison in the tail of a scorpion, but poison is present in all the parts of the wicked. ।।8॥ पत्युराज्ञांविनानारी उपोस्यव्रताचारिणी ॥ आयुष्यांहरतेभर्तुःसानारीनरकंव्रजेत् ॥ 9 ॥ अर्थ - पति की आज्ञा बिना उपवास व्रत करने वाली स्त्री स्वामी की आयु को हरती है और वह स्त्री आप नरक में जाती है ॥ 9 ॥ patyurājñāṁvinānārī upōsyavratācāriṇī ॥ āyuṣyāṁharatēbhartuḥsānārīnarakaṁvrajēt ॥ 9 ॥ Meaning - A woman who fasts without her husband's permission loses her master's life and that woman herself goes to hell. 9॥. नदानःशुज्यतेनारी नोपवासशतैरपि ॥ नतीर्थसेवयातद्वद्भर्तुः पादोदकैर्यथा ॥ १० ॥ अर्थ - न दान से, न सैंकडों उपवासों से, न तीर्थ के सेवन से स्त्री वैसी शुद्ध होती है, जैसी स्वामी के चरणोदक से ॥ १० ॥ nadānaḥśujyatēnārī nōpavāsaśatairapi ॥ natīrthasēvayātadvadbhartuḥ pādōdakairyathā ॥ 10 ॥ Meaning - Neither by charity, nor by hundreds of fasts, nor by going on pilgrimage, a woman becomes as pure as by worshiping the Lord's feet. 10 ॥
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।
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