चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ चतुर्दशोऽध्यायः ॥ 14 ॥
atha caturdaśō’dhyāyaḥ ॥ 14 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 14 श्लोक- 1-5
पृथिव्यात्रीणिरत्नानिजलमन्नंसुभाषितम् ॥ मूढ़ै:पाषाणखंडेषुरत्नसंज्ञाभिधीयते ॥ १ ॥ अर्थ - पृथ्वी में जल, अन्न और प्रिय वचन ये तीन ही रत्न हैं। मूढ़ों ने पाषाण के टुकड़ों को में रत्न की गिनती की है ॥ १ ॥ pr̥thivyātrīṇiratnānijalamannaṁsubhāṣitam ॥ mūḍaiḥpāṣāṇakhaṁḍēpuratnasaṁkhyāvidhīyatē ॥ 1 ॥ Meaning - Water, food and loving words are the only three gems on earth. Fools have counted pieces of stone as gems. ।। 1 ।। आत्मापराधवृक्षस्यफलान्येतानिदेहिनाम् ॥ दारिद्र्यरोगदुःखानिबंधनव्यसनानिच ॥ २ ॥ अर्थ - जीवों को अपने अपराध रूप वृक्ष लगाने के दरिद्रता, रोग, दुःख, बंधन और विपत्ति ये फल प्राप्त होते हैं ॥2॥ ātmāparādhavr̥kṣasyaphalānyētānidēhinām ॥ dāridryarōgaduḥkhānibaṁdhanavyasanānica ॥ 2 ॥ Meaning - The living beings get the fruits of poverty, disease, sorrow, bondage and calamity due to their sins by planting trees. ॥2॥ पुनर्वित्तंपुनर्मित्रंपुनर्भार्यापुनर्मही ॥ एतत्सर्वपुनर्लभ्यंनशरीरंपुनः पुनः ॥ ३ ॥ अर्थ - धन, मित्र, स्त्री और पृथ्वी ये फिर मिलते हैं, परन्तु मनुष्य शरीर फिर फिर नहीं मिलता ॥ ३ ॥ punarvittaṁpunarmitraṁpunarbhāryāpunarmahī ॥ ētatsarvapunarlabhyaṁnaśarīraṁpunaḥ punaḥ ॥ 3 ॥ Meaning - Wealth, friends, women and earth are found again, but the human body is not found again. ।।3॥ बहूनाचैवसत्त्वानासमवायोरिपुंजयः ॥ वर्षांधाराधरोमेघस्तृणैरपिनिवार्यते ॥ ४ ॥ अर्थ - निश्चय है कि बहुत जनों का समुदाय शत्रु को जीत लेता है। तृण समूह भी वृष्टि की धारा के धरने वाले मेघ का निवारण करता है ॥ ४ ॥ bahūnācaivasattvānāsamavāyōripuṁjayaḥ ॥ varṣāṁdhārādharōmēghastr̥ṇairapinivāryatē ॥ 4 ॥ Meaning - It is certain that a community of many people conquers the enemy. The grass group also prevents clouds that hold back the rain stream. ।।4॥ जलेतैलंखलेगुह्यंपात्रेदानंमनागपि ॥ प्राज्ञेशास्त्रंस्वयंयातिविस्तारं बस्तुशक्तितः॥५॥ अर्थ - जल में तेल, दुर्जन में गुप्तवार्ता, सुपात्र में दान और बुद्धिमान में शास्त्र ये थोडे भी हों तो भी वस्तु की शक्ति से अपने अपने आपसे, विस्तार को प्राप्त हो जाते है ॥ ५ ॥ jalētailaṁkhalēguhyaṁpātrēdānaṁmanāgapi ॥ prājñēśāstraṁsvayaṁyātivistāraṁ bastuśaktitaḥ॥5॥ Meaning: Oil in water, secret talk in a wicked person, charity in a worthy person and scriptures in a wise person, even if they are few in number, they get expanded on their own by the power of things. ।।5॥
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।
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