चाणक्यनीतिदर्पण –चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
चाणक्यनीतिदर्पण –नीतिशास्त्रसूत्र: This title combines the Sanskrit words “नीतिशास्त्र” (ethics) and “सूत्र” (aphorism) to create a title that suggests that the Chanakya Nitidarpana is a collection of aphorisms on ethical conduct.

अथ षोड़शोऽध्यायः ॥ 16 ॥

atha ṣōḍa़śō’dhyāyaḥ ॥ 16 ॥

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 16   श्लोक-  16-20
वरंप्राणपरित्यागो मानभंगेनजीवनात् ॥ 
प्राणत्यागेक्षणंदुःखं मानभंगेदिनेदिने ॥१६॥

अर्थ - मान भंग पूर्वक जीने से प्राण का त्याग श्रेष्ठ है। प्राण त्याग के समय क्षण भर दुःख होता है मान के नाश होने पर दिन दिन ॥ १६ ॥

varaṁprāṇaparityāgō mānabhaṁgēnajīvanāt ॥ 
prāṇatyāgēkṣaṇaṁduḥkhaṁ mānabhaṁgēdinēdinē ॥16॥

Meaning: Sacrifice of life is better than living a life of dishonor. At the time of sacrificing one's life, one feels sad for a moment and day after day when one's honor is destroyed. 16 ॥

प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वेतुष्यंतिजन्तवः ॥ 
तस्मात्तदेववक्तव्यं वचने का दरिद्रता ॥ १७ ॥

अर्थ - मधुर वचन के बोलने से सब जीव संतुष्ट होते हैं, इस कारण उसी का बोलना योग्य है, वचन में दरिद्रता क्या ॥ १७ ॥

priyavākyapradānēna sarvētuṣyaṁtijantavaḥ ॥ 
tasmāttadēvavaktavyaṁ vacanē kā daridratā ॥ 17 ॥

Meaning - All living beings are satisfied by speaking sweet words, that is why it is worth speaking, there is no poverty in words.  ।। 17 ॥

संसारकूटवृक्षस्य द्वेफलेअमृतोपमे ॥ 
सुभाषितंचसुस्वादुसंगतिः सुजनेजने ॥ १८ ॥

अर्थ - संसार रूप कूट वृक्ष के दो ही फल हैं,  रसयुक्त प्रियवचन और सज्जन के साथ संगति ॥ १८॥

saṁsārakūṭavr̥kṣasya dvēphalēamr̥tōpamē ॥ 
subhāṣitaṁcasusvādusaṁgatiḥ sujanējanē ॥ 18 ॥

Meaning - The worldly form of Koota tree has only two fruits, sweet words and company with good people. ।।18॥

बहुजन्मसुचाभ्यस्तंदानमध्ययनंतपः ॥ 
तेनैवाभ्यासयोगेनदेहमीचा क्ष्यस्यतेपुनः॥१९

अर्थ - जो जन्म जन्म दान, पढना, तप, इनका अभ्यास किया जाता है, उस अभ्यास के योग से देह का अभ्यास फिर फिर करता है ॥ १९ ॥

bahujanmasucābhyastaṁdānamadhyayanaṁtapaḥ ॥ 
tēnaivābhyāsayōgēnadēhamīcā kṣyasyatēpunaḥ॥19 ॥

Meaning - The body is practiced again and again due to the practice of charity, study, penance etc. in every birth. 19 ॥

पुस्तकेषुचयाविद्या परहस्तेषुयद्धनम् ॥ 
उत्पन्नेषुचकार्येषु नसा विद्यांनतद्धनम् ॥२०॥
अर्थ - जो विद्या पुस्तकों में रहती है और दूसरों के हाथों में जो धन रहता है, काम पड़ जाने पर न विद्या है न वह धन काम आता  है ॥

pustakēṣucayāvidyā parahastēṣuyaddhanam ॥ 
utpannēṣucakāryēṣu nasā vidyāṁnataddhanam ॥20॥

Meaning - The knowledge that remains in books and the money that remains in the hands of others, when needed, is neither knowledge nor that money is of any use.
इतिवृद्धचाणक्ये पोडशोऽध्यायः ॥ १६ ॥
itivr̥ddhacāṇakyē pōḍaśō’dhyāyaḥ ॥ 16 ॥

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।