चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ सप्तदशोऽध्याय प्रारंभः ॥ 17 ॥

atha saptadaśō’dhyāya prāraṁbhaḥ ॥ 17 ॥

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 17   श्लोक-  1-5
पुस्तकप्रत्ययाधीतं नाधीतंगुरुसन्निधौ ॥ 
सभामध्येनशोभंते जारगर्भाइवस्त्रियः ॥ १ ॥

अर्थ - जिन्होंने  केवल पुस्तक के प्रतित से पढ़ा गुरू के निकट न पढ़ा वे सभा के बीच व्यभिचार से गर्भवाली स्त्रियों के समान नहीं शोभते ॥ १ ॥

pustakapratyayādhītaṁ nādhītaṁgurusannidhau ॥ 
sabhāmadhyēnaśōbhaṁtē jāragarbhāivastriyaḥ ॥ 1 ॥
Meaning - Those who read only from the copy of the book and did not study near the Guru, they do not look as good as women who are pregnant due to adultery in the gathering. 1॥

कृते प्रतिकृतिंकुर्याद्धिंसने प्रतिहिंसनम् ॥ 
तत्रदोषोनपततिदुष्टेदुष्टंसमाचरेत् ॥ २ ॥

अर्थ - उपकार करने पर प्रत्युपकार करना चाहिये और मारने पर मारना चाहिए। इसमें कोई अपराध नहीं होता। क्योंकि, दुष्टता करने पर दुष्टता का आचरण करना ही उचित होता है ॥ २ ॥

kr̥tē pratikr̥tiṁkuryāddhiṁsanē pratihiṁsanam ॥ 
tatradōṣōnapatatiduṣṭēduṣṭaṁsamācarēt ॥ 2 ॥

Meaning - When you do a favor, you should reciprocate and when you kill, you should kill. There is no crime in this. Because, when evil is done, it is appropriate to behave evilly. ।। 2॥
।। चाणक्यनीतिदर्पण।। 
।।17.2।।

यदूरं यद्दूराराध्यं यच्चदूरे व्यवस्थितम् ॥ 
तत्सर्वंतपसा साध्यंतपो हि दुरतिक्रमम् ॥ ३ ॥

अर्थ - जो दूर है जिसकी आराधना नहीं हो सकती और जो दूर वर्तमान है वे सब तप से सिद्ध हो सकते हैं इस कारण सबसे प्रबल तप है ॥ ३ ॥

yadūraṁ yaddūrārādhyaṁ yaccadūrē vyavasthitam ॥ 
tatsarvaṁtapasā sādhyaṁtapō hi duratikramam ॥ 3 ॥

Meaning - Whatever is far away which cannot be worshiped and whatever is present far away can be accomplished through penance, hence penance is the most powerful. ।।3॥

लोभश्वेदगुणेनकिंपिशुनतायद्यस्तिकिंपातकैः
सत्यंचेत्तपसा चकिंशुचिमनोयद्यस्तितीर्थेनकिम् 
सौजन्यंयदिकिंगुणैः सुमहिमायद्यस्तिकिं मंडनैः सद्भिद्यायदिकिंधनैरपयशोयद्यस्तिकिं मृत्युना ॥ ४ ॥

अर्थ - यदि लोभ है तो दूसरे दोष से क्या यदि चुगली है तो और पापों से क्या, यदि मन में सत्यता है तो तपसे क्या । यदि मन स्वच्छ है तो तीर्थ से क्या, यदि सज्जनता है तो दूसरे गुण से क्या, यदि महिमा है तो भूषणों से क्या, यदि अच्छी विद्या है तो धन से क्या, और यदि अपयश है तो मृत्यु से क्या ॥ ४ ॥

lōbhaśvēdaguṇēnakiṁpiśunatāyadyastikiṁpātakaiḥ
satyaṁcēttapasā cakiṁśucimanōyadyastitīrthēnakim 
saujanyaṁyadikiṁguṇaiḥ sumahimāyadyastikiṁ maṁḍanaiḥ sadbhidyāyadikiṁdhanairapayaśōyadyastikiṁ mr̥tyunā ॥ 4 ॥

Meaning - If there is greed then what about other vices, if there is backbiting then what about other sins, if there is truth in the mind then what about penance. If the mind is clean then what about pilgrimage, if there is nobility then what about other qualities, if there is glory then what about jewellery, if there is good knowledge then what about wealth, and if there is infamy then what about death. 4॥

पितारत्नाकरोयस्यलक्ष्मीर्यस्यसहोदरी ॥ 
संखोभिक्षाटनं कुर्यान्नदत्तमुपतिष्ठते ॥ ५ ॥

अर्थ - जिसका पिता रत्नों की खान समुद्र है, लक्ष्मी जिसकी बहिन, ऐसा शंख भीख मांगता है सच है बिना दिये कुछ नहीं मिलता ॥ ५ ॥

pitāratnākarōyasyalakṣmīryasyasahōdarī ॥ 
saṁkhōbhikṣāṭanaṁ kuryānnadattamupatiṣṭhatē ॥ 5 ॥

Meaning - Whose father is the ocean, the mine of gems, whose sister is Lakshmi, such a conch begs, it is true that one does not get anything without giving. ।।5॥

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।