चाणक्य नीति दर्पण मूलत: संस्कृत (Sanskrit) में संस्कृत सुभाषितों के रूप में, काव्यात्मक एवं श्लोकों के रूप में लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके रचनाकार आचार्य चाणक्य हैं। उनके ये संस्कृत श्लोक चाणक्य नीति के नाम से संसार भर में प्रसिद्ध हैं। यहां पर यह श्लोक देवनागरी लिपि एवं रोमन लिपि में भी दिए गए हैं एवं उनके अर्थ हिंदी देवनागरी एवं अंग्रेजी में रोमन लिपि में भी दिये गये हैं। जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय जो देवनागरी से परिचित नहीं हैं सनातन ग्रंथों के ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
अथ तृतीयोऽध्यायः ॥ 3 ॥
atha tr̥tīyō’dhyāyaḥ ॥ 3 ॥
एकेनापि सुपुत्रेणविद्यायुक्तेन साधुना ॥ आल्हादितं कुलं सर्वंयथा चंद्रेणशर्वरी ॥१६॥ अर्थ - विद्यायुक्त भला एक भी सुपुत्र से सारा कुल ऐसे आनंदित हो जाता है जैसे चंद्रमा से रात्रि ॥१६॥ ēkēnāpi suputrēṇavidyāyuktēna sādhunā ॥ ālhāditaṁ kulaṁ sarvaṁyathā caṁdrēṇaśarvarī ॥16॥ Meaning - Even if one son is knowledgeable, the entire clan becomes as happy as the moon makes the night ॥16॥ ekēnāpi किंजातैर्बहुभिः पुत्रैः शोकसंतापकारकैः ॥ वरमेकः कुलालंबी यत्रविश्राम्यतेकुलम्॥१७॥ अर्थ - शोक संताप करने वाले उत्पन्न बहुपुत्रों से क्या ? कुल को सहारा देने वाला एक ही पुत्र श्रेष्ठ है जिसमें कुल विश्राम पाता है॥ १७ ॥ kiṁjātairbahubhiḥ putraiḥ śōkasaṁtāpakārakaiḥ ॥ varamēkaḥ kulālaṁbī yatraviśrāmyatēkulam॥17॥ Meaning: What about the many sons born to mourners? Only one son who supports the family is the best and in whom the family finds rest. 17 ॥ लालयेत्पञ्चवर्षाणिदशवर्षाणिताड्येत् ॥ प्राप्तेतुषोड्शेवर्षेपुत्रेमित्रत्वमाचरेत् ॥ १८ ॥ अर्थ - पुत्र को पांच वर्ष तक दुलारें, उपरांत दश वर्ष पर्यंत ताड़न करें(अर्थात आवश्यकता पड़ने पर उसे कठोरता से भी शिक्षा दें), सोलहवें वर्ष की प्राप्ति होने पर पुत्र में मित्र समान आचरण करें ॥ १८ ॥ lālayētpañcavarṣāṇidaśavarṣāṇitāḍyēt ॥ prāptētuṣōḍśēvarṣēputrēmitratvamācarēt ॥ 18 ॥ Meaning - Cherish your son for five years, after that, chastise him for ten years (that is, teach him harshly if necessary), behave like a friend when the son attains the age of sixteen. 18 ॥ उपसर्गेऽन्यचक्रैचदुर्भिक्षेचभयावहे ॥ असाधुजनसंपर्केयःपलातिसजीवति ॥१९॥ अर्थ - उपद्रव उठने पर, शत्रु के आक्रमण करने पर, भयानक अकाल पडने पर और खल जन के संग होने पर जो भागता है वह जीवित रहता है ॥ १९ ॥ upasargē’nyacakraicadurbhikṣēcabhayāvahē ॥ asādhujanasaṁparkēyaḥpalātisajīvati ॥19॥ Meaning - The one who runs away when trouble arises, when the enemy attacks, when there is a terrible famine and when he is in the company of evil people, remains alive. ।।19 ॥ धर्मार्थकाममोक्षेषुयस्यकोऽपिनविद्यते । जन्मजन्मनि मर्येषु मरणंतस्य केवलम् ॥२०॥ अर्थ - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इनमें से जिसको कोई भी उपलब्ध या सिद्ध न हुआ हो उसको मनुष्यों में जन्म लेने का फल केवल मरण ही हुआ ॥ २० ॥ dharmārthakāmamōkṣēṣuyasyakō’pinavidyatē | janmajanmani maryēṣu maraṇaṁtasya kēvalam ॥20॥ Meaning - For the one who has not achieved or achieved any of these - Dharma, Artha, Kama and Moksha, the only result of being born among humans is death. ।। 20 ॥
ग्रन्थ का नाम : चाणक्यनीतिदर्पण, रचनाकार – आचार्य चाणक्य, अध्याय – 3 श्लोक-16-20
चाणक्य की प्रसिद्धि :
ये संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य के द्वारा रचित हैं। उनका नाम कौटिल्य एवं विष्णुगुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। उनकी रचनाएँ Chanakya सूत्र, chanakya niti, chanakya ni pothi, chanakya quotes, chanakya niti in hindi, chanakya quotes in hindi, चाणक्य, चाणक्य नीति, चाणक्य नीति की 10 बातें, चाणक्य नीति की बातें, चाणक्य के कड़वे वचन, चाणक्य नीति स्त्री, चाणक्य नीति की 100 बातें, चाणक्य विचार इन हिंदी, चाणक्य नीति सुविचार, चाणक्य नीति जीवन जीने की, सुविचार चाणक्य के कड़वे वचन, sanskrit shlok, shlok,sanskrit, sanskrit shlok,sanskrit quotes,shlok in sanskrit, sanskrit thought, sanskrit slokas,संस्कृत श्लोक,श्लोक,छोटे संस्कृत श्लोक, आदि के रूप में चर्चित एवं प्रसिद्ध है ।
चाणक्य का कालातीत प्रभाव :
हजारों वर्षों के उपरांत भी उनमें वही ताजगी और उपयोगिता है। अतः वे आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं जितने वे तब थे जब वे लिखे गये थे। संस्कृत में रचित होने के कारण उनमें कालांतर के प्रभाव को स्पष्टतः नहीं देखा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा का सर्वश्रेष्ठ व्याकरण उसके अस्तित्व एवं गुणवत्ता के साथ ही उसके प्रभाव कि भी सुरक्षा करता है। ये अत्यंत ज्ञानवर्धक, पठनीय एवं माननीय हैं। ये जीवन के अनेक चौराहों पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं जब सब ओर अंधकार छा जाने की प्रतीति होती है।
About Chanakya (चाणक्य के बारे में) :
चाणक्य का प्रभाव प्राचीन भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि शासन कला और शासन पर उनके विचारों का दुनिया भर के विद्वानों और नीति निर्माताओं द्वारा अध्ययन और सम्मान किया जाता है। राजनीति के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और राज्य और उसके नागरिकों के कल्याण पर उनका जोर उन्हें एक कालातीत व्यक्ति बनाता है जिनकी बुद्धि समय और स्थान की सीमाओं से परे है।
Leave a Reply