चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ त्रयोदशोऽध्यायः ॥ 13 ॥
atha trayōdaśō’dhyāyaḥ ॥ 13 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 13 श्लोक- 6-10
यस्यस्नेहो भयंतस्यस्नेहोदुःखस्यभाजनं ॥ स्नेहमूलानिदुखानितानित्यक्त्वावसेत्सुखम्॥ 6 ॥ अर्थ - जिसको किसी में प्रीति रहती है उसी को भय होता है। स्नेह ही दुःख का भाजन है, और सब दुःख का कारण स्नेह (आसक्ति) ही है। इस कारण उसे छोड़कर सुखी होना उचित है ॥ ६ ॥ yasyasnēhō bhayaṁtasyasnēhōduḥkhasyabhājanaṁ ॥ snēhamūlānidukhānitānityaktvāvasētsukham॥ 6 ॥ Meaning - The one who has love for someone has fear. Affection is the food of sorrow, and the cause of all sorrow is affection (attachment). For this reason it is better to leave him and be happy. ।। 6॥ अनागतविधाताचप्रत्युत्पन्नमतिस्तथा ॥ द्वावेतौसुखमेधेतेयद्भविष्योविनश्यति ॥ ७ ॥ अर्थ - आने वाले दुःख के पहले से उपाय करने वाला और जिसकी बुद्धि में विपत्ति आ जाने पर शीघ्र ही उपाय भी आ जाता है, ये दोनों सुख से बढ़ते हैं। और जो सोचता है कि, भाग्यवश से जो होने-वाला है सो अवश्य होगा, तो वह निश्चय ही विनाश को प्राप्त हो जाता है ॥७॥ anāgatavidhātācapratyutpannamatistathā ॥ dvāvētausukhamēdhētēyadbhaviṣyōvinaśyati ॥ 7 ॥ Meaning - The one who foresees the coming sorrow and the one who quickly comes to the solution when a calamity comes to his mind, both of them grow in happiness. And one who thinks that whatever is going to happen due to luck will definitely happen, then he definitely gets destroyed. ।।7॥ राज्ञिधर्मिणिधर्मिष्टाःपापेपापाःसमेसमाः ॥ राजानमनुवर्तन्तेयथाराजातथाप्रजाः ॥ ८ ॥ अर्थ - यदि धर्मात्मा राजा हो तो प्रजा भी धर्मनिष्ठ होती है। यदि पापी हो तो पापी होती है। सब प्रजा राजा के अनुसार चलती है। जैसा राजा वैसी प्रजा भी होती है ॥ ८ ॥ rājñidharmiṇidharmiṣṭāḥpāpēpāpāḥsamēsamāḥ ॥ rājānamanuvartantēyathārājātathāprajāḥ ॥ 8 ॥ Meaning - If there is a righteous king then the people or citizens also become religious. If she is a sinner, she is a sinner. All the citizens obey the king. Like the king, so are the citizens. 8॥ जीवन्तंमृतन्मन्येदेहिनंधर्मबाजतम् ॥ मृतेोधर्मैणसंयुक्तोदीर्घजीवीन संशयः ॥ ९ ॥ अर्थ - धर्म रहित जीते को मृतक के समान समझता हूंँ। निश्चय है कि, धर्मयुक्त मरा भी पुरुष चिरंजीवी ही है।9। jīvantaṁmr̥tanmanyēdēhinaṁdharmabājatam ॥ mr̥tēōdharmaiṇasaṁyuktōdīrghajīvīna saṁśayaḥ ॥ 9 ॥ Meaning - I consider the living without religion as the dead. It is certain that even a righteous man who dies is still alive. ।। 9.।। धर्मार्थकाममोक्षाणांयस्यकोऽपिनविद्यते ॥ अजागलस्तन स्पेवतस्यजन्मनिरर्थकम् ॥ १० ॥ अर्थ - धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इनमें से जिसको एक भी नहीं रहता, बकरी के गल के स्तन के समान उसका जन्म निरर्थक है ॥ १० ॥ dharmārthakāmamōkṣāṇāṁyasyakō’pinavidyatē ॥ ajāgalastana spēvatasyajanmanirarthakam ॥ 10 ॥ Meaning - The one who does not have any one of these, Dharma, Artha, Kama, Moksha, his birth is as meaningless as the breast of a goat's neck. 10 ॥
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।
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