चाणक्यनीतिदर्पण –चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
चाणक्यनीतिदर्पण –नीतिशास्त्रदीप: This title combines the Sanskrit words “नीतिशास्त्र” (ethics) and “दीप” (lamp) to create a title that suggests that the Chanakya Nitidarpana is a lamp that illuminates the path of ethical conduct.

अथ षोड़शोऽध्यायः ॥ 16 ॥

atha ṣōḍa़śō’dhyāyaḥ ॥ 16 ॥

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 16   श्लोक-  16-20
अतिक्लेशेनयेअर्था धर्मस्यातिक्रमेणतु ॥ 
शत्रूणांप्रणिपातनयेअर्थामाभवंतुमे ॥ ११ ॥
अर्थ - अत्यंत पीडा से, धर्म के त्याग से और वैरियों की प्रणति से जो धन प्राप्ति होती है सो मुझको न हो ॥११॥

atiklēśēnayēarthā dharmasyātikramēṇatu ॥ 
śatrūṇāṁpraṇipātanayēarthāmābhavaṁtumē ॥ 11 ॥

Meaning - I should not get the wealth that comes through extreme pain, sacrifice of religion and the influence of enemies. ॥11॥

किंतयाक्रियतेलक्ष्म्या यावधरिवकेवला ॥ 
यातुवेश्येवसामान्या पथिकैरपिभुज्यते ॥१२॥

अर्थ - उस संपत्ति से लोग क्या कर सकते हैं जो वधू के समान असाधारण है। जो वेश्या के समान सर्व साधारण हो वह पथिकों के भी उपयोग में आ सकती है॥१२॥

kiṁtayākriyatēlakṣmyā yāvadharivakēvalā ॥ 
yātuvēśyēvasāmānyā pathikairapibhujyatē ॥12॥

Meaning – What can people do with the wealth that is as extraordinary as the bride. The one who is as ordinary as a prostitute can be enjoyed even by the pilgrims. ॥12॥

धनेषुजीवितव्येषु स्त्रीषुचाहारकर्मसु ॥ 
अतृप्ताःप्राणिनः सर्वे यातायास्यंतियांतिच। १३।

अर्थ - धन में, जीवन में, स्त्रियों में और भोजन में अतृप्त होकर सब प्राणि गये और जायेंगे ॥ १३ ॥

dhanēṣujīvitavyēṣu strīṣucāhārakarmasu ॥ 
atr̥ptāḥprāṇinaḥ sarvē yātāyāsyaṁtiyāṁtica| 13|

Meaning: All beings have gone and will go, being unsatisfied with money, life, women and food. 13 ॥

क्षीयंतेसर्वदानानि-यज्ञहोमबलिक्रियाः 
नक्षीयतेपात्रदानमभयंसर्वदेहिनाम् ॥ १४ ॥ ॥

अर्थ - सब दान, यज्ञ, होम, बलि ये सब नष्ट हो जाते हैं, सत्पात्र को दान और सब जीवों को अभय दान ये क्षीण नहीं होते ॥ १४ ॥

kṣīyaṁtēsarvadānāni-yajñahōmabalikriyāḥ 
nakṣīyatēpātradānamabhayaṁsarvadēhinām ॥ 14 ॥

Meaning - All donations, Yagya, Homa, Sacrifice, all these get destroyed, donation to the deserving person and donation of fearlessness to all living beings do not diminish. ।। 14 ॥

तृणंलघुतृणात्तूलं तूलादपिचयाचकः ॥ 
वायुनार्किननीतोऽसौ मामयंयाचयिष्यति।१५।

अर्थ - तृण सबसे लघु होता है। तृण से रुई हल्की होती है। रुई से भी याचक, तो उसे वायु क्यों नहीं उडा ले जाती? वह समझती है कि यह मुझसे भी मांँगेगा ॥ १५ ॥

tr̥ṇaṁlaghutr̥ṇāttūlaṁ tūlādapicayācakaḥ ॥ 
vāyunārkinanītō’sau māmayaṁyācayiṣyati. ।।15।।

Meaning: The grass is the smallest. Cotton is lighter than straw. Even if it is better than cotton, why doesn't the wind blow it away? She thinks that he will ask for this from me too. ।।15.।।

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।