चाणक्यनीतिदर्पण –चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
चाणक्यनीतिदर्पण –कौशल्यप्रकाश: This title combines the Sanskrit words “कौशल्य” (skill) and “प्रकाश” (light) to create a title that suggests that the Chanakya Nitidarpana is a light that illuminates the path to mastery of skills.

अथ षोड़शोऽध्यायः ॥ 16 ॥

atha ṣōḍa़śō’dhyāyaḥ ॥ 16 ॥

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 16   श्लोक-  1-5
१
'नध्यातंपदमीश्वरस्यविधिवत्संसारविच्छित्तये स्वर्गद्वारकपाटपाटनपटुर्धर्मोऽपिनोपार्जितः॥
नारीपीनपयोधरोरुयुगुलं स्वमेपिनालिंगितं मातुः केवलमेवयौवनवनच्छेदेकुठारावयम् 

अर्थ - संसार से मुक्त होने के लिये विधिवत ईश्वर के 'पद का ध्यान’ 'मुझसे न हुआ’ स्वर्ग द्वार के कपाट के तोडने में समर्थ ‘धर्म' का भी अर्जन 'न' किया। और स्त्री के 'दोनों’ पीन स्तन और जंघाओं को ऑलिंगन स्वप्न में 'भी न किया' मैं माता के युवापन रूपी वृक्ष के केवल काटने ‘मैं’  तुम्हारी उत्पन्न हुआ।॥ १ ॥

1
'nadhyātaṁpadamīśvarasyavidhivatsaṁsāravicchittayē svargadvārakapāṭapāṭanapaṭurdharmō’pinōpārjitaḥ॥
nārīpīnapayōdharōruyugulaṁ svamēpināliṁgitaṁ mātuḥ kēvalamēvayauvanavanacchēdēkuṭhārāvayam.

Meaning - In order to be free from the world, I did not 'meditate' on the word of God properly and did not even acquire 'religion' capable of breaking the doors of heaven. And I didn't even embrace both the breasts and thighs of a woman in my dreams. I was born as a mere cutting of the tree of mother's youth. ।। 1 ।।

जल्पतिसार्द्धमन्येन पश्येत्यन्यंसविश्नमाः ॥ 
'इदये चिंतयंत्यन्यंन स्त्रीणामेकत्तोरतिः ॥ २ ॥

अर्थ - भाषण दूसरे के साथ करती हैं, दूसरे को विलास से देखती है और हृदय में दूसरे ही की चिन्ता करती हैं स्त्रियों की प्रीति एक में नहीं रहती ॥2॥ 

jalpatisārddhamanyēna paśyētyanyaṁsaviśnamāḥ ॥ 
'idayē ciṁtayaṁtyanyaṁna strīṇāmēkattōratiḥ ॥ 2 ॥

Meaning - She talks with others, looks at others with luxury and cares for others only in her heart. Women's love does not remain limited to one person. ॥2॥

योमोहान्मन्यते मूढोर क्तेयंमयिकामिनी ॥ 
सतस्यावशगोमूत्वा नृत्प्रेत्क्रीडाशकुंतवत् ॥३॥
अर्थ - जो मूर्ख अविवेक से समझता है कि, यह कामिनी मेरे ऊपर प्रेम करती है वह उसके वश होकर खेल के पक्षी के समान नाचा करता है ॥३॥

yōmōhānmanyatē mūḍhōra ktēyaṁmayikāminī ॥ 
satasyāvaśagōmūtvā nr̥tprētkrīḍāśakuṁtavat ॥3॥

Meaning - The fool who unwisely thinks that this woman is in love with him, falls under her influence and dances like a bird at play.॥3॥

कोऽर्थान्प्राप्यनगर्वितो विषयिणः कस्यापदो ऽस्तंगताः 
स्त्रीभिः कस्यनखंडितंभु विमनः को नामराजप्रियः ॥ 
कःकालस्पनगोचरत्वमग मत्को ऽर्थीग तो गौरवं 
कोवा दुर्जनदुर्गुणेषुपतितः क्षामेणयातः पथि ॥४॥

अर्थ - धन पाकर गर्वी कौन न हुआ, किस विषयी की विपत्ती नष्ट हुई, पृथ्वी में किस के मन को स्त्रियों ने खण्डित न किया, राजा को प्रिय कौन हुआ, काल के वश कौन नहीं हुआ, किस याचक ने गुरुता पाई, दुष्ट की दुष्टता में पड़कर संसार के पंथ में करालता से कौन गया ॥ ४ ॥

kō’rthānprāpyanagarvitō viṣayiṇaḥ kasyāpadō ’staṁgatāḥ 
strībhiḥ kasyanakhaṁḍitaṁbhu vimanaḥ kō nāmarājapriyaḥ ॥ 
kaḥkālaspanagōcaratvamaga matkō ’rthīga tō gauravaṁ 
kōvā durjanadurguṇēṣupatitaḥ kṣāmēṇayātaḥ pathi ॥4॥

Meaning - Who did not become proud after getting wealth, which subject's calamity was destroyed, whose mind on earth was not broken by women, who was loved by the king, who did not fall under the influence of time, which beggar attained mastery, the wickedness of the wicked. Who has fallen into the world's religion out of greed? 4॥

ननिर्मिता केन नदृष्टपूर्वा नश्रूयते हेममयी कुरंगी ॥ 
तथा पितृष्णा रघुनंदनस्य विनाश काले विपरीतबुद्धिः ॥ ५॥

अर्थ - सोने की मृगी न पहले किसी ने रची, न देखी और न किसी को सुन पड़ती है तैसी रघुनंदन की तृष्णा उस पर हुई। विनाश के समय बुद्धि विपरीत हो जाती है ॥५॥

nanirmitā kēna nadr̥ṣṭapūrvā naśrūyatē hēmamayī kuraṁgī ॥ 
tathā pitr̥ṣṇā raghunaṁdanasya vināśa kālē viparītabuddhiḥ ॥ 5॥

Meaning - A golden deer has never been created before by anyone, nor has it been seen by anyone and no one has even heard of it. Raghunandan's desire was aroused for it. At the time of destruction the intellect becomes opposite.

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।