चाणक्यनीतिदर्पण –चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
चाणक्यनीतिदर्पण –नीतिमार्गदर्शक: This title combines the Sanskrit words “नीति” (ethics) and “मार्गदर्शक” (guide) to create a title that suggests that the Chanakya Nitidarpana is a guide to ethical conduct.

अथ षोड़शोऽध्यायः ॥ 16 ॥

atha ṣōḍa़śō’dhyāyaḥ ॥ 16 ॥

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 16   श्लोक-  6-10
गुणैरुत्तमतां यांतिनोच्चैरासनस
ंस्थिताः ॥ 
प्रसादशिखरस्थोऽपिकाकः किंगरुडायते ॥

प्राणी गुणों से उत्तमत्ता पाता है ऊंचे आसन पर बैठकर नहीं, कोठों के ऊपर के भाग में बैठा कौआ क्या गरुड़ हो जाता है ॥ ६ ॥

guṇairuttamatāṁ yāṁtinōccairāsanasa
ṁsthitāḥ ॥ 
prasādaśikharasthō’pikākaḥ kiṁgaruḍāyatē ॥

A living being does not achieve excellence by virtue of his qualities, but by sitting on a high seat, does a crow sitting on the upper part of a house become an eagle? 6॥

गुणाः सर्वत्रपूज्यंतेन महत्योऽपिसंपदः ॥ 
पूर्णेन्दुःकिंतथावंद्योनिष्कलंकोयथाक्कृशः॥७॥

अर्थ - सब स्थानों में गुण पूजे जाते हैं बड़ी संपति नहीं, पूर्णिमा का पूर्ण भी चंद्रमा क्या वैसा बंदित होता है जैसा बिना कलंक के द्वितीया का दुर्बल भी ॥७॥

guṇāḥ sarvatrapūjyaṁtēna mahatyō’pisaṁpadaḥ ॥ 
pūrṇēnduḥkiṁtathāvaṁdyōniṣkalaṁkōyathākkr̥śaḥ॥7॥
Meaning - Virtues are worshiped everywhere, there is no great wealth, is even the full moon of the full moon as closed as the weak of the second day without any blemish? ॥7॥

परस्तुतगुणोयस्तुनिर्गुणोपिगुणीभवेत् ॥ 
इंद्रो ऽपिलघुतांया तिस्वयंप्रख्यापितैर्गुणैः ॥८॥

अर्थ - जिसके गुणों को दूसरे लोग वर्णन करते हैं वह निर्गुण हो तो भी गुणवान् कहा जाता है, इन्द्र भी यदि अपने गुणों की आप प्रशंसा करे तो उससे लघुता पाता है ॥ ८ ॥
parastutaguṇōyastunirguṇōpiguṇībhavēt ॥ 
iṁdrō ’pilaghutāṁyā tisvayaṁprakhyāpitairguṇaiḥ ॥8॥

Meaning - A person whose qualities are described by others is said to be virtuous even if he has no qualities. Even Indra, if you praise his qualities, is considered inferior to him. 8॥

विवेकिनमनुप्राप्ता गुणाषांतिमनोज्ञताम् ॥ 
सुतरांरत्नमाभातिचामीकरनियोजितम् ॥९॥

अर्थ - विवेकी को पाकर गुण सुंदरता पाते हैं जब रत्न सोने में जड़ा जाता है तब अत्यंत सुंदर दीख पड़ता है॥९॥

vivēkinamanuprāptā guṇāṣāṁtimanōjñatām ॥ 
sutarāṁratnamābhāticāmīkaraniyōjitam ॥9॥

Meaning - By having a wise person, qualities get beauty. When a gem is set in gold then it looks very beautiful.॥9॥

गुणैः सर्वज्ञतुल्योऽपि स्रीदत्येकोनिराश्रयः ॥ 
अनर्घ्यमपिमाणिक्यं हेमाश्रयमपेक्षते ॥१०॥

अर्थ - गुणों से ईश्वर के सदृश भी निरालंब अकेला पुरुष दुख पाता है। अमोल भी माणिक्य सोना के आलंब की अर्थात् उसमें जडे जाने की अपेक्षा करता है ॥ १० ॥

guṇaiḥ sarvajñatulyō’pi srīdatyēkōnirāśrayaḥ ॥ 
anarghyamapimāṇikyaṁ hēmāśrayamapēkṣatē ॥10॥
Meaning: A lonely man, even though he is like God in qualities, suffers sorrow. Amol also expects the support of ruby and gold i.e. to be embedded in it. 10 ॥

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।