चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों  के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं  रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

अथ त्रयोदशोऽध्यायः ॥ 13 ॥

atha trayōdaśō’dhyāyaḥ ॥ 13 ॥

ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण,  रचनाकार – आचार्य चाणक्य,   अध्याय – 13   श्लोक-  1-5

मुहूर्तमपिजीवच्चनरःशुक्लेनकर्मणा ॥ 
'नकल्पमपिकष्टेन लोकद्वयविरोधिना ॥ १ ॥

अर्थ - उत्तम कर्म से मनुष्यों को मुहर्त भर का जीना भी श्रेष्ठ है दोनों लोकों के विरोधी दुष्टकर्म से कल्प भर का भी जीना उत्तम नहीं है ॥ १ ॥

muhūrtamapijīvaccanaraḥśuklēnakarmaṇā ॥ 
'nakalpamapikaṣṭēna lōkadvayavirōdhinā ॥ 1 ॥

Meaning - It is better for humans to live even for a moment by doing good deeds; it is not better to live even for a Kalpa by doing bad deeds opposing the two worlds.  1॥

गतेशोकोनकर्तव्योभविष्यंनैवचिंतयेत् ॥ 
वर्तमानेनकालेनप्रवर्तन्तेविचक्षणाः ॥ २ ॥

अर्थ -  गई वस्तु का शोक और भावी की चिंता नहीं करनी चाहिये, कुशल लोग वर्तमान काल के अनुरोध से प्रवृत होते हैं ॥ २ ॥

gatēśōkōnakartavyōbhaviṣyaṁnaivaciṁtayēt ॥ 
vartamānēnakālēnapravartantēvicakṣaṇāḥ ॥ 2 ॥

Meaning - One should not mourn for the past and worry about the future, skilled people are inclined towards the demands of the present.  2॥

स्वभावेनहितुष्यंतिदेवाःसत्पुरुषाः पिता ॥ 
ज्ञातयःस्नान पानाभ्यांवाक्यदानेनपंडिताः॥३॥

अर्थ - निश्चय यह है कि, देवता, सत्पुरुष और पिता ये प्रकृति से संतुष्ट होते हैं पर बन्धु, स्नान और पान से और पण्डित प्रिय वचन से संतुष्ट होते हैं ॥ ३ ॥

svabhāvēnahituṣyaṁtidēvāḥsatpuruṣāḥ pitā ॥ 
jñātayaḥsnāna pānābhyāṁvākyadānēnapaṁḍitāḥ॥3॥

Meaning - It is certain that gods( The habitats of the heaven or swarga called devta), good men and fathers are satisfied with nature, but brothers are satisfied with bathing and drinking water and scholars are satisfied with their beloved words.  3॥

आयुःकर्मचवित्तंचाविद्यानिधनमेवच ॥ 
पंचेतानिचसृज्यंते गर्भस्थस्यैवदेहिनः ॥ ४ ॥

अर्थ - आयुर्दाय, कर्म, विद्या धन और मरण ये पांच जब जीव गर्भ में रहता है उसी समय सिरजे जाते हैं ॥ ४ ॥

āyuḥkarmacavittaṁcāvidyānidhanamēvaca ॥ 
paṁcētānicasr̥jyaṁtē garbhasthasyaivadēhinaḥ ॥ 4 ॥

Meaning - Aayu, Karma, Knowledge, Wealth and Death, these five are created when the living being is in the womb. ।। 4॥

अहोवतविचित्राणिचरितानिमहात्मनाम् ।। 
लक्ष्मीतृणायमन्यन्तेतद्गारेणन मंत्तिच ॥ ५ ॥ 
अर्थ - आश्चर्य है, कि, महात्माओं के विचित्र चरित्र हैं।  लक्ष्मी को तृण समान मानते हैं। यदि मिल जाती है तो उसके भार से नम्र हो जाते हैं ॥ 5 ॥

ahōvatavicitrāṇicaritānimahātmanām ॥ 
lakṣmītr̥ṇāyamanyantētadgārēṇana maṁttica ॥ 5 ॥

Meaning - It is surprising that the Mahatmas have strange characters. Lakshmi is considered equal to grass. If we get it, we become humbled by its weight. 5॥

चाणक्य की प्रसिद्धि : 

ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति,  चाणक्य नीति की 10 बातें,  चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें,  चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है । 

चाणक्य का कालातीत प्रभाव  :

हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन‌ के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।

About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :

 चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है।  राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।